रणनीति बदलते उग्रवादी
 इलमा अजीम 

इसमें कोई दोराय नहीं कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के सफाए के लिए सरकार और सुरक्षा बलों की ओर से जिस तरह मोर्चा लिया गया है, उसकी वजह से आतंकी संगठनों की राह मुश्किल हुई है। मगर यह भी सच है कि कसते शिकंजे से उपजी हताशा के बाद अब आतंकवादियों ने अपनी गतिविधियों को अलग शक्ल देना शुरू कर दिया है। पिछले कुछ समय से किसी की पहचान कर या निशाना बना कर की जाने वाली हत्याओं के जरिए अब वे शायद यही दर्शाना चाहते हैं कि उनका वजूद बचा हुआ है। हालांकि जिस तरह जम्मू-कश्मीर के बाहर से आए किसी मजदूर की पहचान के आधार पर उन पर लक्षित तरीके से हमला किया जा रहा है, उससे यह साफ है कि अब उनके भीतर हताशा गहरा रही है। गौरतलब है कि बुधवार को श्रीनगर के हब्बा कदल इलाके में आतंकवादियों ने पंजाब के एक मजदूर की गोली मार कर हत्या कर दी थी। 



उस गोलीबारी में एक अन्य मजदूर भी बुरी तरह घायल हो गया था और गुरुवार को इलाज के दौरान उसकी भी जान चली गई। कश्मीर में यह इस वर्ष की पहली लक्षित हत्या की घटना है। आतंकवाद से सामना करने के संदर्भ में सरकार की ओर से आए दिन यह दावा किया जाता है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की नकेल कसने के लिए हर स्तर पर सख्ती बरती जा रही है और उनका जोर कम हो रहा है। मगर जमीनी हकीकत कुछ और है। आए दिन सुरक्षा बलों पर होने वाले हमलों के अलावा बीते कुछ वर्षों के दौरान निशाना बना कर की जाने वाली हत्या की घटनाओं से यही पता चलता है कि अब आतंकवादी संगठनों ने अपनी गतिविधियों के तौर-तरीके बदले हैं और आम लोगों के बीच आतंक फैलाने के लिए लक्षित हत्याएं शुरू कर दी हैं।पिछले वर्ष भी कई स्थानीय और बाहरी इलाकों से आकर गुजारा करने वाले कई मजदूरों की हत्या कर दी गई थी। इसका मकसद मुख्य रूप से यही है कि पहचान के आधार पर अलग-अलग समुदायों के बीच आपस में संदेह और दूरी बनाने का माहौल पैदा किया जाए, ताकि असुरक्षाबोध से घिरे लोगों का इस्तेमाल हथियार के तौर पर हो सके। यह आतंकवादियों की नई रणनीति है, जिसके जरिए वे सुरक्षा-व्यवस्था के मजबूत होने के सरकार के दावों को झुठलाना चाहते हैं। हालांकि सरकार ने आतंकी संगठनों पर नकेल कसने के लिए हर स्तर पर कदम उठाए हैं और इसका नतीजा भी देखने में आया है। अब सरेआम आतंकी हमलों की घटनाएं कम हुई हैं, मगर आतंकी संगठनों की नई रणनीति के लिहाज से सुरक्षा बलों को अपना मोर्चा तैयार करना होगा। घाटी में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर काम करते हैं और वहां की अर्थव्यवस्था में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं।

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