सख्त कदम की जरूरत
इलमा अजीम
आवागमन और परिवहन के मामले में देश की जीवनरेखा कही जाने वाली भारतीय रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के साथ रेलगाडिय़ों को पटरी से उतारने की निरंतर हो रही घटनाएं चिंता पैदा करती हैं। सवाल उठना स्वाभाविक है कि जो घटनाएं सामने आई हैं वे किसी साजिश का हिस्सा हैं या फिर सिरफिरों की खुराफात। इसके पीछे की मंशा का पता लगाना भी रेलवे की सुरक्षा के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। पिछले एक साल की घटनाओं पर ही नजर डालें तो लम्बी फेहरिस्त बन जाती है। वंदे भारत ट्रेन पर पथराव की कई घटनाएं हो चुकी हैं।
गत वर्ष चित्तौडग़ढ़-भीलवाड़ा रेलवे ट्रैक पर सोनियाना और गंगरार के बीच रेल ट्रैक पर पत्थर रखकर वंदे भारत ट्रेन को पटरी से उतारने की कोशिश की गई थी। प्रयागराज में रेलवे ट्रैक पर 5 किलो का सीमेंट ब्लॉक रखकर वंदे भारत ट्रेन को बेपटरी करने का प्रयास किया गया था। रविवार को ही कानपुर और अहमदाबाद मार्ग पर जिस तरह से रेलवे ट्रैक पर बाधा उत्पन्न की गई, उसका पता लगाना भी जांच एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती है।
कानपुर के पास प्रयागराज से भिवानी जा रही कालिंदी एक्सप्रेस के ट्रैक पर तो रसोई गैस से भरा सिलेंडर रखा गया था। ट्रैक के पास ही पेट्रोल से भरी बोतल, माचिस और एक थैले में ज्वलनशील पदार्थ का मिलना कोई साधारण बात नहीं है। इसी प्रकार अहमदाबाद मार्ग पर सराधना-बांगड़ स्टेशन के बीच दो जगहों पर ट्रैक पर सीमेंट के 70 किलो के दो ब्लॉक मिलना भी सामान्य घटना नहीं कही जा सकती। यह तो शुक्र है कि लोको पायलट की सतर्कता से दोनों ही स्थानों पर कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। ऐसी घटनाओं ने बता दिया है कि रेलवे सुरक्षा प्रणाली को और अधिक सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। ट्रैक की सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक तकनीकों, ड्रोन सर्विलांस, सीसीटीवी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित निगरानी प्रणाली का उपयोग किया जा सकता है।
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