पं. प्रदीप मिश्रा की कथा सुनकर भाव-विभोर हो रहे श्रद्धालु, उमड़ रहा आस्था का सैलाब
मेरठ। शताब्दीनगर में चल रही महा शिवपुराण कथा में श्रद्धालुओं के भाव देखते बन रहे थे। पं. प्रदीप मिश्रा के अनुयायी अपने दुख हरे जाने का जिक्र करते हुए भावुक हो गए। आंखें डबडबा गईं।दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक पंडाल में ऐसा माहौल था हर कोई सबकुछ भूलकर बस कथा में रमा नजर आ रहा था। शिवजी के भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे। ओ भोला सब दुख काटो म्हारा...शिव शंकर जपूं तेरी माला... भोला सब दुख काटो म्हारा भजन पर हर कोई शिव की स्तुति में खोता नजर आया।लुटा दिया भंडार काशी वाले ने...कर दिया मालामाल काशी वाले ने...भजन पर हर-हर महादेव के जयकारे सुनाई देने लगे।
चार दिन से चल रही शिव महापुराण कथा में भक्ति का समुंद्र लहरा रहा है। कथा में आने वालों में 75 फीसदी महिलाएं हैं। कितने ही ऐसे परिवार रोज पहुंच रहे हैं, जिनके शिव की भक्ति करने बाद जीवन में बड़े बदलाव आए हैं।वे चिट्ठी के जरिए अपने दुखों को हरे जाने की कहानी बताते हैं। कैसे एक लोटा जल शिवजी को चढ़ाया और उनकी दुनिया ही बदल गई। ऐसे श्रद्धालुओं को पं. प्रदीप मिश्रा मंच पर बुलाकर उनको बेल पत्र भी देते हैं।ऐसे ही कुछ श्रद्धालुओं के बारे में बताते हैं, जिनका दावा है कि कथा सुनने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई है...
पति का लीवर ट्रांसप्लांट होना था ऑपरेशन से पहले ठीक हो गए
कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने श्रद्धालु ऋतु त्रिवेदी का पत्र पढ़कर सुनाया कि मैं अमरोहा की रहने वाली हूं। बाबा की महिमा का क्या गुणगान करूं। पति को लीवर सिरोसिस हो गया। बहुत बीमार हो गए। डॉक्टरों ने लीवर ट्रांसप्लांट के लिए बोल दिया। दिल्ली में इलाज के लिए पैसे नहीं थे।जब सबने मुंह फेर लिया तो बाबा से प्रार्थना की मेरे साथ ये क्या हो गया। दिल्ली के अस्पताल में लीवर ट्रांसप्लांट के लिए लिए गए। डॉक्टरों ने कहा कि लीवर की जरूरत पड़ेगी। लोगों से खूब बात की लेकिन कोई लीवर देने नहीं आया। बाबा को एक लौटा जल समर्पित किया।लीवर बदलना था 10 नवंबर को ऑपरेशन लेकर जाने लगे तो जांच में सामने आया कि इनका लीवर डेमेज नहीं है, लीवर ट्र्रांसप्लांट की जरूरत नहीं पड़ेगी। अस्पताल से कोई बिल भी नहीं बना। कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने उनको मंच पर बुलाकर बेल पत्र दिया।
पिता का कैंसर रोग हो गया ठीक
पं. प्रदीप मिश्रा ने पुष्पा गंगवार की चिट्ठी पढ़कर सुनाई। चिट्ठी में लिखा था गुरुदेव मेरे पिता हेमराज गंगवार को ब्लड कैंसर था। मैने आपकी कथा सुनी। इसके बाद मां के साथ काशी गई। बाबा के दर्शन किए। आपकी कथा में धनवंतरि कुंए का वर्णन सुना था।मैं वहां से उसका जल लेकर लेकर आई। एक महीने तक भगवान शिव का जाप करते हुए उस जल को पिता को पिलाती। 1 महीने बाद मेरी माता सिहोर पहुंची और वहां से रुद्राक्ष लेकर आई। भगवान शिव के नाम का जाप करके एक महीने तक उसका जल पिता को पिलाया।दो महीने डॉक्टरों ने चेकअप किया तो उन्होंने बताया कि अब वे ठीक हैं, किसी दवाई की जरूरत नहीं है। पुष्पा गंगवार को मंच पर बुलाकर उनको बेल पत्र देते हुए आशीर्वाद दिया।
रुद्राक्ष और तुलसी की माला दोनों पहन सकते हैं
कुसुम राजबाला शास्त्रीनगर मेरठ ने चिट्ठी में लिखा कि हम पंडाल में बैठे हैं। मेरा प्रश्न है कि हमने सुना है हरी और हर एक हैं। क्या मैं हरी के लिए तुलसी की माला और हर के लिए रुद्राक्ष पहन सकती हूं। प्रदीप मिश्रा ने कहा कि हरी और हर एक ही हैं।आप दोनों को पहन सकते हैं, कोई कहे कि तुलसी पहनने वाला रुद्राक्ष नहीं पहन सकता है तो वह गलत कहता है। नारायण की तुलसी भी गले में धारण कर सकते हैं। भगवान शिव का रुद्राक्ष भी धारण कर सकते हैं। राम भी हमारे हैं, श्याम भी हमारे हैं और काशी में रहने वाले बाबा भी हमारे हैं।
पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि आज कथा का चौथा दिन है। ये बहुत महत्वपूर्ण है। व्यक्ति का जीवन चार भाग में होता है। बचपन, जवानी, अधेड़ और बुढ़ापा। उन्होंने कहा कि बचपन, जवानी और अधेड़ जीवन कैसे भी बीत जाए लेकिन बुढ़ापा नहीं बिगड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य की असली उम्र 40 साल है। इसके बाद उसको 20 साल गधे की उम्र मिली। इसके बाद उसको 20 साल कुत्ते की उम्र मिली है। इसके बाद 20 साल उल्लू की उम्र मिलती है।40 साल तक मनुष्य खूब मजे करता है। घूमता है। खूब खाता-पीता है। लेकिन 40 के बाद मनुष्य की गधे की 20 साल की उम्र शुरू हो जाती है। परिवार के बोझ शुरू हो जाते हैं। बच्चों की पढ़ाई, उनकी शादी और भी काम शुरू हो जाते हैं। 60 साल के बाद 80 साल तक की उम्र कुत्ते की लग जाती है।फिर उसको कमरा छोड़कर हॉल में चले जाना पड़ता है। बाहर दरवाजे के पास खाट डल जाती है। कुर्सी डल जाती है। जैसे कुत्ता रहता है, वैसे इंसान को रहना पड़ता है। 80 की उम्र के बाद 100 साल तक उल्लू की उम्र लग जाती है, फिर नींद नहीं आती।
घर में वस्तु मत बढ़ाओ, लेकिन व्यवहार जरूर बढ़ाओ
भगवान शंकर की कथा कहती है कि आप चाहे 40 के हो जाओ, चाहे 60 के हो जाओ चाहे 80 के हो जाओ चाहे 100 के हो जाओ, अपने घर के अंदर वस्तु बढ़ाओ मत बढ़ाओ लेकिन अपना व्यवहार जरूर बढ़ाओ। घर का सामान कम है तो चलेगा लेकिन अगर व्यवहार कम हो गया तो वस्तु किसी काम की नहीं।उन्होंने पूछा कि दुकान कैसे चलती है। पड़ोसी की दुकान भी भरी हुई है, लेकिन चलती उसकी ही अच्छी है जिसका व्यवहार अच्छा होता है। अपने व्यवहार को इतना बढ़ाओ कि दुनिया आपके पास आए। व्यवहार में मन साफ होना चाहिए, सत्यता होनी चाहिए।
60 के बाद वाणी को संयम में रखो, मीठा बोलोगे तो शुगर नहीं होगी
उन्होंने कहा कि 60 वर्ष के बाद आपके सिग्नेचर ऑफिस में नहीं चलते तो घर में क्यों चलाते हो। 60 के बाद घर में बच्चों की तरह रहो। चिड़चिड़ापन बंद करो। बस ये याद रखो कि 60 वर्ष के बाद अपनी वाणी को संयम में रखो।
उन्होंने कहा कि आजकल सबसे ज्यादा बीमारी शुगर की है। बुजुर्गों से पूछो कि पहले इतनी शुगर होती थी क्या। चाय भी खूब मीठी पीते थे। लेकिन शुगर नहीं होती थी मीठा बोलते थे तो शुगर निकल जाती थी। मीठा बोलोगे तो शुगर का लेवल कम होता रहेगा। बुढ़ापे को खुश होकर जीयो, बस इतना ध्यान रखना कि वाणी और व्यवहार में हमेशा संयम रखो।
काम निकालने वाले बहुत गुणगान करते हैं
जब किसी को आपसे काम निकालना होता है तो वह आपका गुणगान करता है। सावधान रहो। कोई बहुत ज्यादा प्रशंसा करे तो हाथ जोड़ लो। मन में भगवान शंकर को ध्यान लगाओ और कहो कि जो भी हो रहा है वो आपका है। मेरा कुछ नहीं है।
जिस घर में स्त्री का सम्मान नहीं वहां रिद्धि, सिद्धि समृद्धि नहीं आती
उन्होंने कहा पत्नी को ही धर्म पत्नी कहा जाता है पति को नहीं इसलिए कि पत्नी खुद के लिए नहीं जीती। वह एक मां बहन, बेटी, सास के लिए जीती है। व्रत भी करती है तो पति और बच्चे के लिए करती है। अपना घर छोड़कर ससुराल चली जाती है।
स्त्री स्वयं के लिए नहीं जीती। पूरा जीवन परिवार को दे दती है। स्त्री को इसके बदले क्या चाहिए सिर्फ आदर चाहिए। माता पार्वती को शंकर से क्या चाहिए थे, कुछ नहीं उन्हें सिर्फ आदर मिला। भगवान शंकर ने जितना आदर अपनी पत्नी को दिया उतना कोई नहीं दे पाया।
स्त्री को क्या चाहिए सिर्फ आदर चाहिए। भगवान शंकर के मंदिर में पार्वती का सम्मान उनसे ऊपर होता है। पार्वती को सम्मान दिया तो उनको रिद्धि, सिद्धि समृद्धि मिली। जिस घर में नारी का सम्मान होता है वहां पर रिद्धि, सिद्धि समृद्धि आती है।
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