नीट परीक्षा में छात्रों को मिले न्याय
इलमा अजीम
सवाल है कि क्या मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम यानी नीट दुरुस्त तरीके से हुए हैं। नीट के रिजल्ट आए कुछ दिन बीत चुके हैं, लेकिन छात्रों में भ्रम आज भी बरकरार है। लाखों बच्चों को समझ नहीं आ रहा कि वे एनटीए ने जो नतीजे घोषित किए हैं, क्या उन्हें ही आखिरी मान लें या फिर दोबारा परीक्षा की तैयारी में जुट जाएं। इस मामले में छात्रों के हितों को सुरक्षित रखा जाना जरूरी है। मेडिकल छात्रों को न्याय मिलना चाहिए। जो छात्र कई सालों से इसमें कामयाबी की बात देख रहे थे, तथाकथित परीक्षा से जुड़ी अनियमितताओं ने उनका भविष्य खराब कर दिया है। नीट परीक्षा को लेकर जिस तरह पूरे देश में बवाल मचा है, उसे देखकर यह सवाल उठने लगा है कि क्या नीट यूजी परीक्षा के नतीजे रद्द किए जाएंगे और नीट यूजी की परीक्षा एक बार फिर से कराई जाएगी। मालूम हो कि जब मई में नीट यूजी के पेपर हो रहे थे उस समय भी कई जगहों पर पेपर लीक की सूचनाएं आई थीं। तब भी तमाम अभ्यर्थियों ने इसको कैंसिल करने और दोबारा पेपर कराने की मांग की थी, लेकिन उस समय इस पर कुछ नहीं हुआ। अब जब रिजल्ट आया तो एक बार फिर यह मामला गर्म हो गया है। वर्ष 2024 में नीट की परीक्षा में लगभग 24 लाख बच्चे शामिल हुए थे। इनमें से 13 लाख से अधिक पास हुए। इसमें भी खास बात यह है कि इस बार की नीट परीक्षा के रिजल्ट में 67 बच्चों को टॉपर घोषित किया गया है। इन टॉपर्स को 720 में से 720 अंक मिले हैं। कुछ बच्चों को 718 और 719 नंबर तक मिले हैं, जिसके बाद नीट रिजल्ट को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। तमाम लोगों ने रिजल्ट को लेकर परीक्षा कराने वाली एजेंसी एनटीए को भी कटघरे में खड़ा किया है, हालांकि एनटीए ने अपने आरोपों पर सफाई भी दी है। उसके बाद भी कुछ अभ्यर्थियों ने रिजल्ट को लेकर याचिका दायर कर दी है। अब इस बार कोर्ट का क्या फैसला होता है, यह तो देखने वाली बात है, लेकिन इस बार परीक्षा कैंसिल जैसी कोई बात नजर नहीं आ रही। भारत में नीट को लागू हुए एक दशक से कुछ ही ज्यादा समय हुआ है और इसने ठहरे हुए पत्थर पर काई जमने जितनी बदनामी बटोर ली है। इसमें सबसे ताजा यह है कि नीट का संचालन कराने वाली राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को 2024 के लिए हुई मेडिकल की पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा को लेकर लगाए गए आरोपों की जांच के वास्ते एक चार सदस्यीय समिति नियुक्त करनी पड़ी है। साल दर साल परीक्षा के दौरान घोर उल्लंघनों की खबरें सुर्खियां बन रही हैं। एनटीए को राज्यों की मदद से यह सुनिश्चित करना होगा कि तकनीकी गड़बडिय़ां और कदाचार से जुड़े घपले न हों। इसके लिए देश हित में जिम्मेवारी को नियत किया जाए और प्रशासनिक लापरवाही के लिए पुन: परीक्षा आयोजित करना ही उपयुक्त होगा। छात्रों के साथ अगर अन्याय होता है तो उनके डिप्रेशन में चले जाने की संभावनाएं रहती हैं।
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