आज हमें ऐसे कलाकारों की जरूरत है जो समाज के ज्वलंत मुद्दों को निर्भीकता से प्रस्तुत कर सकें: प्रोफेसर सागीर अफ्राहिम

जयनंदन जी ने न केवल एक बेहतरीन कहानी लिखी बल्कि उसे शानदार और सुंदर तरीके से प्रस्तुत भी किया : प्रोफेसर रेशमा परवीन

सीसीएसयू के उर्दू विभाग में अदबनुमा कार्यक्रम के तहत ‘एक शाम कहानी के नाम’ विषय पर ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया

मेरठ ।कलाकार प्रत्येक शब्द को व्यवस्थित करता है और फिर उसे कहानी का रूप देता है। जय नन्दन साहब बहुत अच्छे कहानीकार हैं। आपकी कहानी का शीर्षक ही चौंका देने वाला है: “गोजर सिंह अमर रहें।” जयनंदन साहब ने आज के मुद्दों को जिस कलात्मक और अनोखे ढंग से प्रस्तुत किया है, उसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। आज हमें ऐसे कथाकारों की जरूरत है जो समाज के ज्वलंत मुद्दों को साहसपूर्वक प्रस्तुत कर सकें। ये शब्द थे प्रसिद्ध लेखक और आलोचक प्रोफेसर सगीर अफ्राहीम के, जो चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग और इंटरनेशनल यंग उर्दू स्कॉलर्स एसोसिएशन (आईवाईयूएसए) द्वारा विश्व हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित “एक शाम कहानी के नाम” कार्यक्रम में अपना अध्यक्षीय भाषण दे रहे थे। . . उन्होंने कहा कि कहानी के सभी दृश्य शानदार हैं और कहानी के अंत तक दर्शकों को बांधे रखते हैं।

 कार्यक्रम की शुरुआत सईद अहमद सहारनपुरी ने पवित्र कुरान की तिलावत और प्रसिद्ध गजल गायक मुकेश तिवारी सरस्वती वंदना से हुई। कथाकार के रूप में जमशेदपुर के प्रसिद्ध कथाकार जयनंदन ने भाग लिया। उन्होंने अपनी प्रतिनिधि कहानी "गोजर सिंह अमर रहे" की शानदार प्रस्तुति दी। वक्ताओं में प्रो. रेशमा परवीन, लखनऊ और हिंदी विभाग के डॉ. यज्ञेश कुमार शामिल थे। स्वागत भाषण निर्देशक डॉ. इरशाद स्यानवी ने , संचालन डॉ. अलका वशिष्ठ ने तथा धन्यवाद ज्ञापन मोहम्मद नदीम ने किया। 

इस अवसर पर उर्दू विभागाध्यक्ष प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी ने कहा कि जयनंदन साहब पूरे हिंदी जगत में विख्यात हैं। उनकी कहानियाँ का पटल विस्तृत हैं और आज के परिवेश को चित्रित करने में सहायक हैं। 

डॉ. यज्ञेश कुमार ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां सभी भाषाओं को महत्व दिया जाता है और आज हिंदी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ली है। हिंदी कहानीकारों की बात करें तो प्रेम चंद एक कथाकार हैं जिन्होंने उर्दू में लिखना शुरू किया था। कफ़न, ईदगाह, दो बैल आदि ने पाठकों को बहुत प्रभावित किया है। आज के नए कहानीकारों का भी दायित्व है कि वे समाज में उभर रही नई समस्याओं को अपने कथा साहित्य में प्रस्तुत कर समाज से बुराइयों को दूर करने का प्रयास करें।

प्रख्यात कहानीकार जयनंदन ने कहा कि नई पीढ़ी अब नए विषयों की तलाश में है। आज अपना राष्ट्र हर मोड़ पर बहुराष्ट्रवाद में तब्दील होता जा रहा है। कहानीकार अब सामाजिक नहीं बल्कि व्यक्तिगत हो गया है। उदय प्रकाश, संजीव आदि अच्छी कहानियाँ लिख रहे हैं जिनमें वर्तमान समय की सभी समस्याएँ और संघर्ष दिखाई देते हैं। 

प्रोफेसर रेशमा परवीन ने कहा कि आज का कार्यक्रम वाकई सफल रहा। जयनंदन साहब जैसे महान कहानीकार की कहानी उन्हीं की जुबानी सुनकर मुझे बेहद खुशी हो रही है, क्योंकि यह विषय मेरे लिए हमेशा से दिलचस्प रहा है।जय नंदन की यह कहानी दिल को छू जाती है। आपकी कहानी की संरचना उत्तम है। पारस के रूप में आपके द्वारा निभाए गए किरदार ने मुझे अंत तक बांधे रखा। आपने कहानी में सबके दिल की बात कही। आपकी कहानी आज की स्थिति के बहुत करीब है। जयनंदन ने न केवल एक बेहतरीन कहानी लिखी बल्कि उसे शानदार और सुंदर तरीके से प्रस्तुत भी किया। आपको बधाई! डॉ. आसिफ अली, डॉ. शादाब अलीम, मुहम्मद शमशाद, उज्मा सहर और अन्य छात्र ऑनलाइन और ऑफलाइन कार्यक्रम से जुड़े रहे।

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