रूस की साउदर्न फेडरल यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधिमंडल ने एमआईईटी का किया दौरा

मेरठ। मेरठ इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (एमआईईटी) में रूस की साउदर्न फेडरल यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधिमंडल ने दौरा कर छात्रों और शिक्षकों के साथ संवाद किया। इस शैक्षणिक यात्रा का उद्देश्य शैक्षणिक सहयोग को सुदृढ़ करना, शोध के नए अवसर तलाशना और वैश्विक शिक्षा साझेदारी को मजबूत करना था।

प्रतिनिधिमंडल में डॉ. वासिली काला्चेव (डीन, इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिक्स, मैकेनिक्स और कंप्यूटर साइंस) और डॉ. ओलेग क्रावचेंको (एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष) शामिल थे। उन्होंने एमआईईटी के छात्रों को रूस की उच्च शिक्षा प्रणाली, अनुसंधान के नवीन क्षेत्रों और अंतरराष्ट्रीय करियर अवसरों से अवगत कराया।

इस अवसर पर एमआईईटी के वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल, कैम्पस डायरेक्टर डॉ. संजय सिंह, डीन एकेडमिक्स डॉ. संजीव सिंह, वाइस प्रेसिडेंट (सीएसआर) डॉ. विभूति शंकर और एसोसिएट डायरेक्टर (प्लेसमेंट) मोहन प्रसाद के साथ बैठक आयोजित की गई। बैठक में संयुक्त शोध परियोजनाओं, स्टूडेंट एक्सचेंज, फैकल्टी एक्सचेंज और पाठ्यक्रम उन्नयन पर गहन चर्चा हुई।

प्रतिनिधिमंडल ने 200 से अधिक छात्रों के साथ संवाद कर अंतरराष्ट्रीय करियर, उच्च शिक्षा और शोध सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। इसके बाद एक ओलंपियाड टेस्ट का भी आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

रूसी प्रतिनिधियों ने एमआईईटी की अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं और नवाचार केंद्रों का दौरा किया, जिनमें एआईसीटीई आइडिया लैब, एसीआईसी एमआईईटी मेरठ फाउंडेशन और एमआईईटी इनक्यूबेशन फोरम प्रमुख रहे। इस दौरान उन्होंने छात्रों और शोधकर्ताओं से बातचीत कर उनकी नवाचार और अनुसंधान गतिविधियों को करीब से समझा।

दौरे के समापन समारोह में शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान हुआ, जिससे दोनों संस्थानों के बीच आपसी सहयोग को और अधिक मजबूती मिली। वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा कि यह दौरा भारत-रूस के शैक्षणिक संबंधों को और सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। वहीं, डॉ. वासिली काला्चेव ने एमआईईटी के शैक्षणिक माहौल की सराहना करते हुए कहा कि संयुक्त अनुसंधान और छात्र विनिमय कार्यक्रमों के माध्यम से दोनों संस्थान एक नई ऊंचाई पर पहुंच सकते हैं।

यह दौरा भारत और रूस के उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच मजबूत अकादमिक सहयोग की नींव रखता है और दोनों देशों के छात्रों तथा शोधकर्ताओं के लिए नए और व्यापक शैक्षणिक अवसरों के द्वार खोलता है।

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