जब तक यह धरती रहेगी तब तक नेताजी के विचार हमारे मार्गदर्शक रहेंगे-डॉ. देशराज सिंह

नेताजी के विचार क्रिया योग की तरह ही साधना करने योग्य- आचार्य सलिल कुमार

सुभारती विवि में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के विचारों की वर्तमान परिपेक्ष्य में उपादेयता पर हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी

  मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती वि वि के गणेश शंकर विद्यार्थी सुभारती पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग नेताजी सुभाषचंद्र बोस पीठ के तत्त्वावधान में “नेताजी सुभाषचंद्र बोस के विचारों की वर्तमान परिपेक्ष्य में उपादेयता” विषय पर हाइब्रिड मोड में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न भागों से शोधार्थियों व शिक्षकों ने भाग लिया। नेताजी को अपनी ज्योतिषिय गणनाओं के द्वारा आज भी जीवीत बताने वाले अंतरराष्ट्रीय ज्योतिषी आचार्य सलिल कुमार, भारतीय संग्राहलय संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष व डॉ.बी.आर अम्बेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. आनंद वर्धन एवं योद्धा अकेडमी मेरठ के संस्थापक कर्नल अमरदीप त्यागी ने इस कार्यक्रम में कर्मशः मुख्य अतिथि, मुख्य वक्ता व विशिष्ठ अतिथि के रूप में भाग लिया। 

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए मुख्य अतिथि आचार्य सलिल कुमार ने कहा कि आज जो आजादी हमें मिली है यह नेताजी के राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय आंदोलनों का परिणाम है। अगर उस समय नेताजी इस तरीके से खड़े ना हुए होते तो आज भी शायद हमारा देश आजाद ना हुआ होता। नेताजी के विचारों पर बात करते हुए आचार्य सलिल कुमार ने कहा कि जीवन में लक्ष्य प्राप्ति के लिए जोखिम तो उठाना ही पड़ेगा। उन्होंने आगे भगवद् गीता में कृष्ण अर्जुन संवाद की विशेषता के बारे में बताते हुए उन्होंने क्रिया योग की महत्ता से सभी को परिचित कराया और कहा कि नेताजी से बड़ा क्रिया योग का साधक होना लगभग असंभव है। उन्होंने आगे कहा कि हमें नेताजी के विचारों को भी नियमित रूप से क्रिया योग की ही भांति स्वाध्याय करना चाहिए। इसके साथ ही सलिल कुमार ने नेताजी को वर्तमान समय में हमारे बीच उपस्थित होने के प्रमाणों के मिलने की बात को भी श्रोताओं के साथ साझा किया।

इस दौरान मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए भारतीय संग्राहलय संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आनंद बर्धन ने नेताजी से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नेताजी एक दूरदृष्टा व्यक्तित्व के स्वामी थे, उन्हें यह भलिभांति पता था कि अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए हमें आजादी कभी नहीं मिल सकती। इसलिए नेताजी ने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव जीतने के बावजूद अपने पद से इस्तीफा दे दिया और एक अलग दल जिसे फॉरवर्ड ब्लॉक के नाम से जाना जाता है का गठन किया साथ ही उन्होंने रास बिहारी बोस के द्वारा स्थापित आईएनए(इंडियन नेशनल आर्मी) का पुर्नगठन किया और ब्रितानवी सरकार के विरूद्ध दुनिया के कई राष्ट्रों के साथ मिलकर भारत की स्वतंत्रता के लिए सैन्य मुहिम छेड़ी। उन्होंने आगे कहा कि इतिहास ही नहीं वर्तमान और भविष्य में भी युगपुरुष व जननायक रहेंगे नेताजी।

इसी क्रम में विशिष्ठ अतिथि कर्नल अमरदीप त्यागी ने अपने संबोधन में कहा कि नेताजी एक सर्वगुण संपन्न व्यक्ति थे। वे जितने अच्छे राजनेता थे उतने ही अच्छे सैन्य कमांडर भी थे। नेताजी की रणनीतिक समझ इतनी परिपक्व थी की उसकी काट उस के किसी भी अन्य सैन्य कमांडर के पास नहीं थी। ये नेताजी की ही सूझबूझ और रणनीति का कमाल था कि उन्होंने अंग्रेज फौज के मुकाबले कम साधनसंपन्न और संख्याबल में भी अल्प भारतीय नेशनल आर्मी(आईएनए) के अभियानों को सफलता दिलाई।  

वहीं कार्यक्रम में आए हुए सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) एस. सी.थलेड़ी ने कहा कि सुभाचंद्र बोस हम सभी के लिए अतुल्नीय प्रेरणा के स्रोत हैं। डॉ. थलेडी ने सभी विद्यार्थियों से कहा कि यह आप सभी के लिए एक  बहुत ही बड़ा और काफी महत्वपूर्ण अवसर होगा क्योंकि सुभाषचंद्र बोस के बारे में आप सबको आज यहां उपस्थित विद्वानों के द्वारा बहुत सी नई जानकारी मिलेगी।

इस दौरान संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए नेताजी सुभाषचंद्र बोस पीठ के अध्यक्ष मेजर (डॉ.) देशराज सिंह ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनसे संबंधित 3 महत्वपूर्ण दिवसों के बारे में बताया। जिसमें की 23 जनवरी, 14 अप्रैल व 21 अक्टूबर हैं जिन्हें क्रमशः सुभारती विश्वविद्यालय में पराक्रम दिवस, मोईरांग दिवस व अखँड भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान डॉ. देशराज ने कहा कि नेताजी के विचार महान विचार हैं और जब तक यह धरती रहेगी तब तक नेताजी के विचार हम सभी के मध्य रहेंगे औऱ हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।

उद्घाटन सत्र के अंत में सभी का आधिकारिक रूप से धन्यवाद ज्ञापन पत्रकारिता विभाग के सहायक आचार्य राम प्रकाश तिवारी ने करते हुए कहा कि आज इस संगोष्ठी के माध्यम से इतने विद्वतजनों के द्वारा हम सभी को नेताजी के बारे में कई नई व अनजानी जानकारी मिली हैं और अगले तकनीति सत्रों में भी यह क्रम चलता रहेगा। इस दौरान सभी अतिथियों का सुभारती विश्वविद्यालय की परंपरा के अनुसार पादप व अंगवस्त्र तथा प्रतिक चिन्ह देकर स्वागत व सम्मान किया गया।  इस दौरान कार्यक्रम का संचालन बीएजेएमसी की छात्रा पलक टंडन ने किया।

वहीं संगोष्ठी के तकनीकी सत्रों में मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. (डॉ.) लता कुमार ने ऑनलाइन जुड़ते हुए नेताजी सुभाषचंद्र बोस के व्यक्तित्व व कार्यों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने रानीझांसी महिला रेजीमेंट की स्थापना की थी, वे उस समय के एकमात्र ऐसे व्यक्ति हुए जिन्होंने इस प्रकार का एक आसाधारण कदम उठाया, जोकि महिला सशक्तिकरण का एक उदाहरण था। ये नेताजी की ही शिक्षा नीति का परिणाम है जो आज हम भारत में कोएड शिक्षा व्यवस्था को देख रहे हैं। 

इस संगोष्ठी में डॉ. भूप सिंह गौर, डॉ. कमल किशोर उपाध्याय, विश्वास गुप्ता, डॉ.अजय कृष्ण तिवारी, डॉ.अर्पितबेन तुलसीभाई पटेल, डॉ. राजरानी सिंह, राम प्रकाश तिवारी, शैली शर्मा, एमजेएमसी के छात्र जयंत सिंह ढाका आदि ने प्रमुख रूप से अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये।

वहीं संगोष्ठी के समापन सत्र में पत्रकारिता विभाग की सहायक आचार्य शैली शर्मा ने इस पूरे आयोजन की संक्षिप्त विवरणिका सभी के सम्मुख प्रस्तुत की। इस दौरान संगोष्ठी की संयोजिका व नेताजी सुभाषचंद्र बोस पीठ की शोध अधिकारी डॉ. प्रीति सिंह ने संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि आज के इस आयोजन से निश्चित रूप से हम सभी को नेताजी के बारें मे बहुत सी नयी व महत्वपूर्ण जानकारी मिली हैं जिनसे हम नेताजी के बारे में और नवीन शोधों को करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। 

इस दौरान पत्रकारिता विभाग के सहायक आचार्य राम प्रकाश तिवारी, मधुर शर्मा, शैली शर्मा, गैरशिक्षणेत्तर कर्मी प्रिंस चौहान, कपिल गिल, संजय पाल, कुलदीप, बीजेंद्र के साथ-साथ विभाग के छात्रों अमिताभ आनंद, सिमरन श्रीवास्तव, अमन शर्मा, हर्ष बसुटा, पलक टंडन, विशेष शर्मा, हर्षुल, भूमि, सुमैया, लाएबा, भारती, शकिब, अर्पित, हर्षित, नितेश, मनीषा, वर्षा, गरिमा, सुमन कुमार, मोनु कुमार, अपूर्वा, आनंद, अनुष्का, सुगंधी, टीना, अंजली आदि का सहयोग रहा।

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