‘अपराध’ पर खामोश भापा

इलमा अजीम 

दिल्ली विधानसभा चुनाव में ‘फर्जी वोट’ निर्णायक साबित हो सकते हैं। सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों, बड़े नेताओं के आवासीय पते पर मतदाता बनाने के आवेदन चुनाव आयोग को किए गए हैं। केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी प्रवेश वर्मा के पते पर ऐसे 33 आवेदन किए गए हैं। लोकसभा चुनाव में जिन पतों पर औसतन 4-5 मतदाता होते थे, उन पतों पर आज 25, 28, 30, 35 से लेकर 44 मतदाता बनाने के आवेदन सुर्खियों में हैं। यह आम आदमी पार्टी (आप) का आरोप है और उसने चुनाव आयोग को लिखित ज्ञापन भी दिया है।

 भाजपा भी रोहिंग्या, बांग्लादेशी घुसपैठियों को मतदाता बनाने के आरोप ‘आप’ पर लगा रही है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राज्यसभा में भी इस आशय का बयान दिया था। मतदाता बनाने के साथ-साथ नाम कटवाने के आरोप भी भाजपा पर लगाए जा रहे हैं। यदि ‘फर्जी मतदाता’ बनाने के लिए भाजपाई सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों के आवासीय पतों का दुरुपयोग किया गया है, तो यह एक गंभीर लोकतांत्रिक अपराध है। चुनाव को लूटने की आधुनिक, प्रशासनिक साजिश है, लिहाजा चुनाव आयोग के दायित्व और भरोसे की एक बार फिर ‘अग्नि-परीक्षा’ होनी है। आयोग को 17 जनवरी से पहले देश और दिल्ली को स्पष्टीकरण देना होगा कि ‘फर्जी मतदाताओं’ का सच क्या है, क्योंकि उसके बाद मतदाता-सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा और चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नामांकन भी शुरू हो जाएंगे। आश्चर्य है कि बीते 4 सालों के दौरान करीब 80,000 वोट घटे, लेकिन बीते एक साल के दौरान 8 लाख से अधिक वोट बढ़ गए! यह कैसे संभव है? क्या कोई चुनावी घोटाला हुआ है? यह सफाई चुनाव आयोग को ही देनी है।



आयोग यह भी स्पष्ट करे कि जिन लोगों ने चुने हुए प्रतिनिधियों के आवासीय पते पर मतदाता बनाने के लिए आवेदन किए थे, उनमें से कितनों को मतदाता बनाया गया अथवा ऐसा कोई भी मतदाता सूचीबद्ध नहीं किया गया। बहरहाल ऐसे कथित अपराध के साथ-साथ अन्य सामान्य अपराधों पर भी भाजपा बिल्कुल खामोश रही है। दिल्ली में कानून-व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन है। प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने अपने चुनावी संबोधनों में ‘अपराध की राजधानी दिल्ली’ पर एकबारगी भी टिप्पणी नहीं की है। यदि 2024 के ही आपराधिक आंकड़ों का उल्लेख किया जाए, तो दिल्ली में 504 हत्याओं, 1510 लूट, 2076 बलात्कार और 2037 छेडख़ानी की घटनाएं दर्ज की गईं। राष्ट्रीय राजधानी में सरेआम गोलीबारी देखी गई है। व्यापारियों को फिरौती के लिए धमकियां दी जाती रही हैं। उनकी हत्याएं भी की गई हैं। युवा लडक़े किसी भी लडक़ी को सरेआम चाकू से गोद-गोद कर इसलिए मार देते हैं, क्योंकि लडक़ी को उनका प्रेम-प्रस्ताव स्वीकार्य नहीं है। लिव-इन में भी लडक़ी को मार कर उसके शव के टुकड़े-टुकड़े कर फ्रिज में रखने या नदी में बहाने का अपराध एक फैशन बन गया है। 

उस दिन हमारी रूह कांप उठी थी, जिस दिन एक लडक़ी को कार के नीचे फंसा लिया गया और कार मीलों तक चलती रही। अंतत: मौत में ही वह जघन्य अपराध समाप्त हुआ। क्या किसी भी देश की राजधानी में अपराध के दृश्य ऐसे होते हैं? हमें शराब घोटाले और केजरीवाल के ‘शीशमहल’ से कहीं अधिक महत्वपूर्ण ‘अपराध’ का मुद्दा लगता है। शराब घोटाला अदालत के विचाराधीन है। कुछ आरोप-पत्र अदालत में दाखिल कर दिए गए हैं। ‘आप’ के नेता महीनों तक जेल की हवा खाकर जमानत पर बाहर हैं। 



अब अदालत को फैसला देना है, लेकिन अपराध के साथ-साथ ‘गैस चैंबर’ सा प्रदूषण, गंदा पानी, टूटे-फूटे गली-मुहल्ले, बदबूदार-खुली नालियां, झागदार यमुना और कचरे का पहाड़ सरीखे मुद्दे किसी राष्ट्रीय राजधानी के दृश्य नहीं हो सकते। वायु गुणवत्ता सूचकांक, ठिठुरन वाली सर्दी और बारिश के बावजूद, बीते दो दिनों में 350-400 रहा है, जो बेहद गंभीर और जानलेवा है। अब झुग्गी-झोंपडिय़ों पर भी राजनीति शुरू हो गई है। ‘आप’ का ठोस वोट बैंक अब भाजपा छीनने की कोशिश में है, लेकिन इनकी जिंदगी भी दयनीय है।

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