अनुसंधान पद्धतियों एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन

मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के कला एवं समाज विज्ञान संकाय के अंतर्गत मानविकी एवं उदार कला विभाग ने "सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान विधियाँ" विषय पर एक अतिथि व्याख्यान और कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों के कौशल विकास और गुणवत्ता संवर्धन पर जोर देना था। इस अवसर पर प्रमुख वक्ताओं के रूप में प्रसिद्ध विद्वान डॉ. कुलदीप सिंह तोमर और डॉ. रविकांत सरल उपस्थित रहे, जिन्होंने सामाजिक विज्ञान अनुसंधान में उन्नत पद्धतियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी और व्यावहारिक अनुभव साझा किए।

डॉ. कुलदीप सिंह तोमर ने अपने प्रस्तुतिकरण में अनुसंधान डिजाइन, डेटा संग्रह विधियाँ और नैतिक विचारों जैसे महत्वपूर्ण विषयों को कवर किया, जिससे छात्रों और शिक्षकों को सामाजिक विज्ञान अनुसंधान की बारीकियों को समझने में मदद मिली। उनके मार्गदर्शन ने शोध की पद्धतिगत दृढ़ता और वैज्ञानिक अन्वेषण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शोध का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यह नीति शिक्षा को शोध-आधारित और नवाचार-प्रेरित बनाने पर जोर देती है, जिससे छात्रों और शिक्षकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित किया जा सके। नई नीति के तहत राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF) की स्थापना का प्रस्ताव है, जो उच्च शिक्षा में शोध को बढ़ावा देने, अनुदान प्रदान करने, और वैश्विक स्तर पर भारत के शोध कार्यों को प्रतिस्पर्धात्मक बनाने का कार्य करेगा। इससे शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता और नवीनता आएगी, जो देश के समग्र विकास में सहायक होगी।

डॉ. रविकांत सरल, जिन्होंने सामाजिक अनुसंधान के व्यावहारिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया, ने डेटा विश्लेषण और व्याख्या के व्यवहारिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। उन्होंने दिखाया कि कैसे अनुभवजन्य अनुसंधान सामाजिक समझ और नीति निर्माण को प्रभावित कर सकता है। उनके कार्यशाला में छात्रों ने विभिन्न अनुसंधान उपकरणों और तकनीकों का वास्तविक समय में उपयोग करके सक्रिय रूप से भाग लिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता मानविकी एवं उदार कला विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी ने की, जिन्होंने छात्र के अकादमिक और पेशेवर विकास में अनुसंधान के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने विभाग की बौद्धिक विकास और जिज्ञासा को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया और इस प्रकार के कार्यक्रमों को शोध-उन्मुख सोच को विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण बताया।कार्यक्रम का सफल संचालन सहायक प्रोफेसर डॉ. अमृता चौधरी ने किया। डॉ. चौधरी के कुशल संचालन ने सभी प्रतिभागियों के लिए एक सहज अनुभव प्रदान किया।

डॉ. अनुज, डॉ. मोनिका मेहरोत्रा, डॉ. दुर्वेश कुमार, डॉ. नियति गर्ग, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. लवली, डॉ. रूबी, और श्री कौशेंद्र सिंह सहित विभाग के अन्य शिक्षक भी सक्रिय रूप से कार्यक्रम में शामिल रहे, जो विभाग में गुणवत्ता शिक्षा और कौशल विकास के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।इस कार्यशाला में छात्रों में हुजैफा, हरप्रीत, अनुष्का , ऐलिस, मनजीत, पुनीत, अतुल, अलीश, शिवानी, काव्यांश, मोनू, शौर्य, अभिराज, और दीपक ने भी भाग लिया। उनकी भागीदारी ने यह स्पष्ट किया कि वे भविष्य में अकादमिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अनुसंधान कौशल में सुधार के प्रति प्रतिबद्ध हैं।

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