मनुष्य की इंद्रियों को शुद्ध करती है श्रीमद्भगवद्गीता-पाठ - प्रभु चारु गोविन्द दास

हरे कृष्णा के जयकारों से गूंजा सुभारती विश्वविद्यालय परिसर

श्रीमद्भगवद्गीता की भक्ति में लीन हुए विद्यार्थी और शिक्षक

मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद शोध पीठ द्वारा श्रीमद भगवद् गीता आधुनिक जीवन हेतु शाश्वत ज्ञान का मार्ग प्रशस्त करती है, के विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

सत्यजीत रे प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यशाला का भक्तिमय शुभारंभ इस्कॉन मंदिर मेरठ के पुजारियों द्वारा गीता के श्लोक जप कर किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित छात्र-छात्राएं एवं शिक्षकों द्वारा हरे कृष्णा के जयकारे लगाए गए। सभी कृष्ण भक्ति में लीन हो उठे। कार्यशाला तीन सत्रों में आयोजित हुई।

प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता इस्कॉन मंदिर मेरठ के अध्यात्मिक गुरु प्रभु चारु गोविन्द दास ने अपने सम्बोधन में विद्यार्थियों से कहा कि श्रीमद भगवद् गीता जीवन का सार है। उन्होंने कहा कि भगवद गीता पढ़ने से हमारी इंद्रियां शुद्ध होती है। इससे हमारा आत्म विकास के साथ तीक्ष्ण ध्यान एवं स्पष्ट बुद्धि का विकास होता है। गीता हमारे जीवन से नकारात्मक भाव को नष्ट कर हमें सकारात्मक जीवन प्रदान करती है।

उन्होंने कहा कि भगवद गीता के श्लोक केवल धार्मिक या दार्शनिक दृष्टिकोण तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे हमारे जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं। भगवद गीता का अध्ययन और अभ्यास हमारे जीवन को सार्थक बनाता है। हमें इन श्लोकों की महिमा को समझकर अपने जीवन में उतारना चाहिए।कार्यक्रम हरे कृष्ण के जयकारों से सभी मंत्रमुग्ध होकर भक्ति से परिपूर्ण हो गए।दूसरे सत्र में कुलपति मेजर जनरल डॉ.जी.के.थपलियाल ने श्रीमद भगवद् गीता का आधुनिक जीवन हेतु नेतृत्व, तनाव, प्रबंधन व निर्णय लेने के विषय पर परिचर्चा की। 

तीसरे सत्र में प्रभु चारु गोविन्द दास, कुलपति मेजर जनरल डॉ.जी.के.थपलियाल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.शल्या राज, डॉ.राहुल बंसल एवं कार्यक्रम संयोजक व स्वामी विवेकानन्द शोध पीठ की अध्यक्ष डॉ.मोनिका मेहरोत्रा ने भगवद गीता का वास्तविक जीवन परिदृश्य में चिंतन, अभ्यास सहित जीवन पर पढ़ने वाले सकारात्मक प्रभाव पर अपने विचार रखे। इस दौरान विद्यार्थियों ने वक्ताओं से भगवद गीता से संबंधित रोचक प्रश्न कर अपनी जिज्ञासाओं को शान्त किया। विद्यार्थियों को मोबाईल के अधिक प्रयोग से मस्तिष्क पर पड़ने वाले गलत प्रभाव के प्रति जागरूक किया गया। साथ ही जीवन में सफलता हेतु जल्दी सोना व सुबह जल्दी उठने तथा ध्यान व व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करने के लिए भी प्रेरित किया गया। कार्यक्रम संयोजक व स्वामी विवेकानन्द शोध पीठ की अध्यक्ष डॉ.मोनिका मेहरोत्रा ने बताया कि भविष्य में विश्वविद्यालय में श्रीमद भगवद गीता का अल्पकालिक सर्टिफिकेट कोर्स भी प्रारम्भ किया जाएगा।  कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं व शिक्षकों को निःशुल्क श्रीमद भगवद गीता प्रदान की गई। कार्यक्रम का संचालन बीए की छात्रा देविका ने किया।इस अवसर पर डॉ.दुर्वेश पुंडीर, डॉ. गौरव शर्मा, कशिश पुनिया, वैशाली पुनिया का सहयोग सराहनीय रहा।

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