नई सरकार से मजबूत होगी आर्थिकी
- डा. जयंतीलाल भंडारी
चार जून को 18वीं लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब बनने वाली एनडीए के तीसरे कार्यकाल की नई सरकार देश को आर्थिक विकास की डगर पर तेजी से आगे बढ़ाएगी। निश्चित रूप से देश को एक बेहतर आर्थिक परिवेश के साथ बेहतर मानसून की सौगातें विरासत में मिलते हुए दिखाई दे रही हैं। स्थिति यह है कि देश की बेहतर आर्थिकी के परिप्रेक्ष्य में दुनिया की क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां यह कहते हुए दिखाई दे रही हैं कि भारत में कोई भी सरकार बने, अब आर्थिकी तेज गति से मजबूत होगी। खास बात यह भी है कि 7 जून को एनडीए के संसदीय बोर्ड की बैठक में जिस तरह से गठबंधन के समर्थक नेताओं के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सराहना दी गई और विकसित भारत के लिए हर तरह का योगदान देने का संकल्प दोहराया गया, उससे निश्चित रूप से देश की अर्थव्यवस्था और तेज गति से आगे बढ़ेगी।
 उल्लेखनीय कि हाल ही में केंद्रीय सांख्यिकी संगठन ने वर्ष 2023-24 में देश की विकास दर 8.2 फीसदी रहने संबंधी रिपोर्ट जारी की है। वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के मुताबिक आर्थिक व वित्तीय बाजार मजबूत हो रहे हैं। भारत के वित्तीय और गैर वित्तीय क्षेत्रों के दमदार बही-खाते भारत की आर्थिक ताकत बढ़ा रहे हैं। रिजर्व बैंक के द्वारा भारत सरकार को दिया गया रिकॉर्ड लाभांश, वैश्विक आर्थिक संगठनों के द्वारा भारत के विकास के नए-नए प्रभावी विश्लेषण प्रस्तुत किए जा रहे हैं। इन सबके साथ-साथ नई सरकार से देश की अर्थव्यवस्था को नई शक्ति मिलने की संभावनाओं से देश की अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ आगे बढऩे के शुभ संकेत देते हुए दिखाई दे रही है।
गौरतलब है कि हाल ही में दुनिया की प्रसिद्ध क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसऐंडपी ने भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि, तेज आर्थिक सुधार और बढ़ती राजकोषीय मजबूती के मद्देनजर भारत की रेटिंग को स्थिर यानी स्टेबल से बदलकर पॉजिटिव कर दिया है। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि पिछले तीन साल में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की औसत वास्तविक वृद्धि दर 8.1 फीसदी सालाना रही है और अब यह विकास दर अगले तीन साल में लगातार 7 फीसदी के करीब होगी। दुनिया के प्रसिद्ध इन्वेस्टमेंट बैंकर गोल्डमैन सैक्स ने अपनी नई रिपोर्ट में कैलेंडर वर्ष 2024 में भारत की विकास दर को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है। चालू वित्त वर्ष में विकास दर बढऩे संबंधी अन्य महत्वपूर्ण नई रिपोर्टों के तहत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 6.8 प्रतिशत, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने 7 प्रतिशत तथा विश्व बैंक ने 7.5 प्रतिशत विकास दर रहने के अनुमान व्यक्त किए हैं। देश और दुनिया के प्रमुख अर्थ विशेषज्ञों का मत है कि भारत की विकास दर आगामी दशक तक 6.5 से 7 प्रतिशत के स्तर पर दिखाई देगी।
विभिन्न आर्थिक रिपोर्टों में इस बात को भी रेखांकित किया जा रहा है कि भारत में वर्ष 2023-24 में प्रत्यक्ष कर (डायरेक्ट टैक्स) संग्रह 17.7 फीसदी बढक़र 19.58 लाख करोड रुपए हो गया है। इसी तरह से 2023-24 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) उच्चतम स्तर पर रहा है। इसका आकार 20.18 लाख करोड़ रुपए रहा है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 11.7 फीसदी अधिक है। कर संग्रह के ये चमकीले आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज उछाल और व्यक्तियों तथा कॉरपोरेट सेक्टर की आमदनी में वृद्धि को दर्शाते हैं।
इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि जिस तरह से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के द्वारा हाल ही में भारत सरकार के लिए अब तक के सबसे अधिक लाभांश की राशि सुनिश्चित की गई है, वहीं दूसरी ओर देश के शेयर बाजार ने पिछले 10 वर्षों में जो ऊंचाइयां प्राप्त की हैं, उससे दुनिया भर में भारत के नए तेज विकास की नई संभावनाएं आगे बढ़ी हैं। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपए लाभांश देने की मंजूरी दी है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में सरकार ने रिजर्व बैंक और सरकारी बैंकों के लाभांश से 1.02 लाख करोड़ रुपए मिलने का अनुमान लगाया था। ऐसे में रिजर्व बैंक द्वारा दिया जाने वाला लाभांश बजट अनुमान की तुलना में 107 फीसदी ज्यादा है।
यह एक तरह से सरकार के लिए मौजूदा वित्त वर्ष में 1.09 लाख करोड़ रुपए के अप्रत्याशित लाभ जैसा है। इतना ही नहीं, रिजर्व बैंक ने पहली बार आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया गया है, जो पहले 6 फीसदी था। रिजर्व बैंक ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है, इसीलिए वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आकस्मिक जोखिम बफर बढ़ाकर 6.5 फीसदी करने का निर्णय लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक के द्वारा सरकार को रिकॉर्ड लाभांश के दिए जाने के निर्णय और वैश्विक आर्थिक संगठनों व वैश्विक क्रेडिट एजेंसियों के द्वारा वर्ष 2024-25 में भारत की ऊंची विकास दर के अनुमानों के बाद भारतीय शेयर बाजार को लाभ मिला। यह उल्लेखनीय है कि शेयर बाजार और निवेशकों को उम्मीद थी कि 4 जून के लोकसभा चुनाव परिणामों से भाजपा और एनडीए को भारी बढ़त मिलेगी, लेकिन चुनाव में भारी अनुमान के मुताबिक ऊंचाई नहीं होने के कारण शेयर बाजार की उम्मीदें पूरी नहीं हो पाई हैं।
फिर भी यह कोई छोटी बात नहीं है कि बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण पांच लाख करोड़ डॉलर के पार पहुंचने के साथ ही भारत इस मुकाम तक पहुंचने वाला दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा देश बन गया है। कोरोना काल के बाद भारतीय घरेलू खुदरा निवेशकों की रुचि शेयर बाजार में बढ़ी है। साथ ही पिछले 10 साल में डीमेंट अकाउंट 2.3 करोड़ से बढक़र 15 करोड़ हो गए हैं और म्यूचुअल फंड निवेशकों की संख्या एक करोड़ से बढक़र 4.5 करोड़ हो गई है। स्थिति यह है कि पिछले 10 साल में शेयर बाजार कहां से कहां पहुंच गया है। लाखों छोटे निवेशक आज उत्साहपूर्वक बाजार से जुड़े हैं।
भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार है और वैश्विक निवेशकों का भरोसा भी भारत के शेयर बाजार पर बढ़ा है। अब ऐसी आर्थिक मजबूती से देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि होगी। यह देश की उत्पादक क्षमता बढ़ाएगा और वृद्धि की संभावनाओं को बेहतर करेगा। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि भारत के प्रति बढ़ते आर्थिक आकर्षण से न केवल देश में ज्यादा एफडीआई लाने में मदद मिलेगी, बल्कि यह विदेशी कंपनियों और निवेशकों को इस बात के लिए भी प्रोत्साहित करेगा कि वे भारत से हुई कमाई को फिर भारत में ही निवेश करने के लिए तत्पर रहें।
इससे भारत में कारोबारी माहौल में सुधार होगा। यह सुधार उन घरेलू निवेशकों को भी बड़े पैमाने पर निवेश बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगा जो अभी किनारे बैठकर निवेश करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। एफडीआई का एक महत्त्वपूर्ण पहलू यह भी है कि विदेशी निवेशक तकनीकी विशेषज्ञता भी लाते हैं। चूंकि भारत लगातार चालू खाते के घाटे से जूझ रहा है और भारत को विदेशी बचतों को हासिल करने की जरूरत है, इसलिए एफडीआई भारत में विदेशी बचतों के सबसे टिकाऊ स्रोत के रूप में लाभप्रद होगा। निश्चित रूप से वर्ष 2023-24 में भारत की विकास दर के 8.2 प्रतिशत रहने, शेयर बाजार के बढऩे, रिजर्व बैंक द्वारा सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपए का बंपर लाभांश दिए जाने से नई सरकार को व्यय प्रबंधन में खासी मदद मिलेगी।


यह बात भी महत्वपूर्ण है कि फरवरी 2024 में संसद में पेश किए वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में सरकार ने 5.1 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा है। केंद्र सरकार राजकोषीय मार्ग के तहत वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 4.5 प्रतिशत पर लाना चाहती है।

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