फेफड़े के स्वास्थ्य और कार्य को जानना अत्यंत महत्वपूर्ण: विशेषज्ञ
मेरठ । विश्व सीओपीडी दिवस 2024 के अवसर पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि फेफड़े के स्वास्थ्य और कार्य को जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह इस साल की थीम अपने लंग फंक्शन को जानें के अनुरूप है। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर में होने वाली मौतों में गैर-संचारी रोग का हिस्सा 74 प्रतिशत है। सीओपीडी जैसी श्वसन संबंधी क्रॉनिक बीमारी स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालती है खासकर भारत में। सीओपीडी सबसे प्रचलित लेकिन कम पहचानी जाने वाली श्वसन संबंधित बीमारी है, जो लगभग 55 मिलियन भारतीयों को प्रभावित करती है और ग्लोबल बर्डन ऑफ़ डिजीज़ स्टडी 2019 के अनुसार भारत में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है। विश्व सीओपीडी दिवस 2024 का उद्देश्य सीओपीडी के बारे में जागरूकता बढ़ाना और फेफड़ों की शुरुआती देखभाल के महत्व को उजागर करना है। यह एक वैश्विक पहल के रूप में कार्य करता है, जिसमें बेहतर स्वास्थ्य परिणामों के लिए रोगियों और उनके परिवारों के लिए सहायक नेटवर्क की आवश्यकता है। ब्रीदफ्री जैसी पहलें, भौतिक और डिजिटल संसाधन मुहैया कराती हैं।
फेफड़े के कार्य परीक्षण के महत्व पर बोलते हुए मेरठ के कंसल्टेंट चेस्ट और फेफड़े के विशेषज्ञ डॉ. अमित अग्रवाल ने कहा सीओपीडी जैसी क्रोनिक श्वसन बीमारी के प्रभावी प्रबंधन और आगे की जटिलताओं को रोकने के लिए बीमारी का शुरू में ही पता चल जाना और उपचार शुरू करना महत्वपूर्ण है। स्पाइरोमेट्री, फेफड़ों का एक कार्य परीक्षण है, जो फेफड़ों द्वारा धारण की जा सकने वाली हवा की मात्रा और आप व्यक्ति जल्दी सांस छोड़ सकते हैं, को मापता है। यह सीओपीडी का जल्दी पता लगाने या इससे पहले कि यह गंभीर हो जाए, के लिए महत्वपूर्ण है।
सीओपीडी के प्रबंधन में जागरूकता की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. वीरोत्तम तोमर, इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट, ब्रोंकोस्कोपिस्ट, ईबीयूएस, स्लीप एंड क्रिटिकल के एक्सपर्ट, मेरठ ने बताया सीओपीडी प्रबंधन का लक्ष्य रोग की प्रगति को धीमा करना और फेफड़ों की कार्यक्षमता में गिरावट को कम करना है। भारत में 2022 में किए गए एक बड़े बहुकेंद्रिय ग्रामीण आबादी-आधारित अध्ययन के अनुसार, सीओपीडी के लगभग दो-तिहाई मामलों का पता नहीं चल पाया है और केवल पांचवें हिस्से को उचित उपचार मिल रहा है। जागरूकता बढ़ाने से जान बचाई जा सकती है।
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