जन्मजात बीमारी “क्लबफुट” का उपचार संभव”
- संयुक्त जिला चिकित्सालय में विकलांगता जागरूकता माह के अंतर्गत कार्यक्रम आयोजित हुआ
- अनुष्का फाउंडेशन के सहयोग से जनपद में “क्लबफुट” से ग्रसित 44 बच्चों का चल रहा उपचार
- राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 42 जन्मजात विकृतियों की स्क्रीनिंग और उपचार होता है
हापुड़, 16 मार्च 2024। विकलांगता जागरूकता माह के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग ने शनिवार को एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंतर्गत “क्लबफुट” पर काम कर रही स्वयंसेवी संस्था अनुष्का फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में दिव्यांग शिशुओं के माता-पिता को जागरूक किया गया। संयुक्त जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डा. प्रदीप मित्तल ने अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा – “क्लबफुट” एक जन्मजात बीमारी है। समय से उपचार शुरू करने पर यह पूर्णतः ठीक हो जाती है। इस बीमारी से ग्रसित बच्चों के एक या दोनों पैर जन्म से टेड़े होते हैं। यह बीमारी न तो कोई कलंक है और न ही माता या पिता में कोई कमी होने के कारण होती है। क्लब फुट क्यों होता है इसका कोई विशिष्ट कारण अभी स्पष्ट नहीं हो सका है।
डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (डीईआईसी) प्रबंधक डा. मयंक कुमार ने बताया - मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील कुमार त्यागी और आरबीएसके के नोडल अधिकारी एसीएमओ डा. प्रवीण शर्मा के निर्देशन में संचालित आरबीएसके के अंतर्गत “क्लबफुट” जैसी 42 जन्मजात विकृतियों का निशुल्क उपचार किया जा रहा है। जन्मजात दोष जन्म के समय मौजूद संरचनात्मक परिवर्तन हैं जो हृदय, मस्तिष्क, पैर जैसे शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकते हैं। वह शरीर के दिखने वाले अंग, काम करने के तरीके या दोनों को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने अभिभावकों को बताया - अनुष्का फाउंडेशन के सहयोग से जनपद में “क्लबफुट” से ग्रसित 44 बच्चों का उपचार संयुक्त जिला चिकित्सालय में आर्थोपेडिक सर्जन के द्वारा किया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान जन्मजात विकृतियों के बारे में विस्तार से बताया गया और चिकित्सकीय प्रबंधन की भी जानकारी दी गई।
कार्यक्रम में अनुष्का फाउंडेशन से मोहम्मद मोविस ने बताया – क्लबफुट से हर 800 नवजात में से एक बच्चा प्रभावित होता है। देश में हर साल 33,000 बच्चे इस विकृति के साथ पैदा होते हैं। स्वयंसेवी संस्था “अनुष्का फाउंडेशन फॉर एलिमिनेटिंग क्लबफुट” पिछले पांच साल से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के साथ काम कर रही है। यह संस्था वर्तमान में क्लबफुट से पीड़ित 13000 से भी अधिक बच्चों का इलाज संस्था करवा रही है। क्लबफुट का यदि सही समय पर उपचार नहीं कराया जाए तो बच्चा जीवन भर के लिए दिव्यांग हो सकता है। इलाज न किये जाने पर प्रभावित बच्चों में भेदभाव, उपेक्षा, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ, अशिक्षा, शारीरिक एवं यौन शोषण का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
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