उच्च जोखिम गर्भावस्था की स्थिति में संस्थागत प्रसव ही कराएं : डा. ललित
महीने की हर एक, नौ, 16 और 24 तारीख को स्वास्थ्य केन्द्रों पर मनाया जाता है प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस
रक्त की कमीके अलावा भी कई अन्य कमियों के चलते उच्च जोखिम गर्भावस्था में चिन्हित की जाती हैं गर्भवती
नोएडा, 02जनवरी 2024। केवल एनिमिक (रक्त की कमी) होना ही उच्च जोखिम गर्भावस्था नहीं होती इसके अलावा भी कई अन्य कमियों के चलते गर्भवती उच्च जोखिम गर्भावस्था में चिन्हित की जाती हैं। उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली गर्भवती को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। ऐसी अवस्था में प्रसव पूर्व सभी जांच कराने के साथ ही संस्थागत प्रसव कराना चाहिए। यह बात अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डा. ललित कुमार ने कही।
डा. ललित ने बताया- उच्च जोखिम गर्भावस्थाएक ऐसी स्थिति है, जिसमें गर्भवती और उनके शिशु के लिए स्वास्थ्य समस्याएं ज्यादा होती हैं। इसमें गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के समय मां और शिशु के लिए जोखिम हो सकता है। उच्च जोखिम गर्भावस्था का पता लगाने के लिए प्रसव पूर्व सभी जांच होना जरूरी है। इसके सरकार की ओर से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत जनपद के स्वास्थ्य केन्द्रों पर हर महीने की एक, नौ, 16 और 24 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस का आयोजन किया जाता है। प्रसव पूर्व औरगर्भावस्था के अंत में, मातृ स्वास्थ्य और शिशु का स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए कई जांच की जाती हैं, ताकि स्वस्थ और सुरक्षित प्रसव हो सके।
हीमोग्लोबिन-
किसी भी गर्भवती का हीमोग्लोबिन का स्तर सात ग्राम से कम है तो वह उच्च जोखिम गर्भावस्था में है। गर्भवती को हीमोग्लोबिन का ध्यान रखना चाहिए। हीमोग्लोबिन को खानपान और दवा से ठीक किया जा सकता है। एक स्वस्थ महिला का हीमोग्लोबिन का स्तर 12.0 से 14.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर होना चाहिए। यानि किसी भी हालत में गर्भवती को एनीमिक (खून की कमी) नहीं होना चाहिये। उचित स्वास्थ्य देखभाल से एनीमिया दूर किया जा सकता है।
वजन-
गर्भवती का वजन 40 किग्रा से कम हो तो वह उच्च जोखम गर्भावस्था में आती है। इस लिए गर्भावस्था के दौरान गर्भवती को खानपान पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा जाता है। कुछ मामलों में उपचार की भी जरूरत होती है।
लम्बाई-
महिला जिनकी लम्बाई 140 सेंटीमीटर से कम हो तो उनकी गर्भावस्था उच्च जोखम वाली मानी जाती है। ऐसी महिलाओं को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इन महिलाओं को किसी भी हालत में घर में प्रसव नहीं कराना चाहिए। संस्थागत प्रसव कराने पर जच्चा बच्चा की जान का जोखिम कम हो जाता है।
उम्र: यदि महिला की आयु 35 साल से अधिक है, तो वह हाई रिस्क की श्रेणी में आ सकती है।
किसी बीमारी की दवा चल रही हो तो-
ऐसी गर्भवती जिनकी पहले से किसी स्वास्थ्य समस्या जैसे कि डायबीटीज, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, थायराइड समस्या या किसी लम्बी बीमारी जैसे टीबी, लिवर, कैंसर की दवा चल रही हो तो ऐसी स्थिति भी उच्च जोखम गर्भावस्था बन सकती है।
एचआईवी ग्रसित- ऐसी महिला जो पहले से एचआईवी से ग्रसित हो और गर्भवती हो तो उसे उच्च जोखिम गर्भावस्था में रखा जाता है। ऐसी गर्भवती भी उच्च जोखम गर्भावस्था में आती हैं जिन्हें एकलेप्सिया (दौरे) हो , गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न होने वाली समस्याएं जैसे कि प्री-एक्लैम्प्सिया (हाइटेन्शन), गर्भाशय की सूजन, गर्भकोष से संबंधित समस्याएं हों।
पूर्व गर्भवती इतिहास: यदि महिला को पहले से ही गर्भावस्था में किसी भी समस्या का सामना करना पड़ा हो, तो वह अगली प्रेगनेंसी में हाई रिस्क में हो सकती है। ऐसी महिला जिसके पहले दो बच्चे सिजेरियन से हुए हों, तो उसे भी उच्च जोखम गर्भावस्था की श्रेणी में रखा जाता है।
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