मरीज को संगीत से ठीक किया जा सकता है

संगीत चिकित्सा पर अतिथि  व्याख्यान का आयोजन

मेरठ।आर.जी. पी. जी. कॉलेज के संगीत विभाग में  प्राचार्या प्रो. निवेदिता कुमारी के मार्गदर्शन में शुक्रवार  को " संगीत चिकित्सा " विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया।

 इस आयोजन में अतिथि वक्ता डॉ. उपासना शर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर, वी. एम. एल. जी. कॉलेज , गाजियाबाद ने संगीत द्वारा विविध रोगों के उपचार की संभावनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया की संगीत का प्रयोग न  केवल मानसिक,अपितु शारीरिक विकृतियों के समाधान हेतु भी संगीत चिकित्सा का प्रयोग सार्थक सिद्ध हो रहा हैं।  विद्वानों ने शोध के दौरान यह निष्कर्ष निकाला हैं कि किन-किन रागों  के गायन,वादन द्वारा रोगी को ठीक किया जा सकता हैं। इस संदर्भ में राग अड़ाना , राग दरबारी ,राग कांहड़ा, राग कालिंगड़ा,राग हिंडोल,राग मारवा,राग तिलंग, राग बिलावल, राग मुल्तानी , राग खमाज,राग रामकली इत्यादि रागों के गायन,वादन से विभिन्न प्रकार के रोगों को ठीक किया जा सकता हैं ।राग भैरवी के प्रयोग से अच्छी निद्रा,श्वास   व  कफ सम्बंधी बीमारी से रोगी व्यक्ति को शांति प्रदान होती हैं। इसके अतिरिक्त स्मरण शक्ति बढ़ाने में शिवरंजनी तथा चिंता व तनाव को कम करने में राग तोड़ी सहायता प्रदान करता हैं क्रोध की स्तिथि व मानसिक पक्षाघात हेतु राग मल्हार तथा राग जयजयवंती का प्रयोग किया जाता हैं।

इसके  अतिरिक्त तबला के विभिन्न तालों का प्रयोग भी विभिन्न प्रकार के रोगों को दूर करने हेतु किया जाता हैं, जैसे दादरा ताल का प्रयोग हृदय रोग के लिए  झपताल का प्रयोग मानव की पाचन शक्ति को सुचारू रखने हेतु इसके अतिरिक्त अलग-अलग भावनाओं की अभिव्यक्ति करने हेतु अलग-अलग  तालों का निर्माण भी किया गया हैं। 

 कार्यक्रम की संयोजिका विभाग प्रभारी डॉ. किरन शर्मा  एवं आयोजन  सचिव डॉ. स्वाति शर्मा रहीं। कार्यक्रम को सफल बनाने में  हेमंत शुक्ला, डॉ. सुमन सिंह, कु. अमिता, शालिनी, महक , अंजली आदि का योगदान रहा।

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