किसानों ने ठुकराया सरकार का प्रस्ताव, केंद्र को दिया कल तक का समय, वरना दिल्ली कूच
नई दिल्ली। एमएसपी की कानूनी गारंटी को लेकर चंडीगढ़ में किसानों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच चौथे दौर की बैठक हुई। इसमें केंद्र सरकार चार और फसलों पर एमएसपी देने को तैयार हो गई है। केंद्र के इस प्रस्ताव पर बैठक में मौजूद किसान नेताओं ने कहा कि वह सभी संगठनों से बात कर आज इस पर अंतिम फैसला बताएंगे। वहीं हरियाणा के बॉर्डर पर किसान डटे हुए हैं। किसानों के आंदोलन का आज सातवां दिन है। केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसान नेताओं की पांच घंटे बैठक हुई। इसके बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने पत्रकारों को बताया कि चौथे दौर की बातचीत बेहद सकारात्मक रही है।
21 को दिल्ली कूच की चेतावनी
ग्रामीण किसान मजदूर समिति के मीडिया प्रभारी रणजीत राजू ने बताया कि सरकार के प्रस्ताव पर किसानों की सहमति नहीं बन सकी है। सभी फोरमों में बात करने के बाद अब किसान नेताओं ने फैसला लिया है कि 21 फरवरी को दिल्ली के लिए कूच करेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार लाठियां भांजेगी तो खाएंगे, गोले दागेंगे तो उसका भी सामना करेंगे।
सरकार अपने प्रस्ताव के जरिए सिर्फ हरियाणा पंजाब के किसानों को देख रही है जबकि आंदोलन देशभर के किसानों की विभिन्न फसलों के लिए है। वहीं धान पर सरकार एमएसपी देने के लिए राजी हुई है मगर पैदावार अपने हिसाब से कराना चाहती है। यह किसानों को मंजूर नहीं है। भाकियू शहीद भगत सिहं के किसान नेता जय सिंह जलबेड़ा ने भी इसकी पुष्टि की है। किसानों ने सरकार को 20 फरवरी तक का समय दिया है।
हरियाणा के सीएम को भी शामिल करने की मांग
भाकियू चढ़ूनी के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने मांग की कि आंदोलनरत किसानों के साथ सरकार की वार्ता में हरियाणा के मुख्यमंत्री भी शामिल हों। उनके शामिल न होने पर हरियाणा के किसानों की मांगों की अनदेखी की आशंका हो रही है। चढूनी ने कहा कि जब पंजाब के मुख्यमंत्री वार्ता में शामिल हैं तो हरियाणा के मुख्यमंत्री क्यों नहीं। हरियाणा के किसानों की भी मांगें पंजाब की तर्ज पर पूरी हों, अन्यथा यहां के किसान भी पीछे नहीं रहेंगे।
बुजुर्ग किसानों ने युवाओं को आगे जाने से रोका
शंभू बॉर्डर पर किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं। शुरुआती दो दिनों के मुकाबले अभी माहौल शांतिपूर्ण बना हुआ है। अर्धसैनिक बलों ने रविवार को कोई कार्रवाई नहीं की। प्रदर्शन कर रहे किसान भी आगे बढ़ने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। किसान नेताओं के बार-बार आग्रह के बाद हरियाणा पुलिस की बैरिकेडिंग से 50 मीटर की दूरी पर लगी रस्सी के पीछे ही बैठे रहे। बुजुर्ग किसानों ने युवाओं को आगे जाने से रोकने के लिए कुछ देर के लिए रस्सी के पास जाकर पहरा भी दिया। किसान नेताओं के मंच पर बड़ी तादाद में महिलाएं भी शंभू बॉर्डर पर किसानों का साथ देने पहुंचीं। इस दौरान कुछ युवा लंगर में ड्यूटी निभाते दिखे तो कुछ वहां मौजूद लोगों की सेवा करते दिखाई दिए।
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