तिहरा हत्याकांड का फैसला 31 जुलाई को आएगा ,हाईकोर्ट ने फैसले पर लगायी रोक 

16 साल से इंसाफ के इंतजार में घरवाले,गुदड़ी बाजार में 3 युवकों की हुई थी नृशंस हत्या

 इजलाल आदि के वकील ने दूसरे जिले में केस ट्रांस्फर करने का दिया प्रार्थना पत्र 

मेरठ। 16 साल पूर्व कोतवाली के गुदड़ी बाजार में हुए तिरहे हत्याकांड का फैसला आगामी 31 जुलाई को आएगा।  केस की बहस पूरी हो चुकी है। कोर्ट ने सभी दस्तावेज सुरक्षित कर लिए हैं। संभावना है कि कोर्ट अपना जजमेंट देगी। मुख्य आरोपी मीट माफिया हाजी इजलाल एक साल पहले पैरोल मिल चुकी है। वह अभी जेल से बाहर है।मृतकों के घर वाले 16 साल से न्याय की आस लगाए बैठे हैं।

 बुधवार को 13 न्यायालय में  तिरहे हत्याकांड के फैसले को काफी हलचल रहे। सुरक्षा को देखते हुए पुलिस बल को कोर्ट परिसर के आसपास लगा दिया गया।लेकिन कोर्ट में न्यायधीश ने आगामी 31 जुलाई फैसला देने से रोक लगा दी। इसका कारण बताया जा रहा है। कांवड़ यात्रा चल रही है। पूरा पुलिस प्रशासन कांवड़ यात्रा को लेकर लगा हुआ है। हाजी इजलाल व आदि  के वकील सुरेन्द्र शर्मा, अलादददीन सिददकीओर अधिवक्ता जुबैर ने बताया कि हाई कोर्ट ने टीए लगा रखी है। इसके चलते आगामी 31 तक हाई कोर्ट ने कोई भी फैसला देने से रोक लगा रखी है। कमेंट भेज जाय। उन्होंने कहा कोर्ट में उन्होंने इस मुकदमें को किसी और कोर्ट ट्रांस्फर करने की प्रार्थन पत्र लगाया है। वही दूसरे पक्ष के अधिवक्ता  अनिल बख्शी ने पुख्ता सबूत कोर्ट को पेश किये है। 

 बता दें बागपत के बालैनी थानाक्षेत्र स्थित हिंडन नदी में 23 मई 2008 को सुनील ढाका, पुनीत गिरी और सुधीर कुमार के शव क्षत-विक्षत हालत में मिले थे। इसका मुकदमा मेरठ स्थित कोतवाली थाने में ट्रांसफर हुआ। पुलिस ने खुुलासा किया था कि तीनों युवकों की हत्या गुदड़ी बाजार में मीट करोबारी हाजी इजलाल व उसके परिवार के लोगों ने की थी। इस तिहरे हत्याकांड में इजलाल, अफजाल, मेहराज, इसरार, कल्लू उर्फ कलवा,कालू ड्राइवर उर्फ देवेंद्र आहूजा, वसीम, रिजवान, बदरूदीन, इजहार, शीबा सिरोही, माजिद, शम्मी को नामजद किया गया। एक आरोपी परवेज तब जुवेनाइल था। इसलिए इसका मामला किशोर न्यायालय में चल रहा है। सभी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। मामले में एक आरोपी माजिद की मौत हो चुकी है।

ये हत्याकांड इतना नृशंस था कि पूरा प्रदेश हिल गया। तीनों युवकों को पहले गोली मारी, फिर छूरे से काटा गया। तीनों की लाठी-डंडों से पीट-पीटकर हत्या कर दी। सड़क पर तीनों शव रखे थे, तीनों को पहले गोली मारी गई थी फिर एक ही तरीके से तीनों का गला काटा गया था। तीनों की आंखें भी फोड़ दी गई थी।

घटना को देख और सुनकर हर कोई हैरान था। वारदात की धमक लखनऊ तक पहुंची तो केवल डीजीपी ही मुख्यमंत्री तक के भी होश उड़ गए। आनन फानन में मेरठ के साथ ही बागपत पुलिस को अलर्ट किया गया। तत्काल एक आरोपी की गिरफ्तारी भी की गई। मुख्य आरोपी इजलाल से पूछताछ हुई तो और हैरान करने वाले खुलासे हुए।

शीबा सिरोही से एकतरफा मोहब्बत कर बैठा इजलाल

पुलिस के मुताबिक- हाजी इजलाल की दोस्ती शीबा सिरोही से हुई थी। इस पर सुनील ढाका, पुनीत गिरी और सुधीर ने आपत्ति जता दी है। इजलाल ने शीबा से सेटिंग कर तीनों युवक अपने घर गुदड़ी बाजार बुला लिए। जहां आरोपियों ने तीनों की हत्या कर दी। इजलाल ने पुलिस को बताया था कि वो मेरठ कॉलेज में पढ़ने वाली एक छात्रा शीबा सिरोही से इकतरफा प्यार करता था। वहीं उसका दोस्त सुनील ढाका भी उसे चाहने लगा था।

प्रेमिका का सुनील से प्यार करना गुजरा नागवार

इजलाल को पता चला कि शीबा सुनील ढाका को चाहती है। सुनील भी उसे प्यार करता है, ये बात इजलाल की आंखों में खटक गई। उसने तय कर लिया कि सुनील ढाका को छोड़ेगा नहीं, ठिकाने लगाएगा। सुनील को ठिकाने लगाने के लिए इजलाल ने अपने तीन दोस्तों सुनील, पुनीत गिरी, सुधीर उज्जवल को अपने ठिकाने पर बुलाया।इसके बाद जमकर शराब पिलाई। जब तीनों लड़के नशे में चूर हो गए तो इजलाल ने तीनों को अपने ही घर में कैद कर लिया। इसके बाद इजलाल ने अपने दूसरे साथियों को अपने घर बुलाया। तीनों युवकों को बुरी तरह पीटा, प्रताड़ित किया।

भयावह थी शवों की हालत

अपनी प्रेमिका को गैरमर्द की बाहों में देखने के ख्याल से इजलाल इतना आक्रोशित था कि तीनों लड़कों को बुरी तरह पीटने के बाद भी उसका गुस्सा शांत नहीं हुआ। उसने तीनों लड़कों की तलवार से आंखें फोड़ डाली। फिर उनको गोली मार दी। इसके बाद धारदार हथियार से उनके गले काटे। रात भर इजलाल के टॉर्चर और मौत का खूनी खेल चलता रहा। पूरी रात इजलाल युवकों को काटता रहा और सुबह हो गई।

गाड़ी में शव छोड़ कर भागा आरोपी

आरोपी ने तीनों लाशों को घर में ही सड़क की तरफ बने एक छोटे से जीने में डाल दिया। लेकिन थोड़ी ही देर लाशों में से खून रिस कर सड़क पर आने लगा। आसपास के लोगों ने खून बहता देखा तो शोर मचाया। इसके बाद उस हिस्से को खोला गया तो भयानक मंजर नजर आया। इतने में इजलाल का नशा भी उतर गया।उसने आनन फानन में गाड़ियां मंगाई और तीनों शवों को एक गाड़ी की डिक्की में डाल कर गंग नहर की ओर चल दिया। वहीं कोई सही जगह नजर नहीं आई तो आरोपी इन शवों को लेकर बागपत में हिंडन किनारे पहुंचा। इस दौरान गाड़ी का तेल खत्म हो गया तो आरोपी गाड़ी में ही शव छोड़ कर फरार हो गया।

शवों को गाड़ी में बुरी तरह ठूंसा

स्थानीय लोग बताते हैं कि जीने से शवों को निकाल कर ठिकाने लगाने का दृष्य भी भयावह था। दरअसल आरोपी जब अपने घर से शव निकाल रहा था तो सड़क पर गाड़ियों का काफिला था। इसमें एक गाड़ी पर नीली बत्ती लगी थी। एक गाड़ी में शव ठूंस कर भरे जा रहे थे।

 मकान से सड़क तक फैला था खून 

मकान के अंदर से लेकर सड़क तक खून ही खून फैला था। बावजूद इसके किसी की हिम्मत नहीं पड़ी कि आरोपी को रोक या टोक सके। बागपत पुलिस ने इस संबंध में केस दर्ज कर आरोपी इजलाल को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन कोर्ट में पेशी के दौरान गुस्साए लोगों ने पुलिस की हिरासत में उसकी पिटाई कर दी।

सरकार ने ट्रांसफर किया केस

वहीं मेरठ से लेकर दिल्ली तक सैकड़ों छात्र इस घटना के विरोध में प्रदर्शन करने लगे। इसी प्रकार व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद कर खराब कानून व्यवस्था का विरोध किया। ऐसे में सरकार ने मामला ही मेरठ कोर्ट को स्थानांतरित कर दिया। इस मामले में फिलहाल मेरठ की कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

अदालत में लगातार पेश किए गए गवाह

मुकदमे के वादी अनिल ढाका स्वतंत्र गवाह के रूप में दुष्यंत तोमर उर्फ अमित राणा, संदीप ढ़डरा, अमित उज्जवल, राजेश कुमार कोर्ट में पेश हुए हैं। इनके अलावा विवेचक पंकज कुमार गौतम, डीके बालियान, नागेश मिश्रा, हरीश भदौरिया पंचनामे का गवाह दरोगा सोमपाल पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉ. कृष्ण कुमार, मुकदमा लिखने वाले एएसआई हरी सिंह, आरोपियों से बरामदगी करने वाले एसआई सुशील कुमार व नरेश चंद वर्मा सिपाही अनुराग पाठक फिंगर प्रिंट लेने वाले जयवीर सिंह नक्शा-नजरी बनाने वाले राज सिंह आर्म्स एक्ट के गवाह राजेश कुमार, दरोगा रघुनंदन सिंह भदौरिया सिपाही अरविन्द मौजूद रहे। वहीं आरोपी पक्ष से पांच गवाह नफीस, अमित शर्मा, इस्माइल, शरीफ और आबिद पेश किये गये। गवाह संदीप पर जानलेवा हमला हो चुका है।


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