सीएम सिद्धारमैया पर आरोपों पर कांग्रेस चुप क्यों

- योगेंद्र योगी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिल्ली में अपनी पहली चुनावी रैली को संबोधित करते हुए केजरीवाल पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल पीएम मोदी की तरह झूठे वादे करते हैं। केजरीवाल ने कहा था कि भ्रष्टाचार मिटाएंगे लेकिन क्या दिल्ली में भ्रष्टाचार हटा क्या? अडानी पर भी केजरीवाल कुछ भी नहीं बोलते हैं। राहुल गांधी ने जब केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए उसी समय कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने (ईडी) ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) मामले के संबंध में 300 करोड़ रुपये के बाजार मूल्य वाली 142 अचल संपत्तियों को जब्त कर लिया। ईडी के बेंगलुरु जोनल कार्यालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत इन संपत्तियों को जब्त किया। ईडी के अनुसार, ये संपत्तियां विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर पंजीकृत हैं जो रियल एस्टेट व्यवसायी और एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। ईडी ने लोकायुक्त पुलिस मैसूर द्वारा भारतीय दंड संहिता, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत सिद्धारमैया और अन्य के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू की थी।  

आतंरिक तौर पर देखें तो राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े में इतना साहस भी नहीं हो सका कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री पद से हटाना तो दूर बल्कि कारण बताओ नोटिस तक जारी कर सकें। दरअसल कांग्रेस को अंदाजा है कि यदि सिद्धारमैया से कुछ भी पूछा गया तो विद्रोह की नौबत आ जाएगी। ऐसे में कांग्रेस ने इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखना ही सही समझा। कांग्रेस को शायद यह बात समझ में नहीं आई कि उसकी चुप्पी ही उसे अपराधी बना रही है। यही वजह है कि भाजपा ने विगत चुनावों में भ्रष्टाचार के मुद्दों पर कांग्रेस की बखिया उधडऩे में कोई कसर बाकी नहीं रखी।
दरअसल कमजोर होती कांग्रेस में इतने क्षत्रप पनप गए हैं कि पार्टी चाह कर भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। ऐसे में भ्रष्टाचार हो या पार्टी विरोधी गतिविधियां, कांग्रेस खिसकते जनाधार के कारण यह जहर पीने को मजबूर हो गई है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसका उदाहरण हैं। सरेआम पार्टी के निर्णर्यों की उपेक्षा करने के बावजूद कांग्रेस गहलोत के खिलाफ कोई कार्ररवाई नहीं कर सकी। इसी तरह सचिन पायलट भी पार्टी खुल कर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे, किन्तु कांग्रेस उनकी तरफ से भी आंखे फेरे रही है। गहलोत और पायलट के अंदरूनी सता संघर्ष का ही नतीजा रहा कि कमजोर कांग्रेस राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला नहीं कर सकी और करारी शिकस्त खाने को मजबूर हुई।  


कांग्रेस में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरने वाले सिद्धारमैया अकेले नेता नहीं हैं। पार्टी में नीचे से लेकर शीर्ष तक नेताओं के खिलाफ गंभीर मामले चल रहे हैं। यहां तक कि पार्टी चलाने वालीं कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी जमानत पर चल रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी भी कई भाषणों में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के जमानत पर बाहर होने पर चुटकी भी लेते रहे हैं। संसद के सत्र के दौरान जब कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने कहा था कि भ्रष्टाचार के मामले हैं तो गिरफ्तार क्यों नहीं करते, तब पीएम मोदी ने हंसते हुए कहा था- जमानत पर हैं तो एन्जॉय करिए। इसी तरह कांग्रेस मौके-बेमौके ऐसे मुद्दें पर उपहास का पात्र बनती रही है। भ्रष्टाचार के मामलों को देखें तो दिल्ली से लेकर हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और गुजरात से लेकर महाराष्ट्र तक के बड़े कांग्रेस नेता सीबीआई, इनकम टैक्स और ईडी जैसी एजेंसियों के निशाने पर रहे हैं। हालांकि कांग्रेस अपने नेताओं पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से इनकार करती है। नेशनल हेराल्ड केस-2011 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेता फंसे हैं। बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप है कि यह सब कुछ दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस की 16 सौ करोड़ रुपये की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया।

वर्ष 2013 में अगस्ता वेस्टलैंड वीआइपी हेलीकॉप्टर खरीद घोटाला में सीबीआई और दूसरी केंद्रीय एजेंसियां अहमद पटेल पर इतालवी चॉपर कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से कमीशन लेने के आरोपों की जांच कर रही हैं। इस मामले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी भी फंसे हैं। राजस्थान में एंबुलेस घोटाला में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट भी आरोपी हैं। ये मामला 2010 से लेकर 2013 तक एनआरएचएम के तहत एंबुलेंस खरीदने में हुई धांधली का है। ईडी अब तक 12 करोड़ की संपत्तियां आरोपियों से जब्त कर चुकी है। कांग्रेस के दिग्गज नेता डीके शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति दर्ज करने का मामला चल रहा है। 2017 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने डीके शिवकुमार के 64 ठिकानों पर जबर्दस्त छापेमारी की थी। टैक्स चोरी की शिकायतों पर यह कार्रवाई हुई थी। हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह के खिलाफ भी केंद्रीय एजेंसियों ने छापेमारी की। सितंबर 2015 में उनकी बेटी की शादी के दिन सीबीआई ने छापेमारी कर खलबली मचा दी थी।  



आश्चर्य यह नहीं है कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं, बल्कि लगाने वाले ने अपनी पार्टी की गिरेबां में झांक कर नहीं देखा। आकंठ तक भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी कांग्रेस के मुंह से भ्रष्टाचार शब्द भी अब बेजान हो गया है। कांग्रेस का इतिहास और वर्तमान भ्रष्टाचार के काले कारनामों से रंगा हुआ है। कांग्रेस यदि आज देश में लगातार सिमटती जा रही है तो उसका प्रमुख कारण भ्रष्टाचार में लिप्त होना है। भाजपा के बाद देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस अपने दामन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर दोमुंही बातें करती रही है। यह निश्चित है कि जब तक कांग्रेस भ्रष्टाचार को लेकर कथनी और करनी के फर्क को नहीं मिटाती तब तक देश के मतदाताओं का पूरा भरोसा नहीं जीत सकती।

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