महिला अस्मिता का पक्ष

इलमा अजीम 
मैरिटल रेप, यानी पत्नियों के ऊपर यौन हिंसा जायज है या फिर नाजायज, इसको लेकर चर्चा जोरों पर है। आखिर मैरिटल रेप क्या है? भारतीय न्याय संहिता के तहत अगर कोई पुरुष किसी महिला की सहमति के बगैर उसके साथ संबंध बनाता है तो यह बलात्कार है। इसके लिए कम से कम दस साल की सजा का प्रावधान है और कुछ मामलों में यह सजा उम्रकैद भी हो सकती है। हालांकि बिना सहमति के कोई व्यक्ति अगर अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाए और अगर पत्नी की उम्र 18 साल या उससे अधिक है तो यह कानूनन बलात्कार नहीं है। इस समय यह ज्वलंत मुद्दा देश की न्याय व्यवस्था के समक्ष विचाराधीन है। भारत उन तीन दर्जन देशों में से एक है जहां शादी के बाद अपनी पत्नी से बिना मंजूरी के संबंध बनाने को बलात्कार नहीं माना जाता है। 


दुनिया के 185 देशों में से, 77 देशों में मैरिटल रेप पर कानून बना है। बाकी 108 देशों में से 74 देश ऐसे हैं जहां महिलाओं को रिपोर्ट दर्ज कराने का अधिकार है, जबकि भारत समेत 34 देश ऐसे हैं जहां पत्नी से रेप करने वाले पति को समाज के साथ कानून भी दोषी नहीं मानता है। इंटीमेसी यानी कामुकता और सेक्स संबंध पति-पत्नी के रिश्ते का अहम पहलू है, लेकिन अगर पति-पत्नी के बीच दुष्कर्म की बात कही जाए तो शायद कुछ लोग इसे मानने से इनकार करेंगे। लेकिन मैरिटल रेप पर हमारे देश में आए दिन चर्चाएं हो रही हैं। मैरिटल रेप यानी जब पति पर अपनी ही पत्नी के दुष्कर्म के आरोप लगें। जब पति ही पत्नी का शारीरिक शोषण करे, तो अनेक सवाल खड़े हो जाते हैं। अब आप कहेंगे कि पति-पत्नी के बीच तो शारीरिक संबंध होते ही हैं, तो फिर यह मैरिटल रेप दुष्कर्म कैसे हुआ? दरअसल मैरिटल रेप को लेकर हमारे देश में दो मत हैं। एक वर्ग का मानना है कि मैरिटल रेप जैसे कानून के आने के बाद इसका गलत इस्तेमाल किया जाएगा, क्योंकि शादी से जैसे रिश्ते में यह तय करना कि कब रेप हुआ है और कब नहीं, बेहद मुश्किल है।

 मैरिटल रेप के आरोपी को अपने आपको निर्दोष साबित करने में कठिनाई होगी। साथ ही कुछ पत्नियों द्वारा कानून का ज्यादातर दुरुपयोग किया जाएगा। वहीं महिला संगठन इसे महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जरूरी मानते हैं। उनका मानना है कि मैरिटल रेप स्त्री-पुरुष के बीच एक मनोविकार है। वैवाहिक जीवन में संतुष्टि का आनंद तभी मिलता है जब स्त्री और पुरुष के बीच सहमति होती है। लेकिन असहमति तमाम विद्वेष और विकारों को जन्म देती है। इस तरह की हरकत से स्त्री की निगाह में पुरुष गिर जाता है। उस स्त्री की नजरों में देवता बना पति दानव बन जाता है। यूं तो किसी भी वैवाहिक संबंध में पति और पत्नी लगातार एक-दूसरे से उचित यौन संबंध की अपेक्षा रखते हैं। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि पति अपनी पत्नी के शरीर की आजादी को हिंसक तरीके से भंग कर सकता है। यौन हिंसा को लेकर बड़े स्तर पर अलग-अलग देशों के कानून में प्रगतिशील बदलाव देखे गए हैं। अब भी दुनिया के एक बड़े हिस्से में इस अवधारणा को सामाजिक स्वीकृति मिली हुई है कि शादी के रिश्ते में सेक्स के लिए सहमति का कोई महत्व नहीं है। दूसरी तरफ आज की तारीख में 150 देशों में मैरिटल रेप को अपराध घोषित किया जा चुका है। प्रथाओं के चलते, अपने देश में कुछ खास दिनों में सेक्स से परहेज अनिवार्य होता था। शादीशुदा जिंदगी में पुरुषों को इस तरह के हालात से बचना चाहिए, क्योंकि यह वैवाहिक रिश्तों का एक शर्मनाक पहलू है। जब यौन संतुष्टि यौन हिंसा में बदल जाए तो स्त्री-पुरुष संबंध अच्छे नहीं हो सकते। 

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