जनपद की सभी यूनिटों पर मनाया गया विश्व क्षय रोग दिवस

जिला क्षय रोग केंद्र पर सीएमओ की अध्यक्षता में कार्यक्रम आयोजित हुआ

एसएनसी सर्वे में काम करने वाले वालंटियर्स और एनटीईपी स्टाफ को मिले सर्टिफिकेट

 

हापुड़। हर वर्ष 24 मार्च को मनाया जाने वाले विश्व क्षय रोग बृहस्पतिवार को मनाया गया। शासन के आदेश पर जनपद की सभी आठ टीबी यूनिट पर यह दिवस मनाया गया और यूनिट पर पहुंचने वाले सभी व्यक्तियों को टीबी के बारे में जानकारी दी गई और पैंफ्लेट वितरित किए गए। इसके अलावा जन समुदाय को टीबी के प्रति जागरूक करने के लिए ई-रिक्शा पर भी पोस्टर आदि लगाकर टीबी के लक्षण और उपचार की उपलब्धता की जानकारी का प्रचार- प्रसार किया गया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील कुमार त्यागी की अध्यक्षता में जिला क्षय रोग केंद्र पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान सब-नेशनल सर्टिफिकेट (एसएनसी) सर्वे में काम करने वाले वालंटियर्स और राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) स्टाफ को प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। टीबी यूनिट पिलखुवा पर वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक संगीता अरोड़ा और टीबीएचवी विजय कुमार ने दो-दो क्षय रोगियों को गोद लेकर पुष्टाहार प्रदान किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सीएमओ डा. सुनील कुमार त्यागी ने कहा - हर वर्ष 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस का आयोजन टीबी के प्रति जन समुदाय को जागरूक करने के लिए किया जाता है। इस बार होली के चलते शासन के निर्देश पर विश्व टीबी दिवस का आयोजन 28 मार्च को किया गया। उन्होंने कहा - टीबी उन्मूलन का मूल मंत्र ही जागरूकता है। केवल जागरूकता से ही टीबी उन्मूलन संभव है। दूर-दराज के क्षेत्रों में आज भी ऐसे लोग हैं जो टीबी को एक कलंक की तरह मानकर छिपाने का प्रयास करते हैं। ऐसा करना अपनों को खतरे में डालना है। दरअसल टीबी के 80 प्रतिशत से अधिक मामले फेफड़ों की टीबी से संबंधित होते हैं और फेफड़ों की टीबी सांस के जरिए फैलती है। कोई भी रोगी यदि टीबी का उपचार लेने में देरी करता है तो इस बीच उसके परिजन भी संक्रमण की चपेट में आ सकते है। इसलिए टीबी को छिपाएं नहींबल्कि जांच कर उपचार कराएं।

जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह ने कहा - टीबी का अच्छा उपचार सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है। दो माह के नियमित उपचार के बाद रोगी के संपर्क में रहने वालों को संक्रमण लगने का खतरा नहीं रहता। अधिकतर मामलों में छह माह के नियमित उपचार के बाद टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है। जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने बताया - उपचार के दौरान बेहतर पोषण के लिए रोगी हर माह पांच सौ रुपए की पोषण राशि सरकार की ओर से दी जाती है। दरअसल टीबी के उपचार के लिए नियमित दवाओं के साथ पोषण भी जरूरी होता है। पोषण के अभाव में टीबी की दवाएं खाने से परेशानी हो सकती है। कार्यक्रम के दौरान जिला कार्यक्रम समन्वयक दीपक शर्मा और जिला पीएमडीटी समन्वयक मनोज कुमार गौतम समेत तमाम एनटीईपी स्टाफ मौजूद रहा।

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