सफलता का कोई शार्टकट नहीं
-डा.ओपी चौधरी
सेमोर एपस्टीन कहते हैं कि "बड़ी सफलताएं हासिल करने वाले लोग अपना वक्त व्यर्थ, जटिल किस्म के या विनाशकारी विचारों में उलझकर नष्ट नहीं करते। वे रचनात्मक ढंग से सोचते हैं और उन्हें मालूम होता है कि उनके सोचने का तरीका ही उनकी कामयाबी को तय करेगा"। सफलता और असफलता के बारे में काफी कुछ लिखा- पढ़ा और कहा जाता है। ये दोनों ही हमारे जीवन से जुड़ी हुई रहती हैं। दोनों सिक्के के दो पहलू की तरह हैं। बिना एक के दूसरे का कोई अस्तित्व नहीं है।
सफल लोगों का इतिहास पढ़ेंगे तो आपको हर सफल व्यक्ति में कुछ न कुछ विशेषताएँ अवश्य ही मिलेंगी। इसी तरह असफल लोगों में भी कुछ समानताएं होती हैं। हर सफल व्यक्ति को कभी न कभी असफलता का सामना जरूर करना पड़ता है। लेकिन असफलता व त्रुटियाँ कुछ समय के लिए आपको लक्ष्य से दूर ले जाती हैं, हमेशा के लिए नहीं। आप उन गलतियों को सुधारकर दूसरे मौके के लिए और अधिक उत्साह व परिश्रम से प्रयासरत हो सकते हैं।सफलता पाने का एक बेहतर तरीका है कि हम अपनी असफलता के कारणों को जानें उन्हें दूर करें और नये जोश से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में जुट जाय।हमें अपने लक्ष्य के समानता वाले लोगों से भी मिलते -जुलते  रहना चाहिए, लेकिन कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है, और न ही सफलता प्राप्त करने के लिए कोई शार्टकट है।
       सफलता तभी प्राप्त होगी जब हम मूल्यवान लक्ष्य की प्राप्ति की ओर अपनी पूरी तन्मयता और क्षमता से लग जाएंगे,अपना सारा ध्यान अर्जुन की तरह चिड़िया की आंख पर टिकाएँगे।किसी ने बहुत सटीक लिखा है कि अगर आप सचमुच सफल होना चाहते हैं,तो उन कार्यों को करने की आदत डालिये,जिन्हें असफल लोग नहीं करना चाहते।वास्तव में सफलता कोई रहस्य नहीं है।यह केवल बुनियादी उसूलों को लगातार अमल में लाने का।परिणाम है।इसी का उल्टा उतना ही सही है कि असफलता और कुछ नहीं,अपितु कुछ गलतियों का  निरंतर दुहराने का परिणाम होती हैं।वास्तव में सफलता लक्ष्य नहीं ,बल्कि एक सफर है।एक लक्ष्य पूरा होते ही,हमारा सफर दूसरे लक्ष्य के लिए शुरू हो जाता है।हकीकत यह है कि सफलता अपने आपमें सही दिशा में लगातार कठिन मेहनत का परिणाम है।कुछ अप्रिय निर्णय भी हम विपरीत परिस्थितियों में लेते हैं या यों कहें कि लेने पड़ते हैं,लेकिन बिना जोखिम उठाये सफलता भी नहीं मिलती है कहावत भी है नो रिस्क नो गेन।
     बिल कॉस्बी कहते हैं कि मुझे नहीं मालूम कि कामयाबी पाने की कुंजी क्या है,पर हर आदमी को खुश करने की कोशिश करना ही नाकामयाबी की कुंजी है।सफलता में कुछ बाधाएं भी आती हैं,मसलन- अहंकार,आत्मविश्वास व आत्मसम्मान की कमी,असफल होने का डर,कोई निश्चित लक्ष्य न होना,ठोस कार्ययोजना का अभाव,पारिवारिक जिम्मेदारियां,एकाग्रता की कमी,टालमटोल की आदत,क्षमता की पहचान का न होना,अभ्यास की कमी,लगाव न महसूस करना,दृढ़ता की कमी,प्राथमिकताएँ न तय कर पाना, पैसों की अत्यधिक लालच,आर्थिक रूप से सुरक्षित न होना आदि।दरअसल बाद में आसान लगने वाली सारी चीजें शुरू में मुश्किल लगती हैं।एक पुरानी कहावत है कि शान्त समुद्र में नाविक कुशल नहीं बन पाते।हम अपनी समस्याओं से मुंह नहीं चुरा सकते हैं।



असफल लोग ही कोशिस छोड़कर मैदान से हट जाते हैं।किसी विद्वान ने बहुत ही सटीक लिखा है कि अधिकतर लोग ठीक उस समय हार मान लेते हैं, जब उन्हें सफलता मिलने ही वाली होती है।विजय - रेखा बस एक कदम की दूरी पर होती है,तभी वो कोशिस बन्द कर देते हैं।वे खेल केमैदान से अंतिम मिनट में हट जाते हैं,जबकि उस समय जीत का निशान उनसे केवल एक फुट के फासले पर होता है।
अवकाश प्राप्त प्रोफेसर, मनोविज्ञान विभाग
श्री अग्रसेन कन्या पी जी कॉलेज,वाराणसी।

No comments:

Post a Comment

Popular Posts