आज के प्रगतिवाद के युग में आरिफ नकवी एक खुली किताब की मिसाल थे। : कुद्दूस जावेद

 प्रगतिशीलता के प्रमुख और आखिरी स्तंभ आरिफ नकवी भी अब हमें छोड़कर चले गए। : प्रो. असलम जमशेदपुरी 

 प्रगतिशील आंदोलन के चलते-फिरते विश्वकोश थे आरिफ नकवी। : इरफान   आरिफ 

 मेरठ। प्रगतिशीलता के प्रमुख और अंतिम स्तंभ आरिफ नकवी भी अब हमें छोड़कर चले गये।  आरिफ नकवी ने न केवल कई विधाओं में हाथ आजमाया बल्कि वैश्विक स्तर पर उर्दू के प्रचार-प्रसार के लिए व्यावहारिक संघर्ष भी किया।  उनका भारत से अभिन्न और गहरा संबंध था। वह इंटरनेशनल यंग उर्दू रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन के संरक्षक थे। हाल ही में उनकी तस्वीरों का एक एल्बम 'यादें' प्रकाशित हुआ था, जिसमें उनकी कई यादें शामिल हैं। प्रसिद्ध लेखक आरिफ नकवी के निधन पर  बैठक को संबोधित करते हुए प्रो. कुद्दूस जावेद ने शोक व्यक्त करते हुए  कहा कि आरिफ नकवी का निधन एक युग का अंत है जिसे हम प्रगतिवाद कहते हैं. उनका निधन उर्दू साहित्य जगत की एक बड़ी क्षति है, जिसे भरने में समय लगेगा।

  डॉ. शादाब अलीम ने कहा कि आरिफ नकवी का निधन आयुसा की व्यक्तिगत क्षति है।  यह शोक सभा इंटरनेशनल यंग उर्दू रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन, तहरीक बाक़े उर्दू और उर्दू विभाग चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ के सहयोग से उस अज़ीम शख्सियत को श्रद्धांजलि देने के आयोजित की गई थी, जो न केवल जर्मनी, यूरोप, बल्कि पूरी दुनिया को उर्दू का जनक माना जाता था।

 इरफान आरिफ ने कहा कि आरिफ नकवी का निधन मेरी व्यक्तिगत क्षति है। मैं मेरठ विश्वविद्यालय से प्रगतिशील आंदोलन और आरिफ नकवी की उपलब्धियों पर शोध कर रहा हूं। मुझे लगता है कि आरिफ नकवी प्रगतिशील आंदोलन के चलते-फिरते विश्वकोश थे।

 बैठक में अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. आसिफ अली ने कहा कि आरिफ नकवी का निधन हम सभी के लिए अफसोस और दुख का विषय है। इस अवसर पर डॉ. इरशाद स्यानवी ने भी बेहद अफसोस जताया और कहा कि आरिफ नकवी का जाना इस स्थान से समकालीन उर्दू साहित्य की बहुत बड़ी क्षति हुई है।

 तहरीक अदब के संपादक डॉ. जावेद अनवर ने ऑनलाइन बातचीत करते हुए कहा कि आरिफ नकवी से मेरे व्यक्तिगत संबंध थे, मैंने उन पर एक कॉलम प्रकाशित किया और उनकी कई किताबें भी छापीं।

इस मौके पर 'बनात' की अध्यक्ष डॉ. निगार अजीम ने कहा कि आरिफ नकवी का व्यक्तित्व बेहद आकर्षक था, बड़प्पन उनमें कूट-कूट कर भरा था, वह उर्दू और लखनऊ सभ्यता की जीती जागती मिसाल थे, इस मौके पर उनका निधन हम सबके लिए व्यक्तिगत क्षति है। आयुसा की अध्यक्ष प्रो. रेशमा परवीन ने कहा कि आरिफ चाचा का निधन मेरे लिए बड़ा सदमा है. एक साल पहले शारिब चाचा का निधन हो गया था,जो न सिर्फ साहित्य के लिए बल्कि उर्दू पत्रकारिता दोनों के लिए बड़ी क्षति है ।

 इस अवसर पर फारूक शाह बुखारी, सईद सहारनपुरी, खुर्शीद हयात, डॉ. अलका वशिष्ठ, मुहम्मद शमशाद, सैयदा मरियम इलाही, फैजान जफर, डॉ. किफायत कीफी, डॉ. मजीद और शादाब अहमद सहित कई अन्य विद्वानों ने इस शोक सभा में भाग लिया।

No comments:

Post a Comment

Popular Posts