शांति, सखाभाव सामंजस्य से रिश्तें प्रगाढ़ करने चाहिए

सपना सीपी 

 भारत के बंटे हिस्से पाकिस्तान से कटकर 26 मार्च 1971 में बना हमारा पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश है। जिसमें 5 अगस्त, 2024 को शेख हसीना की लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट हो गया। जिसे देखकर भारत ही नहीं पूरा विश्व अवाक रह गया, क्योंकि विश्वभर को लग रहा था कि वह खुशहाल देश है जो छोटा होकर भी तरक्की की राह पर है। वैसे तख्तापलट का कारण ऊपरी तौर से आरक्षण को लेकर छात्रों में असंतोष बताया गया है, लेकिन जैसे-जैसे वहां के आंदोलन का स्वरूप भारत और विश्व के सम्मुख आया है तो यह तथ्य सिर्फ एक ही कारण नहीं है, यह स्पष्ट रूप से पता चल रहा है। खैर, इस घटना से बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद ने विश्व के 56 मुस्लिम देशों में नहीं बल्कि भारत में शरण ली है। जो बताता है कि भारत सुरक्षित, शक्तिसंपन्न राष्ट्र है। वह वसुधैव कुटुम्बकम के भाव वाला अच्छा पड़ोसी है। लेकिन वहां के नए प्रधानमंत्री, समाजसेवी, अर्थशास्त्री, बैंकर, शांति नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनुस को मुसीबत में घिरी शेख हसीना का भारत द्वारा मदद करना सही नहीं लगा, जिससे कयास लगाए जा रहे है कि हमने अपना बांग्लादेश के रूप में मित्र खो दिया है। लेकिन मोहम्मद युनुस को सोचना चाहिए कि जिस तरह के उन्मादी, आक्रोशित, व्याभिचार के दृश्य बांग्लादेश से भारत सहित पूरे विश्व में प्रसारित हुए है ऐसे में अगर शेख हसीना की वहां हत्या की साजिश सफल हो जाती तो बांग्लादेश की पूरे संसार में छवि धूमिल हो जाती। वहां पर जो अल्पसंख्यक हिंदूओं व अन्य कम आबादी पर जैसे भी अमानवीय अत्याचार हो रहे है वह दृश्य सांप्रदायिक हिंसा की सारी हदों को पार करते दिखा रहे है। वहां हिंदू मंदिर जलाए जा रहे है, बहुसंख्यक जन, हिंदू महिलाओं से बलात्कार कर रहे है, लोगों से मार काट कर यातनाएं दे रहे है। वहां जो भी हो रहा है वह बांग्लादेश और वहां के लोगो को ही नुकसान पहुंचा रहा है। शांति, सुरक्षा, सौहार्द, संगठित एकता वाले सफल, सुखी बांग्लादेश की छवि को धूमिल कर रहा है। 

वैसे शेख हसीना वाजेद ने यूं तो बांग्लादेश में सबसे लम्बे समय शासन किया और स्वयं के देश को शिक्षा, स्वास्थ, उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ाया पर कट्टरपंथी और छात्र आरक्षण की बात पर अपने ही देश को आग में झुलसा बैठे। कहते है पड़ोसी के घर में आग लगी हो तो लपटे हमारे घर की ओर भी तेजी से फैलती है, पर हमारे लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और उनकी एनडीए सरकार ने राष्ट्र में बहुत अच्छे से नियंत्रण बनाया हुआ है। भारत ने बांग्लादेश से सदैव मित्रता निभाई है। वह हमारा सबसे अच्छा पड़ोसी मित्र रहा है। जब कभी दोनों देशों में बदलती सरकारों से कोई विवाद भी हुए है तो हमने समझदारी, सहमती से सुलझाए है। सदैव शांति की राह पर चलने वाला भारत और सोनार बांग्लादेश कई दृष्टि से समानता और एक दूसरे पर आपसी निर्भरता रखता है। जिसमें राजनैतिक, भौगोलिक, सुरक्षात्मक, आर्थिक, व्यापारिक, पर्यावरण, स्वास्थ, सामाजिक, सांस्कृतिक,

रहन, सहन, भाषा, आचार, विचार व्यवहार सम्मिलित है। जहां तक द्विपक्षीय समझौते की बात है तो भारत के साथ से बांग्लादेश को सबसे अधिक लाभ है। राजनैतिक दृष्टि से देखें तो जब 1971 में बांग्लादेश बना था तो भारत ने दिल खोलकर मदद की थी। जो वहां अभी इस्काॅन मंदिर जलाया गया है वहां पूरे 6 माह मुफ्त में बांग्लादेशियों को भोजन करवाया गया था। शेख हसीना के पिता बांग्लादेश के संस्थापक शेख मजीर्बुरहमान से लेकर शेख हसीना तक भारत ने बांग्लादेश की हर संभव सहायता की है। यही आश्वासन भारत ने युनुस को भी दिया है। भारतीय उपमहाद्वीप में भारत सबसे अधिक व्यापार बांग्लादेश के साथ ही करता रहा है। अभी अनुमानित 1लाख 06 हजार करोड़ रुपये का व्यापार दोनों देश आपस में करते है। भौगोलिक दृष्टि से भी विश्व में पांचवे सबसे अधिक क्षेत्रफल 4096 किलोमीटर दायरे से भारत और बांग्लादेश आपस में जुडे़ हुए है, जिसे हम आपरेशन शून्य रेखा कहते है। वही बांग्लादेश और भारत सीमा में रेडक्लिफ रेखा भी बांधती है। बांग्लादेश से भारत के असम, त्रिपुरा, मेघालय, पश्चिम बंगाल राज्य जुड़ते है। हालांकि रोहिंग्याओं के कारण कुछ सीमा विवाद, अवैध घूसपैठ के मामले सामने आते रहते है पर दोनों देशों ने इसे समझदारी से सुलझाए है। दोनों ही देशों में सम्मिलित रूप से छोटी, बड़ी 54 नदियां बहती है। तीस्ता और फेनी नदी के पानी पर दोनों ही देश का समझौता भी हुआ है। वही बांग्लादेश को 2000 मेगावाट की बिजली आपूर्ति भारत करता है। भारत की आर्थिक मदद से रूपपुर में बांग्लादेश का परमाणु ऊर्जा केन्द्र बन रहा है। कारोबार के नज़रिए से तो भारत बांग्लादेश एक-दूसरे को आयात, निर्यात करते है। भारत लगभग 15,268 करोड़ रुपये का माल बांग्लादेश से लेता है और लगभग 91,614 करोड़ का माल प्रतिवर्ष निर्यात करता है। भारत ने बांग्लादेश‌ में करोड़ों डाॅलर का निवेश भी कर रखा है। बांग्लादेश से प्रतिवर्ष कई करोड़ लोग अपना ईलाज करवाने, उच्चशिक्षा पाने, देव‌दर्शन व पर्यटक के रूप में भारत में आते है। लेकिन तख्तापलट की विभीषिका से जो लोगों का पलायन हो रहा है वह शासकों, हुक्मरानों के लिए भीषण खतरा बन सकता है। आतंकी गुट सीमाओं को असुरक्षित कर सकते है। जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठन सक्रिय हो सकते है जो दोनों ही देशों की आंतरिक शांति के लिए खतरनाक है। 1971 से ही भारत, बांग्लादेश दोनों ही देशों के बढ़िया संबंधों पर चीन और पाकिस्तान बुरी नज़र गढ़ाए रहता है। तख्तापलट में बाहरी शक्ति अमेरिका का हाथ होना भी बताया जा रहा है और सत्ता लोलुपता के लिए भारत के विपक्ष को इसकी पूर्व से भनक के संकेत भी मिले है। ऐसे तो हिंदूओं पर हुए अत्याचारों से उठे सवालों पर बांग्लादेश से बाहर रह रही वहां की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया और वर्तमान के प्रधानमंत्री मोहम्मद‌ युनुस ने संकेत दिए है कि भारत की तरह बांग्लादेश धर्मनिरपेक्ष, गणतांत्रिक देश ही बना रहेगा। जो दोनों देशों के संबंधों की प्रगाढ़ता के अच्छे संकेत है। 



वर्तमान में बांग्लादेशी कार्यकारी प्रधानमंत्री युनुस भी जमीनी हकीगत के साथ हिंदूओं पर हुए अत्याचारों पर खेद प्रकट कर चुके है और भारत से सबसे अच्छी मित्रता का संकल्प ले चुके है क्योंकि वे खुद जानते है कि भारत जितना अच्छा मित्र मिलना बड़ी बात है। आगे, बांग्लादेश में हिंदूओं को सुरक्षित पुनर्स्थापित करना चाहिए। बाहरी ताकतों से बिना दिग्भ्रमित हुए वैमनस्यता मिटानी चाहिए। वहीं भारत जो सदैव सर्वे भवन्तु सुखिनः के भाव से भरा देश है जिसका विश्वभर में आदर है, जो अपने सभी पड़ोसियों के साथ कभी आगे बढ़कर बुरा नहीं करता है तो ऐसे में दोनों ही देशों को आगे शांति, सखाभाव, सुरक्षा, सामंजस्य की राह पर सारे बैर भूलाकर आगे बढ़ते हुए पूर्ववत या उससे अधिक प्रगाढ़ रिश्ते बनाना चाहिए। यही दोनों देशों के सर्वागीण विकास और उन्नति के लिए हितकारी है। 

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