स्वयं उपचार के लिए पहुंचने पर क्षय रोगी को इनफॉर्मेंट इंसेंटिव भी मिलेगा

 -          डब्ल्यूएचओ कंसलटेंट ने एनटीईपी स्टाफ को डीबीटी प्रशिक्षण दिया

-          प्रशिक्षण से डीबीटी भुगतान की त्वरित कार्यवाही में मिलेगी मदद

 

गाजियाबाद, 15 मार्च, 2024 राज्य क्षय नियंत्रण कार्यक्रम अधिकारी के निर्देश पर शुक्रवार को जिला एमएमजी चिकित्सालय सभागार में डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) प्रशिक्षण/ वर्कशॉप का आयो‌जन किया गया। डीबीटी प्रशिक्षण के लिए शासन से नामित फैसिलिटेटर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) कंसलटेंट डा. दिनेश बी. बलिगा ने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) स्टाफ को प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया - यदि कोई व्यक्ति स्वयं जांच कराकर टीबी का उपचार शुरू करता है तो वह इनफॉर्मेंट इंसेंटिव स्कीम के तहत भी इंसेंटिव पाने का हकदार है। यानि ऐसे क्षय रोगी को निक्षय पोषण योजना की राशि के साथ इनफॉर्मेंट इंसेंटिव भी दिया जाएगा। 

राज्य क्षय नियंत्रण कार्यक्रम अधिकारी के निर्देश पर सभी जनपदों में डीबीटी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। शुक्रवार को गाजियाबाद में जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी)वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक (एसटीएस)वरिष्ठ प्रयोगशाला पर्यवेक्षक (एसटीएलएस) और लेखाकार शामिल रहे। डब्ल्यूएचओ कंसलटेंट डा. दिनेश बी. बलिगा ने एनटीईपी स्टाफ को प्रशिक्षण में बताया- फेफड़ों की टीबी से पीड़ित व्यक्ति के सभी परिवारिजनों को टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) दी जाना आवश्यक है। 

 बता दें कि जनवरी, 2024 से पहले पल्मोनरी टीबी के रोगी के परिवार में मौजूद पांच वर्ष तक के बच्चों को ही टीपीटी दी जाती थी। टीपीटी देने के लिए क्षय रोगी के संपर्क में रहने वाले सभी व्यक्तियों की भी निक्षय आईडी बनानी है। यदि किसी संपर्की को टीपीटी लेते हुए टीबी की पुष्टि हो जाती है तो संपर्की की आईडी बंद कर देनी है और फिर क्षय रोगी के रूप में उसकी नई आईडी बनाकर टीबी का उपचार शुरू करना है।

डा. बलिगा ने बताया  इनफॉर्मेंट  इंसेंटिव स्कीम के तहत सरकारी नौकरी करने वाले इंसेंटिव पाने के हकदार नहीं हो सकतेमानदेय पर काम करने के चलते आशा कार्यकर्ता यह इंसेंटिव पाने की हकदार है। इनफॉर्मर  की पोर्टल पर आईडी बनाई जाती है और दो माह का उपचार पूरा होने के बाद उसे पांच सौ रुपए का भुगतान किया जाता है। यदि किसी रोगी ने स्वयं जांच कराकर उपचार शुरू किया है तो उसे निक्षय पोषण योजना के तहत मिलने वाले डीबीटी के साथ ही पांच सौ रुपए का इनफॉर्मेंट इंसेंटिव भी दिया जाएगा। डा. बलिगा ने निक्षय पोषण योजनाट्रीटमेंट सपोर्टर प्राइवेट नोटिफिकेशन एवं आउटकम पर रिफ्रेशर प्रशिक्षण दिया। 

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पल्मोनरी टीबी रोगी के 20 संपर्कियों की जांच करें : सीएमओ

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने प्रशिक्षण सत्र को संबोधित करते हुए कहा - पल्मोनरी (फेफड़ों की) टीबी के सभी रोगियों के 20 संपर्कियों की जांच अवश्य की जाए। टीबी संक्रमण रोकने के लिए यह अति आवश्यक है। सीएमओ ने कहा - पल्मोनरी टीबी संक्रामक होती है। यह सांस के जरिए फैलती है। रोगी के संपर्क में आने वाले को संक्रमण का खतरा रहता है। रोगी के रहने का स्थान खुला और हवादार हो। पल्मोनरी टीबी रोगियों को सार्वजनिक स्थान पर मास्क लगाने की सलाह दें। उसके सभी परिवार जनों को टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) दें। रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनाए रखने के लिए उसे उच्च प्रोटीन और विटामिन युक्त पौष्टिक भोजन दिया जाना जरूरी है।

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