देश में सर्तकता जरूरी
इलमा अजीम
पिछले दिनों दिल्ली पुलिस ने राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश से अल-कायदा मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया। खुफिया जानकारी मिलने के बाद की गई कार्रवाई में यह खुलासा हुआ है कि अल-कायदा का यह मॉड्यूल ‘खिलाफत’ घोषित करने के साथ-साथ आगामी त्योहारी सीजन के दौरान उत्तर भारत में बड़ी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की योजना बना रहा था। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि राजस्थान से गिरफ्तार आतंकियों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण राजस्थान के भिवाड़ी इलाके में दिया जा रहा था जो हरियाणा और दिल्ली की सीमा पर स्थित है। ‘अलकायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट’ प्रतिबंधित वैश्विक आतंकी संगठन अल-कायदा की एक शाखा है जो दक्षिण एशिया के मुस्लिम आबादी वाले देशों में सक्रिय है।
इस आतंकी संगठन का उद्देश्य इस्लामिक राज्य स्थापित करने के लिए युवाओं को जिहाद के लिए तैयार करना है। अल-कायदा के आतंकी गुट देश के अनेक इलाकों में युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से जोडऩे के लिए सक्रिय हैं। दरअसल अल-कायदा और आइएसआइएस से जुड़े कई स्थानीय जिहादी समूह अपने-अपने इलाकों में पुन: सक्रिय हो रहे हैं। उन्होंने अपनी रणनीतियों में काफी बदलाव किया है। विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ज्यादा फोकस किया गया है जिसमें प्रख्यात हस्तियों और राजनेताओं के विश्वसनीय लगने वाले वॉयस क्लोन या ऑडियो डीपफेक शामिल हैं,ताकि देश में प्रोपेगेंडा आसानी से फैलाया जा सके। लोकतांत्रिक समाजों में बेहतर जीवन और अधिक स्वतंत्रता की उम्मीदों को लेकर किए जाने वाले जनआंदोलनों पर भी जिहादी संगठनों ने अपना ध्यान केन्द्रित किया है जिससे मुस्लिम युवाओं में जिहादवाद का वैचारिक आकर्षण बना रहे।
दुनियाभर में आतंकवाद-विरोधी प्रयासों में भारी निवेश के बावजूद आतंकवाद के खतरों का दायरा कम नहीं हुआ है। राजस्थान सहित तीन राज्यों में अल-कायदा मॉड्यूल के भंडाफोड़ से स्पष्ट है कि भारत में जिहादी उभार के प्रयास निरंतर जारी हैं। हालांकि सोमालिया में जिहादियों के खिलाफ संघर्ष अब भी जारी है लेकिन अमरीका ने सीरिया सहित अनेक अराजक इलाकों में पनपते जिहादी शासन पर अपनी आंख मूंद ली है। जहां तक भारत की बात है, बहुत सतर्कता बरतने की जरूरत है। सांप्रदायिकता के उभार को रोकना होगा।
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