साफ पानी की कमी
इलमा अजीम
दुनिया में पेयजल की समस्या दिन-प्रतिदिन विकराल होती जा रही है। इसका भयावह स्तर इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि आज लगभग 4.4 अरब लोग पीने के साफ पानी से वंचित हैं। अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो हालात और बिगड़ सकते हैं। विडंबना यह है कि इसके बावजूद दुनिया की सरकारें पेयजल की सुरक्षा और जल संचय के प्रति गंभीरता से क्यों नहीं सोच रही हैं, यह समझ से परे है। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि जल संकट वैश्विक स्तर पर एक गंभीर समस्या बन जाएगी और अगर अभी से पानी की बर्बादी पर नियंत्रण नहीं लगाया गया और जल संरक्षण के उपाय नहीं किए गए, तो स्थिति और बिगड़ सकती है, जिसकी भरपाई असंभव हो जाएगी। गौरतलब है कि पानी के मामले में सबसे बड़ा संकट आंकड़ों की कमी है, जो दर्शाता है कि वैश्विक स्तर पर सरकारी नाकामियों का खुलासा हो रहा है। यह तथ्य साबित करता है कि आज भी बहुत कम लोगों को पीने का साफ पानी उपलब्ध है।
अमीर देशों के पास भी पानी के स्पष्ट आंकड़े नहीं हैं। ऐसे में, अभावग्रस्त देशों के लोगों को साफ पानी की पहुंच मिल पाना संदेहास्पद है। यह स्थिति दिखाती है कि दुनिया अपने बुनियादी लक्ष्यों को प्राप्त करने में काफी पीछे है, जो अच्छे संकेत नहीं हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो साफ पानी की पहुंच से दूर देशों के मामले में दक्षिण एशिया शीर्ष पर है, जहां 1200 मिलियन लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। वहीं उपसहारा अफ्रीकी, दक्षिण पूर्व एशिया और लैटिन अमेरिकी देश के लोग साफ पानी से महरूम हैं। हकीकत यह है कि इन क्षेत्रों में पानी में दूषित पदार्थों की मौजूदगी सबसे बड़ी समस्या है। यह जगजाहिर है कि जल हमारे जीवन पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से प्रभाव डालता है। जल संकट के कारण एक ओर कृषि उत्पादकता प्रभावित हो रही है, वहीं दूसरी ओर जैव विविधता, खाद्य सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य पर भी खतरा बढ़ता जा रहा है।
वैश्विक स्तर पर देखा जाए, तो आज भी दो अरब लोगों, यानी 26 प्रतिशत आबादी को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध नहीं है। पूरी दुनिया में 436 मिलियन और भारत में 133.8 मिलियन बच्चे ऐसे हैं जिनके पास हर दिन की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पानी नहीं है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक भारत में मौजूद जल का 40 प्रतिशत हिस्सा खत्म हो सकता है। यह चिंता का विषय है।
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