मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत - डॉ मनोज कुमार त्रिपाठी
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के उपलक्ष्य में अतिथि व्याख्यान का आयोजन
मेरठ। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर डिपार्टमेंट ऑफ़ लिबरल आर्ट्स एंड हुमानिटीज़, फैकल्टी ऑफ़ आर्ट्स एंड सोशल साइंसेज, स्वामी विवेकानंद सुभारती यूनिवर्सिटी मेरठ में एक विशेष अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस वर्ष का विषय चेंजिंग दी नैरेटिव ऑन सुसाइड विथ दी कॉल टू एक्शन स्टार्ट दी कन्वर्सेशन रहा।
डॉ नियति गर्ग ने सबका स्वागत करते हुए कार्यक्रम का शुभारम्भ किया| विभागाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार त्रिपाठी ने डॉ राहुल बंसल को पौधा भेट कर उनका विधिवत स्वागत किया।
डॉ नियति गर्ग ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि इस व्याख्यान मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने और आत्महत्या रोकथाम के महत्व को रेखांकित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।
इस व्याख्यान के मुख्य अतिथि और प्रमुख वक्ता के रूप में जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ प्रोफेसर विवेक कुमार सिंह और डॉ स्वालेह मुजवर ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।कार्यक्रम की शुरुआत लिबरल आर्ट्स एंड हुमानिटीज़ विभाग के बच्चो ने एक छोटी सी नुक्कड़ नाटिका से किया जिसमे उन्होंने दिखाया कि किस तरह प्रतियोगिता परीक्षाओ में अपने आप को साबित करने का दबाव युवाओं को आत्महत्या जैसा वीभत्स कदम उठाने को मजबूर कर देता है| और परिवार का साथ उस समय में कितना जरुरी है|ख्य अतिथि और प्रमुख वक्ता ने अपने संबोधन में आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की और कहा कि मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है।
डॉ. मुजवर ने कहा किआत्महत्या एक गंभीर सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हमें अपने समाज में ऐसे लोगों की पहचान करनी चाहिए जो मानसिक तनाव, अवसाद या निराशा के शिकार हैं और उन्हें समय पर मदद प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आत्महत्या एक गंभीर सामाजिक समस्या है जिसका समाधान करने के लिए सरकार, स्वास्थ्य विशेषज्ञ और समुदाय के सभी हिस्सों को मिलकर काम करना होगा।कार्यक्रम में विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्र, और शिक्षक शामिल हुए। वक्ताओं ने आत्महत्या रोकथाम के लिए जरूरी कदमों और रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की।डॉ. सिंह ने आत्महत्या के संकेतों को पहचानने, मदद मांगने के तरीकों और सामाजिक समर्थन के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया कि परिवार और दोस्तों का सहयोग आत्महत्या रोकथाम में अहम भूमिका निभा सकता है।कार्यक्रम के अंत में एक प्रश्नोत्तर सत्र का भी आयोजन किया गया, जिसमें उपस्थित लोगों ने अपने सवाल पूछे और डॉ. सिंह ने उन सवालों का उत्तर देकर उनकी शंकाओं का समाधान किया।डिपार्टमेंट ऑफ़ लिबरल आर्ट्स एंड हुमानिटीज़ के विभागाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार त्रिपाठी ने धन्यवाद् ज्ञापन दिया और इस ज्ञानवर्धक व्याख्यान के लिए उनकी सराहना की।यह आयोजन मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और आत्महत्या रोकने के लिए लोगों को प्रेरित करने में सफल रहा। यह व्याख्यान सभी के लिए अत्यंत प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक सिद्ध हुआ।
कार्यक्रम के अंत में छात्रों और शिक्षकों ने इस तरह के और भी व्याख्यानों की मांग की ताकि मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में अधिक जानकारी प्राप्त हो सके।कार्यक्रम में मंच सञ्चालन कार्यक्रम समन्वयक डॉ नियति गर्ग ने किया| फैकल्टी ऑफ़ आर्ट्स एंड सोशल साइंसेज के डीन डॉ सुधीर त्यागी और डिपार्टमेंट ऑफ़ लिबरल आर्ट्स एंड हमनीटीएस के विभागध्यक्ष डॉ मनोज कुमार त्रिपाठी के मार्गदर्शन में आयोजित इस अतिथि व्याख्यान में डॉ दुर्वेश कुमार, और डॉ मोनिका मेहरोत्रा का विशेष योगदान रहा| छात्रों में इफरा, अरमान, उज्जवल, वंशिका, अस्मत, शिवयांशी, समृद्धि, लीशा, देविका, नबिहा, ययाति, जाह्नवी, जानवी, अमन, अंशिका, भावी, और ज्योति का योगदान सराहनीय रहा| विभाग से डॉ सरताज अहमद, और डॉ अमृता चौधरी, भाषा विभाग से डॉ आशीष कुमार, डॉ मनीषा लूथरा, और मनोचिकित्सा विभाग से डॉ अतुल त्यागी आदि उपस्थित रहे| कार्यक्रम में फैकल्टी ऑफ़ आर्ट्स एंड सोशल साइंसेज के 55 बच्चो ने प्रतिभाग किया|
No comments:
Post a Comment