एकजुट हो रहा ‘इंडिया’
 इलमा अजीम 
कुछ दिन पहले विपक्ष का जो ‘इंडिया’ गठबंधन बिखरता और समाप्त-सा लग रहा था, वह अचानक एकजुट होता लग रहा है। चुनावों से पहले यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम है। उप्र में 63 सीटों पर समाजवादी पार्टी और 17 सीटों पर कांग्रेस का गठबंधन सुनिश्चित हो चुका है। अब ‘न्याय यात्रा’ में अखिलेश यादव और राहुल गांधी साथ-साथ दिखाई देंगे। दिल्ली, हरियाणा, गोवा, गुजरात और चंडीगढ़ की 46 सीटों पर आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के दरमियान गठबंधन घोषित हो चुका है। ‘आप’ हरियाणा में कुरुक्षेत्र, गुजरात में भरुच और भावनगर तथा दिल्ली की 4 संसदीय सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी। शेष सीटें कांग्रेस लड़ेगी। बेशक पंजाब में दोनों दल अलग-अलग चुनाव में उतरेंगे। बिहार में लालू यादव के राजद, कांग्रेस और वामदलों में बुनियादी सहमतियां बन गई हैं। आगामी 3 मार्च को गठबंधन की अधिकृत घोषणा की जा सकती है।


 पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, झारखंड, जम्मू-कश्मीर की 149 सीटों पर गठबंधन फिलहाल चुनौती बना है। इन राज्यों में कांग्रेस और अन्य दल गठबंधन में रहे हैं, लिहाजा देर-सबेर सीटों का बंटवारा घोषित किया जा सकता है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी से गठबंधन की खातिर 2-3 बार फोन पर चर्चा की है। तृणमूल ने कांग्रेस को मात्र 2 सीटें देने की बार-बार बात कही है, जबकि कांग्रेस 6 सीटों पर दावा कर रही है। यह भी सहमति बन सकती है कि कांग्रेस असम और मेघालय में 1-1 सीट तृणमूल के लिए छोड़ सकती है। फिलहाल ममता का रुख कड़ा है, लेकिन दोनों के बीच जड़ता की स्थितियां नहीं हैं। प्रख्यात चुनाव विशेषज्ञों के आकलन हैं कि यदि कांग्रेस और तृणमूल में गठबंधन हो गया, तो बंगाल में भाजपा की 18 सीटें घटकर ईकाई में पहुंच सकती हैं। यह राजनीति ममता भी समझती होंगी! हालांकि वैसे आसार नहीं हैं कि भाजपा-एनडीए के खिलाफ विपक्ष का एक ही, साझा उम्मीदवार चुनाव में उतर सके। बहरहाल ऐसा बताया जा रहा है कि 350 से अधिक सीटों पर ‘मोदी बनाम इंडिया’ के समीकरण बनाने पर विपक्ष विमर्श कर रहा है। हालांकि गठबंधन के विरोधाभास भाजपा-एनडीए में भी हैं, लेकिन वहां भाजपा अकेली ही बहुमत प्राप्त करने की स्थिति में है। वहां नेतृत्व और नीति प्रधानमंत्री मोदी की है, लिहाजा ‘इंडिया’ जैसी मुश्किलें नहीं हैं। विपक्ष में सभी बिखरे पड़े हैं, लिहाजा वोटों का विभाजन हो सकता है, नतीजतन फायदा भाजपा को हो सकता है। 

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