सरकारी तंत्र और जवाबदेही

इलमा अजीम

किसी भी शासन व्यवस्था में जवाबदेही का अहम स्थान है। लेकिन जब प्रशासन इस जवाबदेही से विमुख होने लगता है तो इसका सीधा असर जनजीवन पर पड़ता है। पिछले दिनों ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जिनसे लगता है कि सरकारी तंत्र सिर्फ लकीर पीटने में विश्वास रखता है। 



सरकारी संवेदनहीनता ऐसे अनगिनत मामले हैं, जहां आमजन अपने हक व अधिकार के लिए पिस रहा है। चाहे जमीन में नामांतकरण मामला हो, पेंशन शुरू करवानी हो, सीवरेज कार्य हो या और कोई सरकारी योजना का लाभ लेना हो। प्रशासन में अक्सर निर्णय लेने की प्रक्रिया बहुत धीमी होती है। किसी समस्या का समाधान निकालने में समय लगने से स्थिति और जटिल हो जाती है। प्रशासन में भ्रष्टाचार की समस्या भी लापरवाही को बढ़ावा देती है। जब अधिकारी रिश्वत लेते हैं या कागजी कार्यवाही में गड़बड़ी करते हैं, तो नागरिकों को सही समय पर और उचित सुविधाएं नहीं मिल पातीं। 


इससे सिस्टम में विफलता होती है और जनता का विश्वास प्रशासन से टूटता है। प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी के प्रति सजग और जवाबदेह बनना होगा। अधिकारियों को अपनी कार्यक्षमता और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना होगा। प्रशासन में पारदर्शिता लाने के लिए तकनीकी उपायों का उपयोग किया जा सकता है। ऑनलाइन सेवाएं और सिस्टम डिजिटलीकरण प्रशासन को ज्यादा प्रभावी बना सकते हैं।



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