नसों में घुलता नशा

 इलमा अजीम 
नशे की लत को पूरी करने के लिए बच्चे अपराध करने से भी नहीं हिचक रहे हैं। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में आए दिन हो रही चोरी, छिनैती में मुख्य रूप से युवा ही शामिल हो रहे हैं। यही नहीं, रेलवे स्टेशन के आसपास घूमने वाले बच्चे चलती ट्रेन में भी वारदात करने से नहीं चूकते। भारत को युवा देश माना जाता है। जिस ओर युवा चलता है उसी ओर देश की दिशा प्रशस्त होती है, लेकिन दिशा ही गलत हो तो स्थिति को समझा जा सकता है। आज का युवा वर्ग नशे की लत में ग्रसित होता जा रहा है। हमें युवाओं को नशे से बचाकर युवा शक्ति का राष्ट्र निर्माण में प्रयोग करना है। आंकड़ों से पता चलता है कि देश में दस करोड़ लोग नशे की गिरफ्त में हैं, जिनमें अधिकतर युवा हैं। यह बहुत ही चिंतनीय है। देश में प्रतिदिन बढ़ते नशे के कारण बहुत ही इस प्रकार के मार्मिक हादसे होते जा रहे हैं जिसके कारण इन हादसों में सैकड़ों युवा नशे की लत से मर रहे हैं और मां-बहनों का सिंदूर मिट जा रहा है और बहुत सी बहनों के इकलौते भाई इस दुनिया को आए दिन अलविदा कह रहे हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को नशा बेचने वालों पर सख्ती से नकेल कसनी होगी, नहीं तो युवा वर्ग नशे की चपेट में आकर अपनी सोचने-समझने की क्षमता को नष्ट कर देगा। नशाखोरी की चपेट में आने वाला युवा वर्ग इस तरह जाल में फंसता है कि उसकी सोचने-समझने की क्षमता भी नष्ट हो जाती है, जिससे वह अपने जीवन के लिए कोई भी निर्णय नहीं ले पाता है। नशा करने के लिए वे अनेक मादक पदार्थों का, जैसे शराब, गांजा, चिट्टा, चरस, स्मैक, मोर्फिन, कोको पत्ती, ताड़ी, अफीम, बीड़ी, सिगरेट आदि का सेवन करने लगता है। नशाखोरी से व्यक्ति अनेक ऐसे गलत कार्यों को करने लगता है जो समाज के खिलाफ होते हैं। नशे के कारण आर्थिक हानि, सडक़ दुर्घटना, हत्या, बलात्कार, घरेलु व सामाजिक झगड़े, स्वास्थ्य की हानि, व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा, बच्चों की शिक्षा एवं संस्कार आदि में नशे का कुप्रभाव पड़ता है। वर्तमान में देश में लगभग सभी वर्गों के छोटे-छोटे बच्चे, यहां तक कि महिलाएं भी नशे की बुरी स्थिति में पाई जाती हैं। नशे ने लोगों का सुख-चैन तो छीन ही लिया है, अब लोगों के वंश और नस्लों पर भी बन आई है। शराब के बाद सूखा नशा युवाओं की नसों में इस कदर दौड़ने लगा है कि परिवार के परिवार बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं। चिट्टा, गांजा, चरस, हेरोइन और स्मैक को हाई सोसाइटी प्रोफाइल का हिस्सा मानने वाले परिवारों के बच्चे जवानी में ही अपना सब कुछ गंवा रहे हैं।नशे के कारण सबसे अधिक प्रभावित युवा वर्ग है। इससे उनका मानसिक संतुलन खराब हो रहा है। एक बार नशे की लत में पडऩे के बाद इससे निकलना मुश्किल हो रहा है। नशे की लत में सबसे अधिक कचरा बीनने वाले लडक़े शामिल हैं। सिर्फ लडक़े ही नहीं बल्कि इनकी जमात में लड़कियां भी शामिल हो रही हैं। अब वह वक्त आ गया है जब हमें नशे पर पूरी तरह नुकेल कस लेनी चाहिए।

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