विवि में  विभिन्न प्रजातियों के 13 हजार पेड़ कर रहे सुशोभित 

  मेरठ। आधुनिक समाज लगातार विकास की दौड़ में तेजी से भाग रहा है जिसमें विभिन्न कारकों की बढ़ोतरी से हमारी पृथ्वी के पर्यावरण को भी अत्यधिक नुकसान पहुंच रहा है जिससे आज का मानव विभिन्न पर्यावरणीय समस्याओं जैसे प्रदूषण, गर्मी, जल की कमी आदि से त्राहिमाम कर रहा है मानव की इन्हीं समस्याओं के समाधान हेतु 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। वर्तमान समय में ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन आदि गंभीर विश्वव्यापी समस्याओं के चलते वृक्षारोपण अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। यह बात विवि के उद्यान विभाग के प्रोफेसर डा पवित्र देव ने कही। 

उन्होंने बताया कि  वृक्षारोपण से केवल पर्यावरण शुद्ध ही नहीं होता वरन यह जीव जंतुओं के लिए भी एक आश्रय प्रदान करता है। आध्यात्मिक तौर पर हरियाली मनुष्य को मानसिक शांति एवं नवीन विचारों के स्फुटन में भी लाभदायक होती है। मानकों के अनुसार किसी भी राष्ट्र में उसके कुल भूभाग का कम से कम एक तिहाई भाsग अर्थात 33% भाग वनाच्छादित होना चाहिए। 

 मेरठ शहर में यदि हरियाली की बात की जाये तो चौधरी चरण सिंह विवि परिसर, इसमें अग्रिम स्थान रखता है साथ ही साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में भी उत्कृष्ट है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर लगभग 222 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है जिसमें विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे अपनी हरियाली की छठा से विश्वविद्यालय परिसर को अलंकृत व मनमोहक बना रहे हैं।

 कैंपस में विभिन्न प्रजातियों के वृक्ष जैसे पीपल, बरगद, पिलखन, शहतूत, नीम, सागौन, अर्जुन, मोलश्री, कुसुम, अशोक, पापड़ी, कटहल, सेमल, इमली इत्यादि के तेरह हजार (13000) से अधिक वृक्ष कैंपस की छठा को सुशोभित व अभिनंदित कर रहे हैं। इसके अलावा विश्वविद्यालय में अनेकों प्रकार के अलंकृत एवं  सुगंधित पौधे जैसे चंपा, अमलतास, बोगेनवेलिया, कनेर, गुड़हल, हरसिंगार आदि के हजारों पौधे अपनी मनमोहक आकर्षन एवं सुगंध से यहां के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों एवं प्रतिदिन आने वाले हजारों आगंतुकों का मन मोह लेते हैं। 

 कुलपति  प्रोफेसर संगीता शुक्ला  के निर्देशानुसार वि वि परिसर उद्यान विभाग ने विश्वविद्यालय में स्थित विभिन्न मुख्य प्रजातियों के वृक्षों की भौगोलिक संकेत (जीआई टैग) एवं क्यू आर कोडिंग की हैं। इस कार्यक्रम के अंतर्गत परिसर में मौजूद वृक्षों की प्रमुख प्रजातियों को जीआई टैग द्वारा चिन्हित किया गया है। जीआई टैग जैसे नाम से ही स्पष्ट है कि यह पौधे के स्थान को टैग करता है और डाटा में आमतौर पर अक्षांश एवं देशांतर, समय और दिनांक भी शामिल होते हैं। जीआई टैग का मुख्य उद्देश्य वृक्षों के दावे के फर्जीवाड़ों को रोकना है।विवि में आने वाले आगंतुक एवं छात्र आमतौर पर परिसर की हरियाली से प्रभावित होते हैं और यहां पर लगे वृक्षों के नाम के बारे में जानने की रुचि एवं उत्सुकता रखते हैं इसलिए उद्यान विभाग द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में मौजूद विभिन्न प्रजातियों के पौधों के तने पर क्यू आर कोड लगाए हैं। क्यू आर कोड को मोबाइल से आसानी से स्कैन किया जा सकता है जिससे कम समय में पौधे के बारे में जानकारी जैसे पौधे का वानस्पतिक नाम, सामान्य नाम, परिवार एवं विशेषताओं की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। विगत वर्ष में महामहिम कुलाधिपति श्रीमती आनंदी बेन पटेल द्वारा विश्वविद्यालय परिसर का पैदल भ्रमण किया गया तो उनके  द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में फैली अनुभूत हरियाली एवं क्यूआर कोड की अत्यधिक प्रशंसा की गयी।

इसी परिपेक्ष्य में इस वर्ष भी  विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उद्यान विभाग द्वारा आयोजित वृक्षारोपण कार्यक्रम में  कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला के कर कमलो द्वारा अर्जुन का पौधा लगाकर शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार, डीएसडब्लू, प्रॉक्टर, अन्य शिक्षक एवं छात्र छात्राओं द्वारा पौधारोपण किया गया एवं पर्यावरण के प्रति अपने कर्तव्य को निभाने की भी शपथ ली गई। 

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