महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे लाना हम सबकी जिम्मेदारी : प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी
मेरठ ।अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर सीसीएसयू के उर्दू विभाग ने ऑनलाइन " अंतर्राष्ट्रीय महिला मुशायरा" का आयोजन किया।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस यानी 8 मार्च वह तारीख है जो पूरी दुनिया में बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाई जाती है और इसे मनाने का उद्देश्य महिलाओं को आगे बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें सशक्त बनाना और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता लाना है। समय आ गया है, महिलाओं पर होने वाले अत्याचार और हिंसा की घटनाओं को ख़त्म करने का। विचार करें कि अगर हम महिलाओं को सृष्टि से हटा दें, तो कुछ भी नहीं बचेगा, अगर फूल, खुशबू, दया, दया और कृपा ये सब आज हमारे लिए है। यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे लाएँ, उन्हें उनके अच्छे कार्यों के लिए प्रोत्साहित करें और साथ ही हमें हर क्षेत्र में महिलाओं की मदद करने का प्रयास करना चाहिए। मुझे इसका अधिकार मिला है समानता। ये शब्द थे आयुसा के संरक्षक एवं उर्दू विभागाध्यक्ष प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी के। कार्यक्रम का संचालन डॉ शादाब अलीम ने किया
नुजहत अख्तर ने नात पाक से कार्यक्रम की शुरुआत की. इसके बाद उर्दू द्वितीय वर्ष की छात्रा फरहत अख्तर न ग़ज़ल प्रस्तुत की। कार्यक्रम के अध्यक्षता निगार अज़ीम, दिल्ली ने एवं मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध कथा लेखिका एवं शायरा डॉ. नईमा जाफरी, दिल्ली ने ऑनलाइन शिरकत की।
इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ. निगार अजीम ने कहा कि महिला दिवस के अवसर पर यह साहित्यिक कार्यक्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बनात की सभी बहनें एकजुट हुईं और उनकी बातें सुनी गईं और हमारी बनात और उर्दू विभाग ने एक दूसरे का परिचय कराया। मैं इस सफल कार्यक्रम के लिए प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी के पूर्ण स्वस्थ होने की प्रार्थना करती हूं और आशा करती हूं कि ये साहित्यिक कार्यक्रम इसी तरह जारी रहेंगे।'' इस अवसर पर उन्होंने अपनी एक ग़ज़ल भी प्रस्तुत की।
इस अवसर पर पढ़े गए चुनिंदा शेर प्रस्तुत हैं-
ख़्वाहिशें बहुत हैं. ख़्वाहिशें बहुत हैं
मुझे आश्चर्य है कि मैं तुम्हारे साथ क्या करूँ?
डॉ. कमर सरवर, अहमदनगर
मैंने तुम्हें कल्पना की दुनिया में रख दिया है
उसने तुम्हें आँखों में साँसों में बसाया है
डॉ. सलमा शाहीन, दिल्ली
आप दृढ़ रहेंगे यह दृढ़ संकल्पित था
यह तय हो गया कि दोनों कहां रहेंगे
दानिश ग़ज़ल, मेरठ
जब भी मैंने तुम्हारी खुशी के बारे में सोचा, मैंने तुम्हारे बारे में सोचा
मैंने केवल वही सोचा जो उसने तुम्हारे बारे में कहा था
गुलजहाँ, पाकिस्तान
ये बेटियां जिंदगी में रंग भर देती हैं
बेटियाँ मेरे बगीचे के फूलों की तरह हैं
हर कोई बेटा ही लगता है प्रिय
बेटियों को जन्म लेते ही मार दिया जाता है
डॉ. राजेश कुमारी, लखनऊ
वह जो गुड़िया बेच रही है
वह छुपकर सोच रही है
इसकी कितनी लागत आएगी?
एक ख़ाली घर मुझसे बात करेगा
फिर मैं खाली हो गया
जहान मेरे बाद बोलेगा
ज़ेबुन्निसा ज़ेबी, पाकिस्तान
नये भय की दस्तक से मुझे जगाता है
हर नया दिन मुझे नए राक्षस दिखाता है
अजरा नकवी, नोएडा
मैं तुम्हारा हूँ, तुम्हारा ही रहूँगा
लेकिन तुम मेरे दिल की बात समझना भी सीख लो
फरखंदा शमीम, पाकिस्तान
कार्यक्रम में डॉ. आसिफ अली, डॉ. अलका वशिष्ठ, डॉ. इरशाद स्यानवी , मुहम्मद शमशाद, सईद अहमद सहारनपुरी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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