संवाद की कमी से लड़खडा रही भारतीय टीम 
 इलमा अजीम 

किसी भी खेल के मामले में परस्पर सहयोग की रणनीति और बेहतर संवाद  से उत्कृष्ट  प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है। पिछले कुछ समय से जिस तरह  भारतीय क्रिकेट टीम में उतार -चढ़ाव देखने को मिल रहा है। उससे साफ झलक रहा है कि खिलाड़ियों में सवांद की कमी दिखाई दे रही है। जिसके कारण उस आत्मविश्वास से मैदान में नहीं उतर पा रहे है। जिस जोश से उन्हें मैदान में उतरना चाहिए। उन पर कही न कही कोई दबाव व निराशा नजर आ रही है। 



 टीम को सजने व संवारने  और बेहतर प्रदर्शन के लिए तैयार करने में कप्तान के साथ कोच की अहम भूमिका होती है। दुखद यह है कि जिस तल्खी के साथ मुख्य कोच गौतम गंभीर प्रदर्शन कर रहे है। उससे टीम का मनोबल कम होता नजर आ रहा है। मेलबार्न टेस्ट में हार के बाद गंभीर ने पूरी टीम के लिए जिस कुछ कड़े शब्द कह उससे तमाम कोशिश के बाद ड्रेसिंग रूम का तनाव बाहर आ गया । अगर खिलाड़ियों के प्रदर्शन से गंभीर नाखुश है तो उन्हें इसकी तह तक जानाा चाहिए । खिलाड़ियों से संवाद कर उन्हें विश्वास में लेना चाहिए। भारतीय टीम एक चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है। युवा खिलाड़ियों का कुछ मुददों पर अपने मुख्य कोच के साथ एकराय न होने भी चिंता का विषय बना हुआ है। कहा तो यह भी जा रहा है कि पहले दो कोच के कार्यकाल में जिस तरह संवाद होता था वह अब नहीं होता। 

 सवाल है कि अगर ड्रेसिंग रूम में अशांति रहेगी और कड़वी भाषा में संवाद होगा तो खिलाड़ियों से क्या उम्मीद की जा सकती है। गौतम गंभीर अपने दौर में आक्रमक खिलाड़ियों में से एक रहे है। उनका मुखर व्यक्तित्व है। मगर कभी-कभी उनका गुस्सासभी का ध्यान खींच लेता है। गौतम राजनीति  में भी सक्रिय रहे हैं इसलिए शाायद उन्हें जनता से संवाद करने और सभी को साथ लेकर चलने की अहमियत का अंदाजा होगा। फिलहाल उन्हें इसी कौशल केा अपनाने की जरूरत है। 



कोच के तल्ख तेवर से खिलाड़ियों  के प्रदर्शन में सुधार की भूमिका नहीं बनेगी । इसके लिए खेल की तकनीकों पर ध्यान देने के साथ-साथ खिलाड़ियों का मनोबल उँचा रहना भी  होता है। मुख्य कोच की यह जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वह खेलके साथ -साथ सौहार्द और संवाद का एक बेहतर माहौल तैयार करें । ताकि खिलाड़ियों के भीतर उत्साह का संचार हो क्योंकि इसका असर प्रदर्शन पर भी पड़ता है। 

No comments:

Post a Comment

Popular Posts