सपा विधायक रफीक अंसारी को तलाश रही मेरठ पुलिस, टीम गठित

100 एनबीडब्लयू  नोटिस के बाद भी पेश नहीं हुए विधायक

मेरठ। मेरठ शहर विधान सभा सीट से समाजवादी विधायक की मुश्किलें बढ़ गयी है। सौ एनबीडब्लयू  नोटिस के बाद कोर्ट में पेश न होने पर उनके खिलाफ नॉन बेलेवल वांरट जारी किए गये है। जिस पर मेरठ पुलिस उनकी तलाश में जुटी है। पुलिस की टीम ने उनके घर पर दबिश दी लेकिन कोई पता नहीं चल पाया है।  सीओ सिविल लाइन अभिषेक तिवारी का कहना है कि विधायक की गिरफ्तारी को प्रयास किए जा रहे हैं। टीम गठित की गई है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1995 के मामले में मेरठ के विधायक रफीक अंसारी को राहत देने से इनकार कर दिया। विधायक की याचिका खारिज कर दी। याचिका में NBW के आदेश को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने इसलिए खारिज किया। क्योंकि, सपा के नेता 1997 और 2015 के बीच 100 से अधिक गैर-जमानती वारंट जारी होने के बावजूद अदालत में पेश होने में विफल रहे। जस्टिस संजय कुमार सिंह की पीठ ने कहा-मौजूदा विधायक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट का निष्पादन न करना और उन्हें विधानसभा सत्र में भाग लेने की अनुमति देना एक खतरनाक और गंभीर मिसाल कायम करता है।गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे व्यक्तियों को कानूनी जवाबदेही से बचने की अनुमति देकर हम कानून के शासन के प्रति दंडमुक्ति और अनादर की संस्कृति को कायम रखने का जोखिम उठाते हैं। अदालत ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, एमपी/एमएलए, मेरठ की अदालत में लंबित आईपीसी की धारा 147, 436 और 427 के तहत आपराधिक मामले से संबंधित अंसारी की रद्द करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की।

101 गैर जमानती वारंट फिर भी पेश नहीं हुए

इस मामले में उपरोक्त धाराओं के तहत अपराध के लिए 35-40 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ सितंबर 1995 में एफआईआर दर्ज की गई। जांच पूरी होने के बाद 22 आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ पहला आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया। उसके बाद आवेदक अंसारी के खिलाफ एक और पूरक आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया, जिस पर संबंधित अदालत ने अगस्त 1997 में संज्ञान लिया। अंसारी अदालत के सामने पेश नहीं हुए, इसलिए 12 दिसंबर 1997 को गैर-जमानती वारंट जारी किया गया। बाद में बार-बार गैर-जमानती वारंट ( जिसकी संख्या 101) और धारा 82 सीआरपीसी के तहत प्रक्रियाओं के बावजूद, आवेदक अदालत के सामने पेश नहीं हुआ।

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