आमरण अनशन पर बैठे सपा विधायक अतुल प्रधान

 जनता की आवाज उठाना कौन सा गलत काम है 
 अधिकारियों के आश्वासन पर धरने से उठे सपा विधायक 
मेरठ। न्यूटिमा हॉस्पिटल में बिल कम कराने को लेकर हुए हंगामे के बाद सपा विधायक अतुल प्रधान सहित 40 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज होने के बाद सरधना विधायक शुक्रवार को अतुल प्रधान आमरण अनशन पर बैठ गए हैं।
विधायक अतुल प्रधान ने मेरठ डीएम कार्यालय के बाहर अपना धरना शुरू कर दिया है। यहां समर्थक भी उनके साथ बैठे हैं। इस मामले में आम आदमी पार्टी और भाकियू भी उनके समर्थन में उतर आई है। वहीं शुक्रवार को 4 घंटे तक चले इस धरने के बाद विधायक फिलहाल धरने से उठ गए हैं। धरना स्थगित कर दिया है। तीन दिन बाद जब जांच रिपोर्ट आने के बाद दोबारा अनशन शुरू करेंगे।
अतुल प्रधान के साथ आप और भाकियू नेता भी डीएम दफ्तर पर पहुंचकर सपा विधायक को समर्थन दे रहे हैं। उनका कहना है, जनता के लिए न्याय की लड़ाई लड़ने वाले विधायक पर मुकदमा लिखा गया है।
उधर पूरा इंडियन मेडिकल एसोशिएशन  सपा विधायक के खिलाफ खड़ा हो गया है। आईएमए  के डॉक्टरों ने स्पष्ट तौर पर कहा, अस्पताल में आकर बेवजह हंगामा करने वाले जनप्रतिनिधियों को माननीय कहलाने का हक नहीं है। ऐसे जनप्रतिनिधि हमें नहीं चाहिए। अतुल प्रधान ने ऐसा बिहेव किया जिससे किसी को भी हार्ट अटैक आ जाए।
 हम जेल चले जाएंगे, पीछे नहीं हटेंगे
सपा विधायक अतुल प्रधान ने कहा, "जब लोग बाजार में केले लेने भी जाते हैं तो उसे उलट-पलट कर देखते हैं। ये तो डॉक्टरों का मामला है। लाखों रुपए की बात है, लूट हो रही है। कहा, मेडिकल स्टोर अस्पताल के अंदर खुले हैं। हमने ये कहा पर्ची पर सॉल्ट लिखिए ताकि आदमी जहां से चाहे वहां से दवा ले ले, लेकिन डॉक्टर कोड लिखते हैं।"

उन्होंने प्रशासन की 4 सदस्यीय समिति से निष्पक्ष जांच करने की मांग की है। उन्होंने कहा, आज हमें जेल भेज दो लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे। पुलिस ने पीड़ितों के परिजनों के खिलाफ ही बिना जांच के मुकदमा लिख दिया। मरीज के दादा, बेटे, बहू सब पर मुकदमा कर दिया।

उन्होंने कहा, ये अस्पताल नहीं दुकानें हैं। खुले आम अस्पतालों में बार्गेनिंग हो रही है। पैसा कम कराओ, ज्यादा कराओ ये चल रहा है। जब डिप्टी सीएम ने 3 दिन के अंदर मामले की जांच मांगी तो उसके बाद भी अस्पताल संचालकों को भरोसा नहीं हुआ और मुकदमा लिखा दिया।
मौके पर हालात कंट्रोल करने के लिए पुलिस, प्रशासनिक अफसर भी मौजूद हैं। सीओ सिविल लाइंस अरविंद चौरसिया ने कहा, पूरे मामले की फुटेज, ऑडियो रिकॉर्डिंग को देखकर ही पुलिस अंतिम निर्णय लेगी। 2 से 3 दिनों में इसका निपटारा करेंगे। उन्होंने सहयोग करने की अपील की। 

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