महंगे सोने-चांदी से सांसत में उपभोक्ता

- अनुज आचार्य
भारतवर्ष में प्रकाशोत्सव दीपावली का पर्व धूमधाम से संपन्न हो गया। भारत को कभी सोने की चिडिय़ा कहा जाता था। शायद ऐसा बोलने से आशय शताब्दियों पूर्व भारत धनधान्य सोने-चांदी, पशुधन और खाद्य पदार्थों के मामले में विश्व भर में भरपूर सम्पन्न एवं आत्मनिर्भर रहा होगा। भारतीय धर्म संस्कृति एवं स्थानीय रीति-रिवाजों के हिसाब से भारतीयों में सदैव सोने के प्रति दीवानगी एवं आकर्षण पाया गया है। हमारे देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के श्रृंगार में हीरे जवाहरात और सोने के आभूषणों का प्रयोग बहुतायत में देखा जा सकता है।
भारतीय महिलाओं द्वारा शादी और धार्मिक अनुष्ठानों अथवा विशेष कार्यक्रमों में आभूषणों द्वारा अपना श्रृंगार करना अभी भी प्रचलन में है। भारत में सोने का आयात मुख्य रूप से आभूषण उद्योग की मांग को पूरा करने के लिए किया जाता है। वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में सरकार ने सोने और चांदी पर सीमा शुल्क 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया था, तथापि सोने-चांदी के दाम निरंतर नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि इस बार धनतेरस पर 36 टन सोने की बिक्री हुई है और इसमें 20 फीसदी का उछाल देखा गया है। इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के अनुसार इस धनतेरस पर 28000 करोड़ रुपए के 36 टन सोने की बिक्री हुई है।



इस धनतेरस पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने भी लंदन से 102 टन सोना भारत वापस शिफ्ट कर लिया है। आपको बता दें कि सितंबर के अंत में आरबीआई के पास कुल 855 टन सोना था। इसमें से 510.5 टन सोना देश में रखा गया है। आजकल आसमान छूती सोने-चांदी की कीमतों के चलते अपने बच्चों की शादी की तैयारियों में जुटे अभिभावकों में भय और असमंजस का माहौल व्याप्त है। बेहतर रिटर्न के दृष्टिकोण से भी लोग सोने की खरीददारी कर उसमें अपना धन निवेश कर रहे हैं। इस समय सोने में निवेश से 57 फीसदी से ज्यादा रिटर्न भी मिल रही है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक भारत में आम लोगों के पास करीब 25000 टन सोना है, जिसमें से अकेले भारतीय महिलाओं के पास 20000 टन सोना है। भारत में सोने का सालाना उत्पादन पंद्रह सौ किलोग्राम के आसपास है जबकि भारत हर साल 750 टन सोना आयात करता है। सोने के दामों में आगे कोई कमी आएगी, इस पर भी संशय बरकरार है। दुनिया भर में कुल सोने का 48 फीसदी जेवरात के रूप में लोगों के पास है। विश्व भर में अब तक 1 लाख 90 हजार 40 टन सोना निकाला गया है, जिसमें से 01 लाख 26 हजार टन सोना तो केवल 1950 के बाद ही खनन द्वारा उत्पादित किया गया है। इसके अलावा मुथूट फाइनेंस, मणपुरम फाइनेंस जैसे निजी बैंकों के पास भी 200 टन सोना है।



मंदिरों के पास भी करीब 2500 टन सोना है। अकेले तिरुपति स्थित बालाजी मंदिर ट्रस्ट के पास 300 टन सोना होने का अनुमान है। दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उत्पादक देश चीन है और इसकी दुनिया के सोने के उत्पादन में 11 फीसदी की हिस्सेदारी है। साल 2023 में चीन ने 370 मीट्रिक टन सोना उत्पादित किया था।

विश्व में अन्य प्रमुख सोने के उत्पादक देशों में ऑस्ट्रेलिया, रूस, कनाडा, क्यूबा और फिलीपींस आदि हैं। एसोचैम के अनुसार भारत की सोने की घरेलू मांग सालाना लगभग 900 टन है जबकि उत्पादन मात्र 1500 किलोग्राम के आसपास ही है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक भारत अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकता है और इसके लिए भारत सरकार को लगभग एक अरब डॉलर का निवेश करना पड़ेगा। वहीं गोल्डमाइंस कम्पनी आस्ट्रेलिया के निदेशक निक स्पेंसर का मानना है कि भारत हर साल 100 टन सोने का उत्पादन कर सकता है और इस प्रक्रिया में देश के एक लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सकता है।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग ने राजस्थान के उदयपुर जिले में सोने के लगभग 11.48 करोड़ टन सोने के भंडार का अनुमान लगाया है। देश का 88.7 फीसदी सोना कर्नाटक के कोलार, धारवाड़, हासन और रायचूर जिलों से निकाला जाता है। कर्नाटक में 17 लाख टन सोने के अयस्क का भंडार है तो वहीं आंध्रप्रदेश, झारखंड और केरल से भी कुछ मात्रा में सोना निकाला जा रहा है। उत्पादन के लिहाज से दुनिया में सोने की सबसे बड़ी खदान उज्बेकिस्तान के मुरुताऊ में है।

2015 में यहां से 61 टन सोना निकाला गया था। विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले दिनों में सोने-चांदी के दामों में और तेजी देखने को मिलेगी। सर्राफा व्यापारियों के अनुसार पहले लंबे समय तक इन कीमती धातुओं के दाम स्थिर रहते थे और खरीददारों में संतुष्टि का भाव रहता था कि जरूरत पडऩे पर खरीद लेंगे। लेकिन बीते कुछ वर्षों से इन धातुओं के अंतरराष्ट्रीय बाजारों और शेयर मार्केट के साथ संबद्ध होने के चलते इनके दामों में तेजी दर्ज की जा रही है। भारत सरकार घरेलू मांग को पूरा करने के लिए 90 फीसदी से ज्यादा सोने का आयात करती है जिस पर बहुमूल्य विदेशी मुद्रा खर्च होती है।



 आसमान छूती सोने-चांदी की कीमतों से स्वर्ण कारोबारियों के साथ-साथ शादियों एवं मांगलिक कार्यों हेतु आभूषण खरीदने वाले लोगों की धुकधुकी बढ़ी हुई है। उम्मीद है कि केंद्र सरकार शीघ्र ही आभूषण उद्योग एवं स्वर्णकारों के साथ-साथ घरेलू उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करते हुए सोने-चांदी के दामों को नियंत्रित करने के उपायों पर काम करेगी। यदि आने वाले महीनों में इसी प्रकार सोने-चांदी के दामों में बढ़ोतरी होती रही तो निश्चित रूप से मध्यम एवं निम्न आय वर्ग वाले भारतीयों के लि यह संकट और जोखिम का समय होगा।

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