समाज और मानवता के लिए काम करने वालों का नाम हमेशा अमर रहता है : प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी

 अगर हम मानवता की सेवा करेंगे तो हम इस दुनिया और आखिरत में सफल हो सकते हैं : मौलाना आबिद हुसैन

चौधरी चरण सिंह विवि के उर्दू विभाग में जी.एम. मुस्तफा और अदना इश्काबादी की याद में शोक सभा आयोजित 

मेरठ ।   हाजीजी सदैव समाज सेवा के लिए तत्पर रहते थे। एम. जी मुस्तफा. समाज सेवा मनुष्य का एक महत्वपूर्ण कर्तव्य है। मानवता के लिए काम करने की नसीहत सभी धर्मों की बुनियादी और मौलिक शिक्षा है। समाज और मानवता के लिए काम करने वालों का नाम हमेशा अमर रहता है। जी.एम. मुस्तफा एक अच्छे इंसान और उदारवादी धार्मिक नेता भी थे। उन्होंने नफरत, मतभेद और ऊंच-नीच की सभी विचारधाराओं से ऊपर उठकर सिर्फ समाज और मानवता के लिए काम किया। ये शब्द उर्दू विभाग के प्रमुख प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी के थे, जो जी.एम. मुस्तफा और अदना इश्काबादी की याद में उर्दू विभाग में आयोजित शोक सभा में अपने  विचार प्रस्तुत कर रहे थे। 

उन्होंने आगे कहा कि अदनी इश्काबादी भी साहित्य के महान और सम्मानित स्तंभ थे। उन्हें उस्ताद अल-असतज़ा का दर्जा प्राप्त था। उनके पास बड़ी संख्या में ऐसे शागिर्द हैं जिन्होंने शायरी के क्षेत्र में अपना स्थान बनाया है। यह इस बात का प्रमाण है कि उनका अपने शागिर्दों के प्रति अच्छा, स्नेहपूर्ण और सहज रवैया था। वे शायरी और अदायगी की कलात्मक बारीकियों से अच्छी तरह वाकिफ थे और अपने शागिर्दों में कला और प्रदर्शन उत्कृष्टता की वही बारिकियां पैदा करना चाहते थे। मुझे उम्मीद है कि उनके शागिर्द उनके द्वारा छोड़ी गई साहित्यिक विरासत को प्रकाश में लाएंगे।

   कार्यक्रम की शुरुआत मौलाना मुहम्मद जिब्रील ने पवित्र कुरान की तिलावत से हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता मौलाना मुहम्मद आबिद ने की। हाजी जी. एम. मुस्तफा का परिचय मुहम्मद नदीम ने कराया और डॉ. अदना इश्काबादी का परिचय डॉ. शादाब अलीम ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. इरशाद स्यानवी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अलका वशिष्ठ ने किया।

  इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए हाजी जी.एम. मुस्तफा के पोते ने कहा कि हमारे घर का एक चमकता हुआ चिराग हमेशा के लिए बुझ गया। लेकिन जाते-जाते उन्होंने हमें मानवता के प्रति प्रेम का पाठ पढ़ाया। आज हर मौके पर उनकी कमी स्पष्ट नजर आती है। ईश्वर की इच्छा से हम उनके पदचिन्हों पर चलेंगे और उनके द्वारा छोड़ा गया कार्य जारी रखेंगे।

  अदना इश्काबादी की शागिर्द और मशहूर शायरा दानिश ग़ज़ल ने कहा कि मेरठ शहर की दो महान हस्तियां अब हमारे बीच नहीं रहीं। हफीज़ मेरठी हमारे मेरठ की शान थे। बचपन से ही मैं उनकी बातों से बहुत प्रभावित था। उम्र के साथ यह रुचि बढ़ती गई और अंततः मुझे डॉ. अदना इश्काबादी जैसा दयालु और करुणामय उस्ताद मिले, जिन्होंने बड़ी ईमानदारी से मुझे सिखाया। वह बिल्कुल मेरे पिता जैसे थे। आज मैं जो कुछ भी हूं, उन्हीं की वजह से हूं। हम सभी शागिर्द चाहते हैं कि उस्ताद की किताब जल्द से जल्द प्रकाश में आएं और नई पीढ़ी को उस्ताद की बातों से लाभ मिले।

  मौलाना मुहम्मद जिब्राइल ने कहा कि उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी को ईश्वर ने सेवा का महान उपहार दिया है। वे समाज, साहित्य या राजनीति के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले हर व्यक्ति को याद करते हैं और उसे भूलने नहीं देते। हाजी जीएम मुस्तफा से मेरे बहुत अच्छे संबंध रहे हैं। हाजी साहब ने अपना जीवन समुदाय और राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया। लोगों की पीड़ा देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए। वे दूसरों को शांति प्रदान करने के लिए अपनी खुशी भूल जाते थे। उन्होंने अपने जीवन में हमेशा लोगों के लिए अच्छा काम किया। आज वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अपने अच्छे कामों के लिए वे हमेशा याद किए जाएंगे और लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे।

  अफाक खान ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से मेरठ में दुखों का माहौल है। पहले डॉ. मेराज चले गए, फिर श्री. एम. मुस्तफा और फिर अदना इश्काबादी। ये सभी ऐसी शख्सियतें हैं जिन पर मेरठ के लोगों को हमेशा गर्व रहेगा। तीनों ने अपने-अपने क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है। मेराज साहब ने राजनीति, शिक्षा और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए काम किया, वहीं जी.एम. मुस्तफा ने राष्ट्र की भलाई के लिए दिन-रात काम किया। इस बीच, साहित्य के संदर्भ में, अदना इश्कआबादी ने अनगिनत ग़ज़लें और योग्य और निपुण शागिर्दों की एक लंबी सूची छोड़कर साहित्य के प्रचार में एक प्रमुख भूमिका निभाई। ये ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्हें हमेशा याद रखा जाएगा। मैं चाहता हूं कि नई पीढ़ी उनके पदचिन्हों पर चले।

  अंत में अपने अध्यक्षीय भाषण में मौलाना आबिद हुसैन ने कहा कि प्रत्येक जीवित आत्मा को मृत्यु का स्वाद चखना पड़ता है। जीएम मुस्तफा और अदना इश्काबादी इस स्वाद से परिचित हो चुके हैं और हमें भी इसका सामना करना होगा। इसलिए हमें भी इन दोनों के पदचिन्हों पर चलते हुए अच्छे कर्म करने चाहिए। मानवता की सेवा करने से हम इस लोक और परलोक में सफल हो सकते हैं।

  इस अवसर पर एडवोकेट इरशाद बेताब, कुंवर दानिश चौहान, मुहम्मद अफजल चौहान, मुहम्मद खालिद, रमीज वाहिद, अली जौहर और कुंवर नवाजिश अली ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

  इस अवसर पर डॉ. आसिफ अली, डॉ. असलम सिद्दीकी, मौलाना अबरार मुहम्मद खालिद, डॉ. मुहम्मद इरशाद, शहर के बुजुर्ग और बड़ी संख्या में छात्र शामिल हुए।

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