असुरक्षित हो गईं बेटियां
इलमा अजीम
देश में बेटियां हर जगह असुरक्षित महसूस कर रही हैं। बेटियों की सुरक्षा के दावे कहां हैं, यह एक यक्ष प्रश्न है। यह सुलगता प्रश्न है कि बेटियां कब सुरक्षित होंगी। हाल में एक घटनाक्रम वाराणसी में घटित हुआ है जहां बीएचयू परिसर में कुछ गुंडों द्वारा एक लडक़ी के साथ अश्लील हरकतें करने और वीडियो बनाने की घटना सामने आई है। साल के 365 दिनों में महिलाओं पर अत्याचार होते रहते हैं। आज कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक महिलाओं पर अनगिनत अत्याचार हो रहे हैं, मगर सरकारों की कुंभकरणी नींद नहीं टूट रही है। आज कोई भी विश्वास के योग्य नहीं रहा है, किस पर विश्वास करें, अपने ही हैवान बन रहे हैं। आज बाबुल की गलियां ही नरक बन गई हैं। अपने रक्षक ही भक्षक बन गए हैं। बहू-बेटियां घर में ही असुरक्षित हैं। समय-समय पर ऐसे घिनौने कर्म होते हैं कि कायनात कांप उठती है कि आदमी इतने नीच काम क्यों कर रहा है। महिलाएं कहीं भी महफूज नहीं हैं। महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। दरिंदों की दरिंदगी की वारदातें कब रुकेंगी, कोई पता नहीं। अपराध की तारीख बदल जाती है, मगर तस्वीर नहीं बदलती। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सैकड़ों कड़े कानून बनाए गए हैं, मगर ये कानून सरकारी फाइलों की धूल चाट रहे हैं। अगर कानून सही तरीके से लागू किए होते तो इन मामलों में इजाफा नहीं होता। आज महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं, चाहे घर हो, दफ्तर हो, बस, सडक़, गली या चौराहा हो, महिलाएं हर जगह असुरक्षित ही महसूस कर रही हैं। हजारों महिलाएं व नाबालिग बच्चियां दुष्कर्मों का शिकार हो रही हैं। आज बाल विवाह हो रहे हैं। नाबालिग लड़कियों की शादियां अधेड़ों से की जा रही हैं। ऐसे लोगों के विरुद्ध समाज को कार्रवाई करनी चाहिए।
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