बातचीत से समाधान
 इलमा अजीम 
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा से सटे शंभू बॉर्डर पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी अहम है कि एक तटस्थ अम्पायर की आवश्यकता है जो सरकार और किसानों के बीच विश्वास कायम कर सके। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए स्वतंत्र विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव भी दिया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की वैधानिक गारंटी और अन्य मांगों को लेकर किसान लम्बे समय से आंदोलनरत हैं। पंजाब से हरियाणा में किसानों की आवाजाही रोकने के लिए इस साल फरवरी में ही शंभू बॉर्डर को बंद किया गया था। पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने इसे खोलने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ हरियाणा राज्य ने अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट में पहुंची हरियाणा सरकार की दलील थी कि शंभू बॉर्डर खोले जाने पर कानून-व्यवस्था को लेकर संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यह बात सही है कि शंभू बॉर्डर खोले जाने से आंदोलनरत किसानों के दिल्ली कूच की राह खुल सकती है। आंदोलनरत किसान संगठन पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि जब भी सीमाएं खुलेंगी, किसान ट्रैक्टर ट्रोलियों के साथ दिल्ली की ओर बढेंग़े। इस बीच बुधवार को ही नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से नई दिल्ली में मुलाकात करने के बाद किसान नेताओं ने साफ भी कर दिया है कि दिल्ली मार्च का उनका कार्यक्रम जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञों की समिति के जरिए बातचीत का जो प्रस्ताव दिया है उस पर सरकार की प्रतिक्रिया आनी बाकी है। लेकिन दोनों पक्षों को ही आंदोलन खत्म करने के लिए समाधान का रास्ता निकालने की पहल करनी होगी। किसान आंदोलन के उग्र रूप को भी यह देश देख चुका है। 

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