परिणाम आधारित शिक्षा में विविध दृष्टिकोण से परिचित होने का अवसर मिलता है - प्रो राज सिंह

परिणाम आधारित शिक्षा पर हुआ व्याख्यान का आयोज

मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय में फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन सत्यजीत रे प्रेक्षागृह में किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में जैन विश्वविद्यालय बैंगलोर के कुलपति प्रो. राज सिंह ने परिणाम आधारित शिक्षा के विषय पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम का आयोजन प्रतिकुलपति डॉ.अभय शंकरगौड़ा की अध्यक्षता में हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रतिकुलपति डॉ.अभय शंकरगौड़ा, संकायाध्यक्ष, शैक्षिक एवं निदेशक शोध प्रो. अमर प्रकाश गर्ग, डीन लॉ कॉलेज डॉ.वैभव गोयल भारतीय, डॉ. पिंन्टू मिश्रा, डॉ. आर.के.घई, डॉ.श्रवण कुमार, डॉ.रेनू मावी, डॉ. सोकिन्द्र कुमार ने मॉ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया।

प्रतिकुलपति डॉ.अभय शंकरगौड़ा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। उन्होंने मुख्य वक्ता जैन विश्वविद्यालय बैंगलूरू के कुलपति प्रो. राज सिंह का स्वागत करते हुए परिणाम आधारित शिक्षा के विषय पर आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के उद्देश्य से सभी को रूबरू कराया।

मुख्य वक्ता जैन विश्वविद्यालय बैंगलोर के कुलपति प्रो. राज सिंह ने परिणाम आधारित शिक्षा की भारत में आवश्यकता, गुणवत्ता और मूल्यांकन के आंकलन पर विश्लेषणात्मक व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि परिणाम आधारित मूल्यांकन प्रदर्शन आधारित होता है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों और शिक्षार्थियों के पास इस बात की साझा समझ होती है कि क्या हासिल करने की आवश्यकता है। सीखने के उद्देश्य स्पष्ट और मापने योग्य होते हैं, जो हर किसी को अपने प्रयासों को विशिष्ट लक्ष्यों की ओर संरेखित करने में सक्षम बनाते हैं। उन्होंने कहा कि परिणाम आधारित शिक्षा में शैक्षणिक संस्थानों को छात्रों को अंतर-सांस्कृतिक अनुभव, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और विविध दृष्टिकोणों से परिचित होने के अवसर प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। उन्होंने परिणाम आधारित शिक्षा के विषय पर विस्तारपूर्वक सभी का ज्ञान वर्धन किया।

संकायाध्यक्ष, शैक्षिक एवं निदेशक शोध प्रो. अमर प्रकाश गर्ग ने परिणाम आधारित शिक्षा के प्रयोगात्मक पहलुओं पर प्रकाश डाला और शिक्षकों को पाठ्यक्रम विकसित करने हेतु बारीकियों का विश्लेषण किया। उन्होंने विश्वस्तरीय सक्षम और सामाजिक रूप से प्रसंगिक ग्रेजुएट बनाने के लिये पाठ्यक्रमों को विकसित करने हेतु विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम में विभिन्न कौशलों पर सामंजस्य बनाना अनिवार्य है। हमें पाठ्यक्रम ऐसे बनाने चाहिये जिनकी आगे आने वाले वर्षों में उपयोगिता हो। छात्रों को नौकरी प्रदाता के अनुरूप और उद्यमी योग्य शिक्षा दी जानी चाहिये। कार्यशाला में विश्वविद्यालय के सभी संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकों एवं निदेशकों ने भाग लिया और इन्टर एक्टिव व्याख्यान से लाभान्वित हुए। डॉ. निशा सिंह ने मंच का संचालन किया।

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