एमपीएस ग्रुप के संस्थापक ताराचंद शास्त्री का निधन 

 मेरठ । मेरठ पब्लिल स्कूल ग्रुप के संस्थापक तारा चंद शास्त्री को वेस्ट एडं रोड स्थित आवास पर निधन हो गया है। जहां पर उन्होंने अंतिम सांस ली। तारा चंद शास्त्री के निधन पर शिक्षा जगत के शोक छा गया है। वह अपने पीछे पत्नी, बेटा और तीन बेटियों को रोता बिलखता छोड़ गए। इनका अंतिम संस्कार सूरजकुंड में शाम साढ़े पांच बजे होगा।

एमपीएस ग्रुप के चेयरमैन और समाजसेवी ताराचंद शास्त्री का शुक्रवार सुबह निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे। पिछले कई दिनों से अस्वस्थ थे। उनके निधन पर शिक्षाविदों और समाजसेवियों ने शोक जताया है।परिवार में पत्नी, बेटे विक्रमजीत सिंह और दो बेटियां और भरा पूरा परिवार है। ताराचंद शास्त्री रालोद में रहे। बसपा से उन्होंने खतौली विधानसभा सीट से विधानसभा का चुनाव भी लड़ा। तारा चंद शास्त्री ने एमपीएस ग्रुप को ऊपर उठाने में अहम भूमिका निभाई। वर्तमान में एमपीएस ग्रुप के कई स्कूल मेरठ व मेरठ से बाहर चल रहे है। उनके निधन पर शिक्षा विदों को उनके आवास पर पहुंचना आरंभ हो गया है। 

ताराचंद शास्त्री शामली के रहने वाले थे। उन्होंने मेरठ में शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान करते हुए मेरठ पब्लिक स्कूल ग्रुप की स्थापना की थी। इनकी दूरदर्शिता के कारण कम समय में स्कूलों ने सफलता हासिल कर ली थी। शास्त्रीजी की राजनीति में काफी रुचि थी। उनका कांग्रेस से गहरा नाता था। कांग्रेस के अलावा बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल से जुड़ कर भी उन्होंने राजनीति की। बसपा सुप्रीमो मायावती ने इनको राज्य मंत्री बनाया था। 1998 में बसपा के मुजफ्फरनगर और मेरठ के जिला अध्यक्ष भी रहे थे। कांग्रेस में जिला उपाध्यक्ष भी रह चुके थे। इसके अलावा कांग्रेस के प्रदेश सचिव और कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली थी। कांग्रेस के एआईसीसी सदस्य भी रहे। ताराचंद शास्त्री रालोद के प्रदेश महासचिव भी रहे। शास्त्रीजी कई सामाजिक संगठनों से भी जुड़े थे। श्रम मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति,ऑल इंडिया पंचायत परिषद पटना के सदस्य भी थे। शास्त्रीजी अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद के इंचार्ज भी थे। शास्त्रीजी की हमेशा यही कोशिश रही कि बच्चों को स्कूली शिक्षा उच्च स्तर की मिले। इसके लिए उन्होंने मेरठ पब्लिक स्कूल ग्रुप के आठ स्कूलों की स्थापना की। शास्त्रीजी सामाजिक कार्यों से भी जुड़े हुए थे। गरीबों और असहाय लोगों की मदद में वो हमेशा अग्रणी रहते थे।


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