उपेक्षा आसान नहीं
 इलमा अजीम 
तीसरी बार केंद्र में सत्ता में आई भाजपा गठबंधन सरकार के लिए इस बार विपक्ष की अवहेलना करना आसान नहीं होगा। मजबूत विपक्ष के कारण केंद्र सरकार को अपना रवैया पिछले कार्यकाल की तुलना में नरम रखना होगा। इसका प्रमाण भी लोकसभा में मिल गया। विपक्ष ने जिस तरह के तेवरों से आगाज किया है, सत्तारूढ़ दल उस तरह प्रतिरोध नहीं कर पाया जिस तरह पहले और दूसरे कार्यकाल में किया था। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी पिछले कार्यकाल की तुलना में इस बार की शुरुआत सामंजस्य बिठाने से की है। पिछले कार्यकाल में मणिपुर के मुद्दे को लेकर लोकसभा अध्यक्ष ने 141 सांसदों को सदन से निलंबित कर दिया था। विपक्ष उस दौरान प्रधानमंत्री मोदी से सदन में बयान देने की मांग कर रहा था। इसे सत्ता पक्ष ने मंजूर नहीं किया। सदन में कई दिनों तक हंगामे की स्थिति बनी रही। इस पर अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष के सदस्यों को निलंबित कर दिया। विपक्ष का आरोप था कि प्रधानमंत्री मणिपुर की वीभत्स घटनाओं और लगातार होती हिंसा के बावजूद सार्वजनिक बयान देने से कतरा रहे हैं। मोदी ने मणिपुर की घटना का लोकसभा और सार्वजनिक मंचों पर जिक्र तक नहीं किया। इस बार भाजपा गठबंधन सरकार का ऐसी स्थितियों से बचना आसान नहीं होगा। मजबूत विपक्ष की घेराबंदी से सरकार को ऐसे सार्वजनिक मुद्दों पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करने का भारी दबाव होगा। लोकसभा चुनाव के नतीजों ने बहुत कुछ बदलकर रख दिया है। राहुल गांधी के तौर पर पूरे दस सालों बाद सदन के भीतर विपक्ष को अपना सेनापति मिला है। 2014 में सत्ता से बेदखल होने के बाद कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष का पद मिला है, क्योंकि पिछले दस सालों से पार्टी के पास इस पद को पाने के लिए जरूरी 54 सीटें तक नहीं थीं। इस बार कांग्रेस के पास लोकसभा में 99 सीटें हैं और इसीलिए 20 साल लंबे राजनीतिक करियर में राहुल गांधी को पहली बार संवैधानिक पद मिला है। हालांकि, राहुल के लिए आगे का सफर आसान नहीं होगा। नेता प्रतिपक्ष न सिर्फ अपनी पार्टी का, बल्कि पूरे विपक्ष का नेतृत्व करता है। नेता प्रतिपक्ष कई जरूरी नियुक्तियों में पीएम के साथ बैठता है। मतलब यह कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी साथ मिलकर कई फैसले लेंगे। दोनों की राय से फैसले लिए जाएंगे।  नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के प्रमुखों के चयन में भी अहम भूमिका निभाने वाले हैं। वह पिछले 10 सालों से इन एजेंसियों पर काफी आरोप लगाते आए हैं। बहरहाल केंद्र सरकार पहले की तरह विपक्ष को दरकिनार करके कार्यवाही नहीं चलवा सकती।

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