कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम

 शासन से जिला स्तरीय समन्वय समिति गठित होगी 

 - 2027 तक कुष्ठ उन्मूलन करने के लिए कार्य करेगी समिति

- जिला अधिकारी अध्यक्ष और सीएमओ होंगे सह अध्यक्ष

- कार्यक्रम की नियमित निगरानी और अनुश्रवण करेगी समिति 

 

मेरठ। राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम भारत सरकार प्राथमिकता वाला कार्यक्रम है। सरकार ने 2027 तक कुष्ठ उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित करते हुए नेशनल स्ट्रेटेजिक प्लान (एनएसपी) तैयार की है। एनएसपी के अंतर्गत अभियान के बेहतर अनुश्रवण एवं नियमित समीक्षा के लिए शासन से जिला स्तरीय समन्वय समिति का गठन किया गया है।


 मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. अखिलेश मोहन  ने बताया - 10 सदस्यीय स‌मन्वय समिति जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित की गई है। सीएमओ समिति में सह-अध्यक्ष होंगे। समिति के गठन के साथ ही शासन स्तर से सभी की जिम्मेदारी भी निर्धारित की गई है ताकि निर्धारित समय पर कुष्ठ उन्मूलन के लिए नियमित रूप से अनुश्रवण और कार्यक्रम की समीक्षा की जा सके।

प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) पार्थ सारथी सेन शर्मा की ओर से जारी शासनादेश में कहा गया है कि समन्वय समिति के अध्यक्ष यानि जिलाधिकारी और सह अध्यक्ष यानि सीएमओ सरकारी एवं गैर सरकारी विभागों के बीच समन्वय स्थापित करते हुए अभियान के सफल संचालन के लिए जिम्मेदार होंगे। जिला कुष्ठ अधिकारी को समन्वय समिति में सदस्य सचिव नामित किया गया हैवह अभियान के सफल संचालन का अनुश्रवण एवं मल्यांकन करेंगे। इसके साथ ही सभी सीएचसी-पीएचसी के चिकित्साधिकारियों का संवेदीकरण और कुष्ठ रोग के लक्षण और उपचार के बारे में प्रचार- प्रसार की जिम्मेदारी भी संभालेंगे। समिति में सात साधारण सदस्य होंगे। जिला समाज कल्याण अधिकारी (सदस्य) कुष्ठ रोगियों को दी जाने वाली पेंशन और अन्य सुविधाओं की मॉनीटरिंग करेंगे। जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी (सदस्य) को कुष्ठ रोग के प्रति जनसमुदाय को जागरूक करने की जिम्मेदारी निभानी होगी।

 कुष्ठ रोग के नोडल अधिकारी डा के सी तिवारी ने बताया जिला परिषद के एक नामित सदस्य भी समन्वय समिति के सदस्य होंगे। वह अभियान के दौरान सा‌माजिक प्रतिरोधों और भेदभाव को दूर में विभाग की सहायता करेंगे। जिला आशा को‌आर्डिनेटर समिति में सदस्य की हैसियत से आशा कार्यकर्ताओं को कुष्ठ रोग के प्रति संवेदीकरण करेंगी और जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) को कार्यक्रम के प्रबंधन और व्यय संबंधी कार्यों का निर्वहन करना होगा। जिला एपिडिमियोलॉजिस्ट आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए कार्यक्रम में सहयोग करेंगे। एसोसिएशन ऑफ पेशेंट अफेक्ट्ड विद लेप्रोसी (एपीएएल) के एक नामित सदस्य जागरूकता के जरिए सामाजिक कलंक (सोशल स्टिग्मा) दूर करने का प्रयास करेंगे। सीएमओ ने बताया - कुष्ठ रोग को कलंक के रूप में देखा जाता हैऐसा बिल्कुल नहीं है। यह भी अन्य रो‌गों की तरह ही एक रोग है माइकोबैक्टीरियम नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह रोग पीड़ित के लंबे समय तक संपर्क में रहने से फैलता है।


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