राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) प्रवर्तन और नीतियों पर एक दिवसीय कार्यशाला
मेरठ। बौद्धिक संपदा प्रकोष्ठ चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान मेरठ के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, लखनऊ (यूपी) द्वारा प्रायोजित कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला की अध्यक्षता एवं प्रोफेसर शैलेंद्र सिंह गौरव के निर्देशन में बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) प्रवर्तन और नीतियों पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला के मुख्य अतिथि चंद्रशेखर शर्मा तनिकेला वैज्ञानिक 'एफ', दूरदर्शिता एवं दृष्टि प्रभाग और प्रभारी, क्षितिज स्कैनिंग यूनिट, टीआईएफएसी (डीएसटी), भारत सरकार, विशिष्ट अतिथि डॉ दिनेश कुमार, प्रधान वैज्ञानिक कृषि जैव सूचना विभाग आई ए एस आर आई पूसा नई दिल्ली, अभिषेक सैनी पेटेंट एटर्नी कॉरपोरेट लीगल एडवाइजर एलएलपी नोएडा, डॉक्टर तनु प्रिया पेटेंट एटर्नी आईपी वी ए एस ई गुड़गांव, प्रोफेसर बीरपाल सिंह, प्रोफेसर जितेंद्र सिंह, प्रोफेसर अनिल मलिक, प्रोफेसर राहुल कुमार ,उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत सभी अतिथियों ने मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित करके किया। कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर शैलेंद्र सिंह गौरव ने इस कार्यशाला की उपयोगिता बताते हुए कहा बौद्धिक संपदा (आईपी) संपत्ति की एक श्रेणी है जिसमें मानव बुद्धि की अमूर्त रचनाएं शामिल हैं। बौद्धिक संपदा कई प्रकार की होती है; सबसे प्रसिद्ध प्रकार पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और व्यापार रहस्य हैं। आज की यह कार्यशाला सभी विद्यार्थियों, रिसर्च स्कॉलर और यंग फैकल्टी मेंबर्स को निश्चित रूप से नवाचार से जोड़ेगी। डॉ नितिन गर्ग ने कार्यशाला में होने वाले व्याख्यान एवं कार्यशाला में होने वाली गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया। उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता प्रोफेसर वीरपाल पाल सिंह ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की उपलब्धियां के बारे में बताते हुए कहा पेटेंट के स्तर पर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय प्रदेश में नंबर वन और पूरे भारत में चौथे नंबर पर है। कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला जी ने इन उपलब्धियां का श्रेय विश्वविद्यालय के शिक्षकों छात्रों कर्मचारी एवं रिसर्च स्कॉलर को देते हुए कहा कि यह आप सब लोग की कड़ी मेहनत का परिणाम है। आप लोग निरंतर इसी तरह से मेहनत करते रहिए और अपने विश्वविद्यालय को उच्च शिखर पर पहुंचाइये। उन्होंने कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर एसएस गौरव व उनकी टीम को इस कार्यशाला के लिए हार्दिक बधाइयां दी। कार्यशाला के प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि चंद्रशेखर शर्मा ने अपने व्याख्यान में कहा आईपीआर की महत्वपूर्ण भूमिका तकनीकी ज्ञान और नवाचार के स्थानांतरण में है। यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि नए आविष्कारों के लिए सही उत्पादन प्रक्रियाएं और समर्थन साझा किए जा सकें। आईपीआर की समझ और संरक्षण से नए और विशेषज्ञ तकनीकी ज्ञान को सही स्थान पर ले जाने में मदद मिलती है, जिससे नवाचार की गति को तेजी से बढ़ाया जा सकता है।
कार्यशाला के द्वितीय सत्र में डॉ दिनेश कुमार ने अपने व्याख्यान में कहा आईपीआर बायोइनफॉर्मेटिक्स में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विज्ञानिक और तकनीकी उत्पादों को संरक्षित करने में मदद करता है, जैसे कि जीनोमिक्स डेटा, डेटा विश्लेषण टूल्स, और विभिन्न बायोलॉजिकल प्रोसेसेस। इससे वैज्ञानिक अनुसंधान और नई उत्पादों के विकास को प्रोत्साहित किया जा सकता है। तृतीय सत्र के मुख्य वक्ता अभिषेक सैनी ने भारत के अंदर पेटेंट फाइल करने की प्रक्रिया को समझाते हुए कहा पेटेंटिंग का मतलब होता है किसी नई और अद्वितीय आविष्कार, आविष्कार, या उत्पाद को विनिर्माण करने और इसका उपयोग करने की अनुमति प्राप्त करना। भारत में पेटेंटिंग के लिए आवेदन करने के लिए आपको भारतीय पेटेंट कार्यालय (Indian Patent Office) में आवेदन करना होता है। आवेदन की प्रक्रिया और नियमों के बारे में जानकारी के लिए, आपको भारत के पेटेंट कानून को समझने की आवश्यकता होती है। अंतिम सत्र में डॉक्टर तनु प्रिया अपने विचारों को कैसे सुरक्षित किया जा सकता है इस पर विस्तृत चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर ज्ञानिक शुक्ला ने किया। प्रोफेसर राहुल कुमार ने कार्यशाला में उपस्थित सभी वैज्ञानिक शिक्षको एवं छात्रों का धन्यवाद प्रस्तुत किया। डॉ लक्ष्मण नागर सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग प्रथम सत्र की रिपोर्ट प्रस्तुत करी। इस मौके पर डॉक्टर सचिन कुमार डॉक्टर पवित्र देव ,डॉ दिनेश पवार , डॉ लक्ष्मण नागर, डॉ अमरदीप सिंह डॉक्टर राहुल, डॉ आशु त्यागी डॉक्टर अजय कुमार कुशाग्र,अनिल व अन्य मौजूद रहे।
No comments:
Post a Comment