सोशल मीडिया में अश्लीलता
 इलमा अजीम 
भारतीय संस्कृति में सदाचरण, चरित्र निर्माण, विनम्रता, प्रेम, दया, त्याग और आदर-सम्मान जैसे सद्गुणों को प्रमुखता दी जाती रही है। इसके बावजूद हमें कुपथगामी एवं दुराचारी लोगों के किस्सों की कथाएं आए दिन प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पढऩे, देखने और सुनने को मिलती रहती हैं, जिससे कहीं न कहीं यह भावना बलवती होती है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था में संस्कारों, आदर्शों, मूल्यों और नैतिक आचरण को लेकर भरपूर मार्गदर्शन होने के बावजूद क्यों समाज के कुछ लोग पथभ्रष्ट होकर गलत कार्यों में संलग्न रहकर सामाजिक ताने-बाने को दूषित करने का प्रयास करते हैं? यह सच है कि इंटरनेट, गूगल और सोशल मीडिया के लाभों को आज नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। आप यूट्यूब और गूगल सर्च इंजन से कैसी भी जानकारी तत्काल हासिल कर अपनी ज्ञान सुधा तृप्त कर सकते हैं। 
                लेकिन इन्हीं माध्यमों पर उपलब्ध अश्लील सामग्री का आप क्या करेंगे? फेसबुक की वीडियो वाली रील्स सेक्शन में गंदे और अश्लील वीडियो की भरमार है, उस पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। सिक्के के दो पहलुओं की माफिक आजकल इंटरनेट और सोशल मीडिया के अच्छे बुरे दोनों रूपों के इस्तेमाल को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इन प्लेटफॉर्म्स को जहां आप अपनी रुचियों के परिमार्जन और आपसी मेल मिलाप आदि के दृष्टिकोण से सदुपयोग कर सकते हैं तो वहीं कुछ दुष्ट प्रवृत्ति के लोग इन प्लेटफॉर्म्स को रुपया कमाने और हमारी युवा शक्ति को बिगाड़ कर सामाजिक माहौल को दूषित करने में दिन-रात लगे हुए हैं। लिहाजा इन माध्यमों पर परोसी जा रही अश्लीलता पर कानूनी तौर पर रोक लगाना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता बन गई है। सबसे पहले 1997 में पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सिक्स डिग्री लॉन्च किया गया था। इसकी स्थापना एंड्रयू वेनरिच ने की थी। आज दुनिया की कुल आबादी के 60 प्रतिशत से अधिक के बराबर जनता सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रही है। आज की तारीख में गलत सूचनाएं और उम्र छुपा कर 9-10 साल के छोटे-छोटे बच्चों ने भी फेसबुक पर अपने अकाउंट खोल रखे हैं और धड़ल्ले से सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं। जिस प्रकार आज धड़ल्ले से फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया पर अश्लीलता परोसी जा रही है, वह भारतीय संस्कृति के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और भारत सरकार को निश्चित रूप से ऐसी साइट्स को तुरंत प्रभाव से ब्लॉक कर सख्त कानूनी प्रावधानों को समाज हित में लागू करना चाहिए।

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