- शोभित विवि द्वारा ड्रोन टेक्नोलॉजी इन एग्रीकल्चर पर 10 दिवसीय सर्टिफिकेट ट्रेनिंग प्रोग्राम की शुरुआत
मेरठ। जहां एक तरफ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में नमो ड्रोन दीदी योजना की शुरुआत की है। जिसके अंतर्गत भारत सरकार 15000 महिलाओं को ड्रोन टेक्नोलॉजी में प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का कार्य करेगी।
उसी दिशा में शोभित विश्वविद्यालय ने नेशनल एकेडमी ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च मैनेजमेंट /नेशनल एग्रीकल्चर हायर एजुकेशन प्रोजेक्ट/जीबी पंत यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी पंतनगर एवं आईसीएआर के साथ मिलकर कृषि क्षेत्र में नवाचारी तकनीक की पहचान में एक और नया कदम उठाया है। जिसके अंतर्गत शोभित विश्वविद्यालय ने 10 दिवसीय ड्रोन टेक्नोलॉजी में प्रशिक्षण देकर सर्टिफिकेट ट्रेनिंग प्रोग्राम की शुरुआत कर दी है। जिसके अंतर्गत शोभित विश्वविद्यालय मेरठ ,जीबी पंत यूनिवर्सिटी पंतनगर,सरदार पटेल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी मेरठ एवं शोभित यूनिवर्सिटी गंगोह के छात्र ट्रेनिंग प्राप्त कर रहे हैं। आज कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर की गई।कार्यक्रम की शुरुआत में कार्यक्रम के संयोजक एवं स्कूल आफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक प्रो डॉ सहदेव सिंह द्वारा अतिथियों के स्वागत संबोधन एवं कार्यक्रम के बारे में विस्तृत रूप से बताते हुए उन्होंने कहा कि आज कृषि का क्षेत्र बहुत बड़े-बड़े क्रांतिकारी बदलावों से गुजर रहा है। उन्होंने बताया कि आज के समय में कृषि चार मुख्य कारकों पर निर्भर कर रही है जो की सरकार की बेहतर नीतियां,टेक्नोलॉजी,फाइनेंस एवं उद्यमिता है। उन्होंने बताया कि यह ड्रोन टेक्नोलॉजी प्रशिक्षण कार्यक्रम 10 दिनों तक आयोजित किया जाएगा जिसमें3 दिन डेमो क्लासेस दी जाएगी जिसमें सरदार पटेल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी मेरठ शामली कृषि विज्ञान केंद्र एवं सेंट्रल पोटैटो रिसर्च सेंटर मेरठ में आयोजित किया जाएगा जिसमें छात्र ड्रोन के माध्यम से फील्ड सर्वे एवं ड्रोन चलाने की विधि सीखेंगे और 12 टेक्निकल सेशन अयोजित किए जायेंगे।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित आईएफएफएसआर के निदेशक श्री डॉ सुनील कुमार जी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आज का कृषि क्षेत्र पहले वाला कृषि क्षेत्र नहीं रहा है आज टेक्नोलॉजी के आने से पिछले दो दशकों से कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं जिसमें ड्रोन टेक्नोलॉजी मुख्य है। ड्रोन टेक्नोलॉजी के आने से कृषि क्षेत्र को बहुत फायदे हुए हैं आज हमें क्लासरूम नॉलेज एवं क्लासरूम टीचिंग से बाहर आकर फील्ड में कार्य करने की आवश्यकता है और विश्व के विभिन्न कृषि क्षेत्र में भिन्न-भिन्न मॉडल तैयार करने की आवश्यकता है जिससे किसानों की मदद हो सके और किसानों की आय को बढ़ाया जा सके जिससे उनका जीवन स्तर बेहतर हो सकेगा।
इस अवसर पर शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री कुंवर शेखर विजेंद्र ने अपने संबोधन में सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह सर्टिफिकेट ट्रेनिंग प्रोग्राम अपने आप में पहला ऐसा कार्यक्रम है जो हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा जारी की गई नमो ड्रोन दीदी योजना के तुरंत बाद आयोजित किया जा रहा है जिसमें भारत सरकार ने 15000 महिलाओं को ड्रोन टेक्नोलॉजी में प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का जो संकल्प लिया है वह निश्चित रूप से भारत के कृषि उद्यमिता का स्वरूप ही बदलकर रख देगा। उन्होंने कहा कि आज भारत में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र कृषि का ही क्षेत्र है उन्होंने कहा कि 2050 तक का जो समय है वह अमृत कल है। आने वाले 2050 तक विश्व की जनसंख्या 9.7 बिलियन तक हो जाएगी जिसके चलते हमें अपना प्रोडक्शन 70% तक बढ़ाना होगा जिसमें टेक्नोलॉजी एक महत्वपूर्ण योगदान देने वाली है। आज हमें प्रैक्टिकल प्रयास करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित नेशनल एकेडमी ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च मैनेजमेंट, हैदराबाद के डॉ एस के सोम ने पीपी मॉडल (पब्लिक एंड प्राइवेट मॉडल) को अपने पर बोल दिया उन्होंने कहा कि आईसीएआर ने पिछले कुछ समय में बहुत कुछ किया है क्योंकि यह बहुत मुश्किल है कि हम लोगों को एक साथ लाकर उनके अंदर भरोसा पैदा करें। उन्होंने शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री कुंवर शेखर विजेंद्र जी की प्रशंसा करते हुए कहा कि आपके प्रयासों के कारण आज कृषि के क्षेत्र में बहुत बदलाव आ रहे हैं और विश्वविद्यालय कृषि के क्षेत्र में जो कार्य कर रहा है वह बहुत प्रसंसनीय है। उन्होंने कहा कि एग्रीकल्चर के क्षेत्र में ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है जो कि समाज में बहुत बड़ा बदलाव लाने का कार्य करेगा और अगर पब्लिक एवं प्राइवेट संस्थाएं एक साथ मिलकर कार्य करेगी तो निश्चित रूप से क्रांतिकारी परिणाम सामने आएंगे।
कार्यक्रम के अंत में स्कूल आफ इंजीनियरिंग के डीन प्रोफेसर डॉ वी के त्यागी द्वारा सभी उपस्थित अथिथियो एवं ट्रेनीज को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।इस अवसर पर सभी विभागों के निदेशक एवं शिक्षक गण मुख्य रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ सोनम आर्य, डॉ मनोज, डॉ अंजलि तोमर, आशीष त्यागी का विशेष योगदान रहा।
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