सुरक्षित हो डिजिटल लेन-देन
इलमा अजीम
भारत को 'पेमेंट करो' के बदले 'पेटीएम करो' का नारा देने वाली कंपनी पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (पीपीबीएल) को आरबीआई से 15 दिन की मोहलत भले ही मिल गई हो, पर उस पर छाया संकट अभी बरकरार है। पेटीएम का इस्तेमाल करने वाले करोड़ों लोग संशय में और निवेशक कशमकश में हैं। पेटीएम के शेयर लगातार लुढक रहे हैं। बैंकिंग नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई करते हुए आरबीआई ने 29 फरवरी के बाद पीपीबीएल को किसी भी ग्राहक खाते, वॉलेट, फास्टैग और अन्य साधनों में जमा या टॉप-अप स्वीकार करने से रोक दिया था। यह तारीख बढ़ाकर 15 मार्च करने के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास साफ कर चुके हैं कि पीपीबीएल पर अब नरमी की कोई गुंजाइश नहीं है। पेटीएम को नए ग्राहक जोडऩे और क्रेडिट/डेबिट कार्ड जारी करने से भी रोक दिया गया है। आरबीआइ व्यापक मूल्यांकन के बाद ही विनियमित संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करता है। राहत की बात है कि वह रेगुलेटर फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी (फिनटेक) क्षेत्र की निगरानी कर रहा है। यह ग्राहकों के हितों की रक्षा के साथ वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भी जरूरी है। डिजिटल लेन-देन के दौर में वित्तीय सेवाओं का सुगम और पारदर्शी होने के साथ सुरक्षित होना भी जरूरी है। बैंकिंग सेवाएं दे रहे दूसरे डिजिटल प्लेटफॉम्र्स पर भी आरबीआइ को नजर रखनी चाहिए। पेटीएम के मामले को देखते हुए ग्राहकों के हितों की चाक-चौबंद सुरक्षा बेहद जरूरी है।
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