जिंदगी के लिए खतरनाक सड़कें
इलमा अजीम
सड़क हादसों पर काबू पाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। तमाम जागरूकता अभियानों, यातायात नियमों में कड़ाई, भारी जुर्माने के प्रावधान तथा सड़कों पर सीसीटीवी कैमरे से निगरानी आदि की व्यवस्था के बावजूद हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं और उनमें घायल होने तथा मरने वालों की संख्या कुछ बढ़ी हुई ही दर्ज होती है। आमतौर पर इसकी वजहों में तय सीमा से अधिक रफ्तार और नशे में वाहन चलाना, यातायात नियमों का पालन न करना माना जाता है। मगर खुद केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने इसका बड़ा कारण सड़कों को बनाने में गलत अभियांत्रिकी को माना है। हर वर्ष पांच लाख रोड एक्सीडेंट और डेढ़ लाख मौतें होती हैं भारतीय सड़क कांग्रेस के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हर वर्ष करीब पांच लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है और साढ़े तीन लाख लोग घायल हो जाते हैं। इस तरह देश के सकल घरेलू उत्पाद का तीन फीसद नुकसान होता है।
सड़क हादसों पर काबू पाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। तमाम जागरूकता अभियानों, यातायात नियमों में कड़ाई, भारी जुर्माने के प्रावधान तथा सड़कों पर सीसीटीवी कैमरे से निगरानी आदि की व्यवस्था के बावजूद हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं और उनमें घायल होने तथा मरने वालों की संख्या कुछ बढ़ी हुई ही दर्ज होती है। आमतौर पर इसकी वजहों में तय सीमा से अधिक रफ्तार और नशे में वाहन चलाना, यातायात नियमों का पालन न करना माना जाता है। मगर खुद केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने इसका बड़ा कारण सड़कों को बनाने में गलत अभियांत्रिकी को माना है। हर वर्ष पांच लाख रोड एक्सीडेंट और डेढ़ लाख मौतें होती हैं भारतीय सड़क कांग्रेस के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हर वर्ष करीब पांच लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है और साढ़े तीन लाख लोग घायल हो जाते हैं। इस तरह देश के सकल घरेलू उत्पाद का तीन फीसद नुकसान होता है।
दुर्घटनाग्रस्त होने वालों में आधे से अधिक पैंतीस साल से कम उम्र के युवा होते हैं। परिवहन मंत्री ने सम्मेलन में मौजूद इंजीनियरों से अपील की कि वे सड़क निर्माण में सही अभियांत्रिकी का उपयोग कर इस तरह देश के जन-धन के नुकसान को रोक सकते हैं। राजमार्गों पर सुरक्षा के अपेक्षित इंतजाम न होने की वजह से हादसों में मरने और घायल होने वालों की संख्या बढ़ रही है। अब खुद परिवहन मंत्री ने सड़क निर्माण में इस्तेमाल होने वाली अभियांत्रिकी पर अंगुली रखी है, तो यह उनकी साफगोई और ईमानदारी ही कही जाएगी। उद्योगपति साइरस मिस्त्री की सड़क दुर्घटना में हुई मौत के वक्त भी उन्होंने रेखांकित किया था कि अगर सड़क बनाने में ठीक पैमाना अपनाया गया होता, तो वह दुर्घटना न होने पाती। दरअसल, उसमें देखा गया था कि सड़क एक जगह पहुंच कर अचानक संकरी हो जाती है, जिसमें तेज रफ्तार वाहनों को संभालना कठिन हो जाता है और वे सड़क के किनारे से टकरा कर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। ऐसी अनेक दुर्घटनाओं में देखा गया कि सड़कों की चौड़ाई समान न होने, मोड़ों पर उचित चौड़ाई और किनारों की उठान न होने, उनके किनारे समुचित सुरक्षा बाड़ न लगी होने या फिर उल्टी दिशा से गलत ढंग से वाहनों के प्रवेश पर रोक का इंतजाम न होने आदि की वजह से दुर्घटनाएं अधिक होती हैं। कई जगह निर्माण सामग्री की गुणवत्ता खराब होने से गड्ढे बन जाने या फिर सड़कों के समतल न होने की वजह से भी वाहनों का संतुलन बिगड़ता और दुर्घटनाएं हो जाती हैं।
No comments:
Post a Comment