अधिवक्ता परिषद के सम्मेलन में वक्ताओं ने रखे विचारयुवा अधिवक्ता सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद को किया याद
मेरठ। अधिवक्ता परिषद,बृज मेरठ इकाई द्वारा स्वामी विवेकानंद जयंती के उपलक्ष्य में जिला बार के सभागार में युवा अधिवक्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया।
सम्मेलन की अध्यक्षता शिवानी त्यागी ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ भारतमाता व स्वामी विवेकानंद जी के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। कार्यक्रम में वंदे मातरम का गायन प्रशांत त्यागी एवम श्रीमती मोनिका भारद्वाज ने किया।
इस मौके पर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रविन्द्र कुमार सिंह तथा महामंत्री आनंद कश्यप ने स्वामी विवेकानंद के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला।मुख्य वक्ता विशाल राणा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने अल्पायु में ही हिंदुस्तान का परचम विश्व पटल पर फहराया था। समाज के उद्धार का रास्ता ही कर्मयोग का रास्ता है। हमे अपनी वैज्ञानिक आस्था, व प्रथाओं को स्वीकार करना चाहिए। अपने लक्ष्य में एकाग्र होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि विवेकानंद जी अदभुत स्मृति शक्ति के कारण श्रुतिधर के नाम से भी विख्यात थे। भारतीय संस्कृति के पुरोधा स्वामी विवेकानंद ने विदेशों मे मानव उत्थान की अलख जगाई। स्वयं जोखिम उठाकर दूसरो को जीवन देने वाला ही समाज का मार्गदर्शक होता है। विवेकानंद जी का सत्यांवेशी स्वभाव कर्मयोग का आधार है। अधिवक्ता का स्वभाव कर्मयोगी की तरह वादकारी को न्याय दिलवाने के लिए तत्पर होना चाहिए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश बृजेश मणि त्रिपाठी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने जिज्ञासु प्रवृत्ति से भारत भ्रमण किया। वे युवा शक्ति के ऊर्जा पुंज थे। वे वेदांत दार्शनिक भी थे साथ ही सभी अन्य दर्शनों का भी अध्ययन किया। विवेकानंद जी का जीवन हमारे लिए अनुकरणीय है।
कार्यक्रम में ब्रज प्रांत के अध्यक्ष नरोत्तम कुमार गर्ग, प्रमोद त्यागी, विवेक कोचर, अमित धामा, पदम सिंह, झम्मन सिंह वर्मा जी, पराग गर्ग, शिवदत्त जोशी, विशाल राणा, मेहर पाल, भूपेंद्र, राकेश, मनवीर, निशित, प्रसून, कोमल, दीपक चौहान, देवेंद्र शर्मा, आरती, सिल्विया समेत कई अधिवक्ता मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन स्पर्श रस्तोगी ने किया।
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