बलिदान तुम्हारा न भूलेगा देश
- डॉ. अशोक कुमार वर्मा  
विश्व के इतिहास में यह सत्य है कि भारत एक शांतिप्रिय देश है। सभ्यता, संस्कृति और संस्कार भारत का आभूषण है। सदियों से भारत के इतिहास और ग्रंथों में प्रचलित कथाओं से यह सिद्ध हुआ है कि अपने वचन का मान रखने के लिए यहाँ के लोगों ने अपने प्राण तक न्योछावर किये हैं। यहाँ पर सदा यह कहावत प्रचलित है कि रघुकुल रीत  सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने सोने की लंका जीतकर भी उस पर अपना अधिकार नहीं जताया अपितु रावण के भाई विभीषण को लौटाकर उसे राजा बना दिया। मित्रता का वचन निर्वहन करने वाले भगवान श्री राम ने बाली का वध करके उसके ही भाई सुग्रीव को सिंहासन सौंप दिया। सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र ने अपना वचन निभाने के लिए राजपाठ का ही नहीं अपितु अपनी पत्नी और पुत्र का भी त्याग कर दिया परन्तु तनिक भी विचलित नहीं हुए।
भारत की भूमि शूरवीरों के इतिहास से भरी पड़ी है। पूरे विश्व में भारत ने सदा शान्ति का ही पाठ पढ़ाया है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि भारत ने कभी दूसरे के राज्य को हड़पने का स्वप्न में भी कभी विचार नहीं किया लेकिन यदि कोई हमारी धरती पर कुदृष्टि डालता है तो उसे भी नष्ट करने में भारत माता के सपूत कभी पीछे नहीं हटते हैं। भारत की धरती वीरों से भरी हुई है। राजस्थान की धरती पर राष्ट्रपुरुष महाराणा प्रताप जैसे भारत माता के वीर पुत्र हुए हैं जिन्होंने कभी सत्य का दामन नहीं छोड़ा और कठिन से कठिन चुनौतियों में साहस नहीं गवाया। आज उनका नाम बड़े ही आदर के साथ लिया जाता है। महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज एक ऐसे शासक थे जिन्होंने मराठा साम्राज्य स्थापित किया और अन्याय अत्याचार के विरुद्ध वे महान स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्होंने सदा सत्य का मार्ग अपनाया।  

स्वतंत्रता के पश्चात भी भारत सदा ही अपने इन्हीं गुणों के कारण विश्व भर में जाना जाता है। क्षमा, दान, शांति, शील, धर्म, और सहिष्णुता भारतीयों के आभूषण हैं। आपातकाल में सेवा और सहयोग के लिए भारत सदा से जाना जाता है लेकिन यदि कोई भारत की धरती पर कुदृष्टि डालता है तो यह कहावत प्रचलित है- दूध मांगोगे तो खीर देंगे, कश्मीर मांगोगे तो चीर देंगे। वर्ष 2022 के आरम्भ में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि भारत ने अपने लंबे इतिहास में कभी किसी दूसरे देश पर आक्रमण नहीं किया या उसे जीतने की कोशिश नहीं की। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी वर्ष 2016 में पाकिस्तानी आतंकवादियों के उरी हमले के जवाब में यही कहा था।

आज 26 जुलाई का दिन है। आज पूरा भारत विजय कारगिल दिवस पर अपने प्राणों की आहुति देने वाले महान शूरवीरों के बलिदान को नमन करता है। ये वो महान भारत माता के लाल थे जिन्होंने 1999 में पाकिस्तान द्वारा योजनाबद्ध ढंग से भारत की धरती पर अतिक्रमण करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था और हमारे भारतीय सैनिक देश के काम आए। हुआ यह कि 1999 में पकिस्तान के सैनिकों और घुसपैठियों ने भारत के क्षेत्र में पड़ने वाली मुख्य-मुख्य चोटियों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया और एलओसी को परिवर्तित करने का दुःसाहस किया। सौभाग्य से वहां के रहने वाले चरवाहों द्वारा यह सुचना भारतीय सेना को दी गई।
उस समय भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे जबकि भारतीय सेना के जनरल वेद प्रकाश मलिक थे। सूचना मिलते ही पाकिस्तान के आधिपत्य में आ चुकी चोटियों को मुक्त कराने के लिए ऑपरेशन कारगिल विजय चलाया गया। कारगिल का युद्ध लगभग 84 दिनों तक चला। यह ऑपरेशन 8 मई 1999 को आरम्भ हुआ और 26 जुलाई 1999 को विजय के साथ जयघोष किया गया। लगभग 18 हजार फ़ीट की ऊंचाई पर कारगिल का युद्ध बहुत ही दुष्कर था। इस युद्ध में भारत के लगभग 527 से अधिक वीर सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी। इतना ही नहीं भारत के 1300 से अधिक सैनिक घायल हुए थे। दूसरी और पाकिस्तान के 2700 सैनिक मारे गए और 750 सैनिक युद्ध स्थल छोड़ कर भाग गए थे। इस युद्ध में भारत माँ के जो लाल देश के काम आए। उनका बलिदान व्यर्थ नहीं गया। उन्होंने भारत का मस्तक गर्व से ऊँचा किया है। पूरा भारत उन्हें नमन करता है।



यह युद्ध विजय करना इतना सरल नहीं था। विषम परिस्थितियां और ऊंचाई पर बैठे शत्रु एक बहुत बड़ी चुनौती थे लेकिन इन महान देश भक्तों ने अपने प्राणों की आहुति देकर भी अपने पग पीछे नहीं अपितु आगे ही आगे बढ़ाकर देश का गौरव बढ़ाया। उन महान देश भक्तों के निमित कुछ पंक्तियाँ उन्हें समर्पित हैं-
बलिदान तुम्हारा न भूलेगा भारत नमन तुम्हें सदा किया जाएगा।
तुम हो सच्चे भारत माँ के लाल बच्चा बच्चा यह गुण गाएगा ।
देश के लिए तुमने प्राण किये न्योछावर कोई न भूल पाएगा।  
वीरता और शौर्य के प्रतीक हो तुम इतिहास में लिखा जाएगा।

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